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Home » कलम- 42 साल का 1972 में,खरीदा गया था पेन .5 रुपया कीमत था पेन की कीमत
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कलम- 42 साल का 1972 में,खरीदा गया था पेन .5 रुपया कीमत था पेन की कीमत

BJNN DeskBy BJNN DeskNovember 23, 2014No Comments4 Mins Read
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रवि कुमार झा.जमशेदपुर,23 नवम्बर

अगर आप से पुछा जाए कि आप जिस कलम का प्रयोग कर रहे है उसकी उम्र कितनी है तो आप असंजमस मे पङ जाएगे क्या सवाल किया जा रहा हैं।कलम की भी उम्र होती है  आप कहेंगे कि कलम जब तक ठीक है प्रयोग करो उसके बाद आप फेक दो .

लेकिन आज मै आपको ऐसी व्यक्ति की बात करेगें जो अपने कलम को  42 वर्षो से प्रयोग कर रहे है और तो और आज भी उनकी कलम 42 साल पहले की तरह है य़े कलम जमशेदपुर के नामी गिरामी स्कुल राजेन्द्र  विघालय के प्राचर्य पी वी सहाय के पास हैं.जिनके पास अभी तीन कलम है तीनो की उम्र 40-42 साल के बीच है और यही नही उनको कई कलमो के नाम मॉडल के साथ याद है जिसे उपयोग उन्होने अपने स्कूली जीवन से लेकर क़ॉलेज के जीवन तक किया था।उन्हे खास कर इस कलम से इतना प्यार है कि वे कलम को दूसरे को नही देते ।यहां तक उनके परिवार के अन्य लोग भी इस कलम से दूर ही रहते है ।अगर उस कलम को कोई छूले तो उसकी सामत आ जाएगी उस दिन।

खैर इस कलम को उन्होने कैसे खरीदा उस पर बात करते है—।  बात 1972 ई की है जब वे 8वी क्लास मे पढते थे तब उनके क्लास में उनके मित्र जिसका नाम रवि था  उन्होने हीरो 329 नीब पेन को खरीद स्कूल लाया .उस पेन को लेकर प्रार्चाय साहब  ने भी कुछ लिखा और उन्हे बहुत पसंद आया ।वे स्कुल से घर आ  गए चुकी दो दिन पहले ही उनके पिता ने उन्हे दो पेन खरीद कर दिया थे कैसे वे इस बात की जिक्र करते .और पेन का दाम भी 5 रुपया था ,लेकिन  उन्होने पेन खरीद देने की बात दबी जुबान से अपने पिता को कह दी  पिता ने पेन खरीदने के बाद सुनते ही उसने जमकर ड़ॉट पिला दी ।  वे चुपचाप चले गए , चुकी उस वक्त  पॉकेट खर्च के रुप में 10 पैसे मिलते थे तो उन्होने सोचा कि क्योना अपने 10 पैसे को बचा कर नया कलम खऱीद लुं। इस तरह उन्होने अपना पॉकेट खर्च को जमा करने लगे ।इसी बीच एक दिन उनके पिता ने कहा कि क्या बेटे कलम लोगे बस फिर क्या था खुशी का ठिकाना न रहा । नेकी और पुछ पुछ तुरन्त हां कह दिया गया पिता जी .पिता जी ने कहा कि रविवार को चलना उसी दिन उसे कलम खरीद दी जाएगी।उसके बाद रविवार का इंताजार किया जाने लगा और रविवार आ गया हीरो 329 नीव पेन कलम भी खरीदा गया .जिसकी कीमत उस वक्त 5 रुपया था,कलम आने के बाद वे इतना खुश हुए कि दो साल तक उस कलम को प्रयोग तक नही किया.

समय आया और चला गया एक दिन उन्होने अपने पापा से कहां कि पापा मै  अच्छे नंबर से पास हो जाँउगा तो आप क्यो देगे तो उन्होने कहा कि क्या चाहिए भर पेट मिठाई खिला दी जाएगी। लेकिन उन्होने कहा कि मुझे मिठाई नही कलम चाहिए वही हीरो 329 पापा ने कहा कि इतनी महँगी पेन स्कुल ले जाओगे तो  भुला जाएगा . उन्होने कहा कि कलम मै स्कुल लेकर नही जाँउगा उस कलम को लेकर .इस बात को पापा मान गए और दो कलम उन्हे खरीद कर दे दिया गाया।इस प्रकार प्रार्चाय के पास तीन कलम हो गए और जब दो पेन उनके पास आ गया तब जाकर उन्होने दो साल पहले ली गई पेन को निकाला औऱ उसका प्रयोग करना शुरु किया।और वहा पेन दनादन चल रही है

क्या कहते है प्राचार्य

इस कलम के बारे प्राचार्य पी बी सहाय कहते है कि यह कलन मेरी जान से बढकर है इस कलम से मै काफी कुछ सीखा और सीख भी रहा हुँ.42 बंसन्त देखा  चुका है इतनी दिनो मै एक बार खराब हो चुकी है मै इसे बनाने गया भी था लेकिन दुकानदार से यह नही बना फिर मै घर लाकर खुद प्रयास किया और आज ये कलम मेरे साथ चल रहा हैं.चलता रहेगा मेरे हर कदम मे इस कलम ने सहयोग दिया हैं.

 

 

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