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सीओ से मिलने के बाद सीएम को ट्वीट कर सामाजिक सेवा संघ ने दी जानकारी
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जमशेदपुर : अनुसूचित जाति एवं जनजाति के युवाओं को इन दिनों जाति एवं डोमिसाइल प्रमाण पत्र बनवाने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उक्त दोनों प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 1950 के खतियान का होना अनिवार्यता किया गया है. जिसको लेकर शनिवार को सामाजिक सेवा संघ का एक प्रतिनिधिमंडल जमशेदपुर के अंचलाधिकारी अमित श्रीवास्तव से मिला. संघ के संयोजक राजेश सामंत ने बताया कि इन दिनों स्कूलों ने नामांकन एवं प्रतियोगी परीक्षाओं का फार्म भरने के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अलावे पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए जाति प्रमाण पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है. जिसे बनवाने के लिए युवाओं को खासी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि जमशेदपुर में वर्षों से आदिवासी रहते आ रहे हैं. लेकिन उनके पास खतियान नहीं है. जाति प्रमाण पत्र के लिए आदिवासी युवाओं से 1950 के खतियान की मांग की जा रही है. जबकि झारखंड में दूसरा सर्वे 1964 में हुआ है. ऐसे में 1950 का खतियान मांगना तर्क संगत नहीं है. इसी तरह पिछड़ा वर्ग के लिए 1978 से रहने का प्रमाण पत्र या खतियान की मांग की जा रही है. प्रमाण पत्र नहीं होने की स्थिति में स्थानीय जांच के आधार पर जिसमें मुखिया एवं ग्राम प्रधान की अनुशंसा शामिल होगी उसे प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा. इस प्रक्रिया में काफी लंबा वक्त लगता है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए संघ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने को ट्वीट कर जानकारी दी. कहा कि इस मामले को लेकर जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल रांची जाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलेगा. प्रतिनिधिमंडल में
सपन करवा, छोटे सरदार, मंगल शर्मा, सोनू श्रीवास्तव, कृष्णा हेंब्रम आदि शामिल थे.
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