Jamshedpur Durga Puja2024 :यहां तेलुगु भाषी नवरात्रि में घरों में सजाते हैं गुड़िया और मूर्तियां, विलुप्त होती इस अनोखी परंपरा को बचाने में जुटी है झारखंड तेलुगु सेना व उसकी महिला विंग

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Anni Amrita

जमशेदपुर.

 

नवरात्रि का त्योहार पूरे भारत के विभिन्न इलाकों में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है.महाराष्ट्र,गुजरात व आस पास के क्षेत्रों में जहां गरबा की धूम रहती है वहीं बंगाल, झारखंड व आस पास एक से बढकर एक दुर्गा पूजा पंडाल बनाए जाते हैं.कई क्षेत्रों में लोग उपवास करते हैं.वहीं देश के दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों में गुडियाओं और मूर्तियों को घरों में सजाने की अनोखी परंपरा है.ये गुड़िया और मूर्तियां इस प्रकार सजाई जाती हैं कि वे पौराणिक कथाओं व अन्य उत्सवों व संस्कृति को दर्शाती हैं.तेलुगु में इसे बोम्माला कोलुवु कहते हैं जिसका अर्थ होता है–खिलौनों का दरबार.

जमशेदपुर के तेलुगु भाषी, परंपरा को जीवित रखने के लिए कर रहे हैं पहल
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तेलुगु भाषियों के संगठन ऑल इंडिया तेलुगु कमेटी वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य अपनी सहयोगी झारखंड तेलुगु सेना के साथ मिलकर घरों में गुड़िया सजाने की इस अनोखी परंपरा को जीवित रखने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं.आज की पीढ़ी के अधिकांश बच्चे इस परंपरा को नहीं जानते हैं.इसे जीवित रखने के लिए झारखंड तेलुगु सेना की महिला विंग परंपरा का निर्वाह कर रहे लोगों के बीच एक प्रतियोगिता करवाती है जिसमें प्रतियोगिता की निर्णायक मंडली उन घरों में जाती है जहां गुड़िया व मूर्तियां सजाई जाती हैं और दुर्गा पूजा के बाद विजेताओं को सम्मानित किया जाता है.इस बार झारखंड तेलुगु सेना के संयोजक गोपाल के नेतृत्व में तेलुगु सेना की महिला विंग की प्रेसीडेंट विजयलक्ष्मी, रमा और वरिष्ठ पत्रकार बी श्रीनिवास बतौर जज उन घरों का दौरा कर रहे हैं जहां उपरोक्त परंपरा निभाई जा रही है.इस प्रतियोगिता में निम्नलिखित लोग/टीम भाग ले रही हैं–
1)पी.श्रीनिवास
2)आंध्र महिला समिति 3)वी.मोनिका
4)एके चंद्रलेखा
5)जी महालक्ष्मी
6)गोरथी लक्ष्मी नरसिम्हा

निर्णायक मंडली में शामिल तेलुगु सेना की महिला विंग की प्रेसीडेंट विजयालक्ष्मी और रमा ने बताया कि परंपरा के तहत सीढीनुमा जगहों पर थीम पर आधारित गुड़िया व मूर्तियां रखी जाती हैं. शादी, कोई अन्य समारोह या कुछ अन्य चीजों को थीम बनाया जाता है,लेकिन हर हाल में सबसे ऊपर की सीढी में भगवान की मूर्तियां रखी जाती हैं.जजों ने बताया कि बेटियां खास तौर पर इस परंपरा में भाग लेती हैं.जिन घरों में इस परंपरा को निभाया जाता है वहां हर हाल में प्रत्येक साल गुड़िया सजाई जाती है.

विलुप्त हो रही है परंपरा, तेलुगु सेना बचाने की कर रही है पहल
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ऑल इंडिया तेलुगु कमेटी वेलफेयर एसोसिएशन के तहत कार्यरत झारखंड तेलुगु सेना परंपरा को बचाने की कवायद में जुटी है जिसके तहत उपरोक्त प्रतियोगिता पिछले साल से आयोजित हो रही है.सेना के संयोजक गोपाल का कहना है कि
प्रतियोगिता से लोगों की दिलचस्पी बढ़ती है और इससे ज्यादा से ज्यादा लोग परंपरा से जुडते हैं.निर्णायक मंडली में शामिल बी श्रीनिवास ने बताया कि आज मोबाइल के प्रभाव में बच्चे परंपरा से दूर हो रहे हैं,ऐसे में तेलुगु सेना की यह पहल नई पीढ़ी को अपनी परंपरा से जोड़ने में जरुर सफल होगी.

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