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Home » JAMSHEDPUR NEWS :लाभ की अंधाधुंध खोज अक्सर व्यवसायों को नैतिक और सामाजिक दायित्वों से दूर ले जाती है : आरती शर्मा
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JAMSHEDPUR NEWS :लाभ की अंधाधुंध खोज अक्सर व्यवसायों को नैतिक और सामाजिक दायित्वों से दूर ले जाती है : आरती शर्मा

BJNN DeskBy BJNN DeskFebruary 16, 2025Updated:February 16, 2025No Comments3 Mins Read
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जमशेदपुर।
एक्सएलआरआइ के सेंटर फॉर स्पिरिचुअलिटी द्वारा स्पिरिचुअलिटी कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन किया गया. कार्डिनल कूनिग हाउस (वियना, ऑस्ट्रिया), लासाले-हाउस बैड शॉनब्रुन (स्विट्जरलैंड), मकाऊ रिक्की इंस्टीट्यूट (मकाऊ) और मनेरेसा रिट्रीट हाउस (गोजो, माल्टा) के सहयोग से आयोजित इस कॉन्क्लेव में सभी को कॉर्पोरेट सेक्टर में अध्यात्म के महत्व से अवगत कराया गया. इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. फादर. सोमी एम मैथ्यू, एसजे (सीएसआईएफ, जेसीएसए, नई दिल्ली), डॉ. फादर. मरियनस कुजूर, एसजे (निदेशक, एक्सआईएसएस, रांची) और सुश्री आरती शर्मा (सीनियर डायरेक्टर, द कोका-कोला कंपनी, वेस्ट इंडिया)  उपस्थित थीं. फादर टॉम ऑडिटोरियम में आयोजित इस कॉन्क्लेव में “व्यवसाय में आध्यात्मिकता का समावेश: भारत की विविध परंपराओं से ज्ञान अर्जित करना” विषय पर प्रतिष्ठित विद्वानों, कॉर्पोरेट लीडर  और विचारकों ने हिस्सा लिया. उन्होंने नेतृत्व, व्यावसायिक नैतिकता और मानव समृद्धि में आध्यात्मिकता की भूमिका पर चर्चा की. इस कार्यक्रम ने इस बात पर जोर दिया कि आध्यात्मिक मूल्य नैतिक निर्णय लेने, सार्थक नेतृत्व और टिकाऊ कॉर्पोरेट प्रथाओं के लिए एक मजबूत आधार प्रदान कर सकते हैं. कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रार्थना और दीप प्रज्वलन समारोह से हुई. कॉन्क्लेव का नेतृत्व एक्सएलआरआइ के डीन एडमिन व फाइनांस फादर डोनाल्ड डिसिल्वा ने किया. उन्होंने बताया कि आध्यात्मिकता आधुनिक व्यवसायिक वातावरण को कैसे प्रभावित कर सकती है. द कोका-कोला कंपनी के वेस्ट इंडिया की सीनियर डायरेक्टर आरती शर्मा ने अपनी बातों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि व्यवसाय में आध्यात्मिकता का अर्थ भौतिक दुनिया से दूर होना नहीं, बल्कि इसे और अधिक अर्थपूर्ण एवं नैतिक रूप से अपनाना है. अपने विस्तृत कॉर्पोरेट अनुभव से उन्होंने बताया कि सचेतनता (माइंडफुलनेस), सहानुभूति (एम्पैथी) और नैतिक चेतना (एथिकल कॉन्शसनेस) आधुनिक नेतृत्व के लिए आवश्यक गुण हैं. उन्होंने तर्क दिया कि लाभ की अंधाधुंध खोज अक्सर व्यवसायों को उनके नैतिक और सामाजिक दायित्वों से दूर ले जाती है, और इसका समाधान आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित नेतृत्व दृष्टिकोण में निहित है.  उन्होंने कहा, “हमें सफलता को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है. सिर्फ आर्थिक लाभ के रूप में नहीं, बल्कि हमारे संगठनों और समुदायों पर स्थायी, सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता के रूप में.”. इस दौरान उन्होंने किसी भी व्यापार में
आध्यात्मिकता को एकीकृत करने के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं को बताया.
1.नेतृत्व में प्रामाणिकता : सच्चा नेतृत्व भीतर से आता है. आध्यात्मिक दृष्टिकोण आत्म-जागरूकता को प्रोत्साहित करता है, जिससे लीडर प्रामाणिक बने रहते हैं और नैतिक मूल्यों के अनुरूप कार्य करते हैं.
2.सहानुभूति और मानव-केंद्रित निर्णय लेना: व्यवसायों को केवल लेन-देन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें वास्तविक मानवीय संबंधों को विकसित करना चाहिए. सहानुभूति को प्राथमिकता देने वाले नेता अधिक प्रेरित और जुड़ी हुई टीमों का निर्माण करते हैं.
3. माइंडफुलनेस के माध्यम से संकल्प शक्ति : एक ऐसे संसार में जो अस्थिरता और अनिश्चितता से भरा हुआ है, माइंडफुलनेस नेताओं को संतुलित रहने, समझदारी से निर्णय लेने और संगठन के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है.
इस कार्यक्रम के पहले सत्र के बाद एक पैनल डिस्कशन का भी आयोजन किया गया, जिसमें अलग-अलग वक्ताओं ने अपनी बातों को रखा. जिसके बाद यह बात निकल कर सामने आई कि आध्यात्मिक ज्ञान का आधुनिक बोर्डरूम और कॉर्पोरेट रणनीतियों में एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस दौरान कुल 30 पेपर प्रेजेंट किए गए.
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