
जमशेदपुर।
सिख समाज के भीतर गुरुद्वारों के प्रबंधन और प्रधानगी को लेकर बढ़ते विवादों पर चिंता व्यक्त करते हुए, शहर के युवा सिख धर्म प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सिख समुदाय से अपील की है कि गुरुद्वारों में नेतृत्व चयन सेवा भावना के आधार पर किया जाए, न कि पद और सत्ता की लालसा में।
हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने मंगलवार को एक बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया कि वे इस मुद्दे पर सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) के मुख्य सेवादार सरदार भगवान सिंह से मुलाकात कर अपनी भावनाएं एवं सुझाव साझा करेंगे।
उन्होंने कहा, “गुरु घर की मर्यादा राजनीति या पद की लालसा से नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और विनम्रता से बनी रहती है। प्रधानगी को लेकर जो विवाद हो रहे हैं, वे गुरु की शिक्षाओं के सर्वथा विपरीत हैं।”
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सेवा नहीं, सत्ता बन रहा उद्देश्य
हरविंदर सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि आजकल कई गुरुद्वारों में प्रमुख बनने की होड़ लगी है। “जहां कभी सिख अपने गुरु के एक आदेश पर शीश तक समर्पित कर देते थे, आज वहीं पर पद और प्रतिष्ठा के लिए आपसी दरारें पड़ रही हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और सिख परंपराओं से कोसों दूर है।”
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सख्त आचार संहिता की मांग
हरविंदर जमशेदपुरी ने गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए सख्त एवं पारदर्शी आचार संहिता लागू करने की वकालत की। उनका मानना है कि जो लोग समाज या धर्म के प्रति विवादास्पद भूमिका में रहे हैं, उन्हें गुरुद्वारा प्रबंधन से दूर रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि “यदि पहले से कोई आचार संहिता है, तो उसमें संशोधन कर इसे और प्रभावी बनाया जाए ताकि गुरु घर की गरिमा और सिख कौम की एकता बनी रह सके।”
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समाज से सकारात्मक प्रतिक्रिया
हरविंदर सिंह के इस बयान को सिख समाज के विभिन्न वर्गों से सकारात्मक समर्थन मिल रहा है। लोगों ने आशा जताई है कि सीजीपीसी इस दिशा में जल्द कोई ठोस कदम उठाएगी।