*जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज ने वीर सपूत सुभाष चन्द्र बोस की जयंती मनाई*
Jamshedpur।
आज जब सम्पूर्ण राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, दिनांक 23 जनवरी 2022 को जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनो इकाईयों की ओर से देश के महान सपूत व स्वतंत्रता संग्राम के अतुलनीय योद्धा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जन्म जयंती पराक्रम दिवस के रूप मनाया गया। इस उपलक्ष्य में ” नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषय पर ऑनलाईन परिचर्चा का आयोजन भी किया गया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 अमर सिंह के द्वारा नेताजी की प्रतिमा में माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की गयी। इस मौके पर डॉ0 कृष्णा प्रसाद, एन0 एस0 एस0 कार्यक्रम पदाधिकारी इकाई -1 ने परिचर्चा में उपस्थित सभी शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों का स्वागत किया एवं नेताजी की जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की नेता जी के बलिदान को याद करते हुए हर वर्ष उनके जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
भौतिकी विभागाध्यक्ष, डॉ0 राजीव कुमार ने नेताजी के वीरगाथाओं की चर्चा की। नेताजी के द्वारा महात्मा गाँधी को लिखे पत्र के विभिन्न पहलुओ पर डॉ0 राजीव ने प्रकाश डाला। नेताजी ने गाँधी जी से अपील कि थी की केवल अहिंसा से आजादी की कल्पना नहीं की जा सकती है।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्राचार्य डॉ0 अमर सिंह ने नेताजी के कई स्मरण और तथ्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आजाद हिन्द फौज को यदि मौका दिया गया होता तो भारत 1944 में ही आजादी का जश्न मनाता। प्राचार्य ने कहा कि नेताजी का राष्ट्र के प्रति निःस्वार्थ सेवा का हमें सम्मान करना चाहिए एवं उसे अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। नेताजी द्वारा निर्मित आजाद हिन्द सरकार में जाति, क्षेत्र या धर्म जैसा कोई भेदभाव नहीं था। उन्होंने कहा कि नेताजी जिन्दा होते तो आजादी के बाद देश का विभाजन नही हुआ होता ।महिला भागीदारी एवं सशक्तिकरण के प्रति वे काफी गंभीर थे तभी आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की स्थापना की थी। दूसरे विश्व युद्ध के समय विश्व के कई देश ऐसे थे जो नेताजी को भारत की आजादी में सहयोग किए। नेताजी की वीरगाथा और आंदोलनकारी व्यक्तित्व की चर्चा केवल भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक पटल पर भी था। उनका संघर्ष, नेतृत्व एवं राष्ट्र प्रथम का संदेश युगो-युगो तक युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने इस वीर सपूत को वह सम्मान दे रहा है जो उन्हें नही मिला जिसके वे हकदार थे।उनकी मृत्यु रहस्यों के आवरण से लिपटी रही है।
डॉ0 दुर्गा तामसोय, एन0 एस0 एस0 कार्यक्रम पदाधिकारी इकाई 2, ने इस ऑनलाईन परिचर्चा में जुड़े सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन श्री अशोक कुमार रवानी ने किया, जबकि श्री सुबोध कुमार, श्री स्वरूप कुमार मिश्रा, श्री चंदन कुमार एवं श्री संजय यादव ने तकनीकि सहयोग दिया।
इस ऑनलाईन परिचर्चा में महाविद्यालय के निम्नलिखित शिक्षक एंव शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित हुए-
डॉ0 नीता सिन्हा, डॉ0 एस0 एन0 ठाकुर, डॉ0 जयंत भगत, डॉ0 मंगला श्रीवास्तव, डॉ0 सुनिता सहाय, डॉ0 संजीव कुमार सिंह, डॉ0 प्रभात कुमार सिंह, डॉ0 भूषण कुमार सिंह, डॉ0 जी0 के0 सिंह, श्री गणेश चन्द्र महतो, इशरत रशुल, श्री मनोज कुमार, श्री प्रशांत कुमार, डॉ0 भावना शुक्ला, डॉ0 खुशवंत कौर, डॉ0 रूचिका तिवारी, डॉ0 विनय चन्द्र पाठक, मो0 इरशाद खान, श्री अजीत दुबे, डॉ0 मीतू आहुजा, डॉ0 नीली कुमारी, प्रीति कुमारी, श्री राजीव दुबे, डॉ0 सरस्वती सरकार, श्री कार्तिक साव, श्री सुभाष चन्द्र महतो, श्री सुनिल कुमार, श्री विश्वनाथ कुमार, श्री कृष्णा बाग, श्री लक्ष्मण बानरा आदि।
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