• जितना खोज करेंगे उतना आगे बढेंगे – डॉ जेपी मिश्रा, कुलपति, सोना देवी विश्वविद्यालय
• हमें उन परिस्थितियों को भी समझना होगा जो विकास से जुड़े हैं – प्रो डॉ अमर सिंह, प्राचार्य, कोऑपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर
• सामूहिक प्रयास करके ही हम विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं – कुणाल षाड़ंगी
• विकास का लक्ष्य सर्व समावेशी होना चाहिए – प्रभाकर सिंह, कुलाधिपति, सोना देवी विश्वविद्यालय
सोना देवी विश्वविद्यालय घाटशिला के विवेकानन्द ऑडिटोरियम में आज से दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ. “विकसित भारत @ 2047” शीर्षक से आयोजित इस मल्टीडिसीप्लिनरी सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में राजनीति एवं समाजसेवा के माध्यम से शिक्षा एवं समाज का विकास करने वाले शख्सियत श्री कुणाल षाड़ंगी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. वहीं जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ अमर सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रो डॉ चन्द्रचुड़ सिंह ने ऑनलाईन व्याख्यान दिया.
सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जेपी मिश्रा ने अपने संस्मरण में दिशोम गुरू शिबू सोरेन तथा स्वर्गीय रामदास सोरेन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने किस तरह सहयोग के माध्यम से विकास कार्य को नई दिशा दी. डॉ अमर सिंह के बारे में कुलपति डॉ जेपी मिश्रा ने कहा कि इन्होंने कभी उसूलों से समझौता नहीं किया. कुलाधिपति श्री प्रभाकर सिंह के शिक्षा के प्रति समर्पण और अथक योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थान के माध्यम से समाज सेवा करना भी राष्ट्रीय सेवा ही है. शोधकार्य के बारे में कुलपति महोदय ने कहा कि जितना खोज करेंगे उतना आगे बढेंगे.
कोऑपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर के प्राचार्य प्रो डॉ अमर सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में विकसित भारत 2047 के उद्देश्यों की चर्चा की. उन्होंने राजनीतिक परिस्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि हमें उन परिस्थितियों को भी समझना होगा जो विकास से जुड़े हैं और जब 15 अगस्त 1947 को सत्ता का हस्तांतरण हुआ. इन्होंने यह भी बताया कि किन परिस्थितियों में ब्रिटिश क्राउन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सत्ता का हस्तांतरण किया और यदि वे सत्ता के हस्तांतरण की घोषणा करने में विलंब करते तब क्या हुआ होता. डॉ अमर सिंह ने कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए आर्थिक, सामाजिक तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में भी काम करना होगा. विश्व के प्रमुख तीन देशों की श्रेणी में लाने के लिए विकसित भारत 2047 का लक्ष्य रखा गया है और इस लक्ष्य को सफल बनाने के लिए अभियान चलाकर कार्य किया जा रहा है. आजादी के अमृत महोत्सव के समय से ही यह अभियान चलाया जा रहा है. जनसंख्या नियंत्रण, अस्पताल चिकित्सा में एआई के उपयोग की भी संभावना तलाशनी है. रूस यूक्रेन युद्ध, ऑपरेशन सिंदूर तथा टैरिफ वार की चर्चा करते हुए डॉ अमर सिंह ने कहा कि इन्ही परिस्थितियों में भारत को विकसित भारत बनाना है.
राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में श्री कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि सामूहिक प्रयास करके ही हम विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं. विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अभी बाईस वर्षों का समय है. इन्होंने कहा कि जब हम अपनी राष्ट्रभाषा पर गर्व नहीं कर सकते तब विकसित भारत कैसे बनायेंगे. श्री षाड़ंगी ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के बजाय इंडिविजुअल सोशल रिस्पांसिबिलिटी की बात कही. श्री षाड़ंगी ने समय का महत्व और समय प्रबंधन पर बल दिया और कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें स्वयं जिम्मेवारी लेनी होगी. दूसरे पर आरोप लगाने से काम नहीं चलेगा. श्री षाड़ंगी ने लैंगिक समानता और सुरक्षा के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को भारत के विकास के लिए आवश्यक बताया. इन्होंने यह भी कहा कि अब विकास का पैमाना बदल गया है. बिजली, पानी और सड़क जैसे मुद्दों से उपर उठना होगा. वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में शामिल होने के लिए गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा. बुनियादी संरचना के विकास के साथ साथ डिजिटल संरचना के विकास पर भी ध्यान देना होगा. इन्होंने बल देते हुए कहा कि विकसित भारत के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है.
कुलाधिपति श्री प्रभाकर सिंह ने राष्ट्रीय सेमिनार में कहा कि विकास का लक्ष्य सर्व समावेशी होना चाहिए. विश्व बाजार में टिकने के लिए जीओ इकोनॉमिक्स पर ध्यान देना होगा. देश तीसरी बड़ी अर्थवयवस्था बनने के लिए तेजी से अग्रसर है. प्रभाकर सिंह ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए सबसे पहले हमें अपने परिवार को विकसित बनाना होगा तब जाकर समाज और राज्य का विकास हो सकेगा तभी राष्ट्र का विकास होगा. श्री सिंह ने कहा कि विकसित बनने के लिए अभी देश का हर पैमाना अनुकूल है. टैरिफ का जबाब हम स्वदेशी अपनाकर दे सकते हैं. देश को विकसित बनाने के लिए हमें मेड इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया को बढावा देना होगा और आवागमन के लिए आधुनिक संरचना का तेजी से विकास करना होगा. इस अवसर पर रिसर्च स्कॉलरों ने पच्चीस से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किया.

