इलाज के बाद रोगी कर सकते हैं वे सभी काम, जो वे 15 से 20 साल पहले किया करते थे
संवाददाता,जमशेदपुर,05 जुन,
ब्रह्मांनद नारायणा मल्टी स्पेशिएलिटी हाॅस्पिटल ने आज अपने आॅर्थोपीडिक विभाग में डाॅ. रोहित कुमार, एमएस एफ आर सी एस के शामिल होने की घोषणा की। डाॅ. रोहित के साथ ही अस्पताल के आॅर्थोपीडिक विभाग के विशेषज्ञों की टीम की मदद के लिए अब ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी और स्पोट्र्स मेडिसिन की एडवांस्ड तकनीक भी आई है। नारायणा हेल्थ परिवार में डाॅ. रोहित का स्वागत करते हुए ब्रह्मानंद नारायणा मल्टी स्पेशिएलिटी हाॅस्पिटल के फैसिलिटी निदेशक विनीत सैनी ने कहा कि हाॅस्पिटल के आॅर्थोपीडिक विशेषज्ञों की टीम में डाॅ. रोहित कुमार के शामिल होने से अब हम हमारे हाॅस्पिटल में बुजुर्ग रोगियों को बेहतर इलाज मुहैया करा सकेंगे और उनके जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ा सकेंगे। इस मौके पर प्रमुख रूप से डा. सुनील कुमार और डा. राजेश सिंह भी उपस्थित थे।
साकची स्थित एक होटल में डाॅ. रोहित कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में नई तकनीक के आने के साथ ही मेडिकल तकनीक में भी काफी बदलाव आए हैं। ये बदलाव इस इलाज को ज्यादा प्रभावी बनाते हंै और रोगी को कम तनाव देने के साथ जल्दी स्वस्थ होने में उसकी मदद भी करते हैं। उन्होंने कहा कि विकास के साथ ही नई तकनीकों में सटीकता और परफेक्शन आया है, जिससे रोगियों को स्वास्थ्य लाभ प्रक्रिया में फायदा होता है। उन्होंने आगे कहा कि इन सर्जिकल तकनीकों के इस्तेमाल से इलाज में सही नतीजे निकले इसके लिए अच्छी तरह प्रषिक्षित और बेहद अनुभवी आॅर्थोपीडिक सर्जन की जरूरत होती है।
डाॅ. रोहित के अनुसार कंप्यूटर की मदद से होने वाली सर्जरी और हिपरिप्लेसमेंट सर्जरी के डिजाइन व तकनीक में आए बदलाव ने अस्वस्थता को घटा कर रोगी के रिकवरी समय को बेहतर बनाया है। कंधों के जोड़ में होने वाली तकलीफों को दूर करने के लिए शोल्डर आरथ्रोस्कोपी जैसी नई तकनीक जमशेदपुर में पहली बार पेश की गई है। घुटने के प्रत्यारोपण के लिए पहली सर्जरी 1968 में की गई थी। हालांकि वर्ष 2000 के आस पास इनकी लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ। आज आधुनिक तकनीक और कुशल आॅर्थोपीडिक सर्जनों की मदद से बुजुर्ग रोगी भी अपने ज्वांइट्स (जोड़ों) की उम्र 15 वर्ष तक कम कर सकते हैं और एक बार फिर वही सब काम कर सकते हैं, जो वे 15 से 20 साल पहले किया करते थे।
कूल्हों और घुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी अब मिनी मलीइन्वेसिव तकनीक, जिसे की होल प्रक्रिया भी कहते हैं, के जरिये भी मुमकिन है। यह सर्जरी छोटे से छेद के जरिये की जाती है, इसलिए इसमें रोगी को असहजता, दर्द नहीं होता है और उसे लंबे समय तक अस्पताल में नहीं रहना पड़ता। इस तकनीक से इलाज करने के बाद रोगी महज 3-4 दिन में स्वस्थ हो जाता है, जबकि पारंपरिक सर्जरी में रोगी को स्वस्थ होने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगता है। मालूम हो कि डाॅ. रोहित कुमार ज्वाइंट रिप्लेसमेंट (जोड़ों के प्रत्यारोपण) सर्जरी और एडवांस्ड आॅर्थोपीडिक सर्जरी के विशेषज्ञ हैं। उनकी विषेशज्ञता अत्याधुनिक तकनीक के जरिये कूल्हे (हिप) और घुटनों की एडवांस्ड रिप्लेसमेंट सर्जरी, स्पोट्र्स मेडिसिन और खेल के दौरानलगने वाली चोट के इलाज के साथ ही कंधों की आरथ्रोस्कोपी है।