जमशेदपुर: बारीडीह गुरुद्वारा में मंगलवार को 323 वां खालसा पंथ सृजना दिवस परंपरा एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस मौके पर तखत श्री हरिमंदिर साहिब प्रबंधन कमेटी पटना के उपाध्यक्ष सरदार इंदरजीत सिंह ने ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खालसा जाति कुल का शक नहीं करता है।
गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद परिस्थितियों को ध्यान में रखकर 1699 की बैसाखी में आनंदपुर में गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ सजाया था। पांच अलग-अलग जाति एवं देश के पांच कोने से आए श्रद्धालु भाई दयाराम, भाई धर्म चंद्र, भाई मोहकम चंद, भाई साहेब चंद और भाई हिम्मत राय खंडा बाटे का पाहुल अमृत लेकर पहले पांच खालसा सजे और उनके हाथों से गुरु गोविंद सिंह जी ने भी खुद अमृत छका और सिंह सजे।
उन्होंने खालसा दर्शन का व्याख्या करते हुए कहा कि गुरु जी ने साफ कहा था कि उन्हें रहित और मर्यादा प्यारी है। रहित और मर्यादा बिना व्यक्ति तो बस बहुरूपिया ही होता है। उनके अनुसार गुरु जी ने खालसा सजाकर लिंग, जाति, कुल, भाषा, प्रांत के भेद की दीवार गिरा दी।
उनके अनुसार गुरु जी ने अपनी पूरी शक्ति पांच प्यारों को प्रदान कर दी। सत्यवादी खालसे में बड़ी शक्ति होती है। उन्होंने सभी से सिंह सजने की अपील भी की।
इस मौके पर महासचिव सुखविंदर सिंह ने भी संगत को बधाई देते हुए वैशाखी का इतिहास रखा तथा कोविड के दूसरे दौर के मद्देनजर सावधानी बरतने का आह्वान भी किया।
ग्रंथी बाबा निरंजन सिंह ने पाठ का भोग डालने के बाद पूरी सृष्टि के कल्याण की अरदास की और भाई मनप्रीत सिंह के जत्थे ने कीर्तन दरबार सजाया। उसके उपरांत श्रद्धालुओं के बीच पैकेट लंगर का वितरण किया गया।
इस मौके पर चेयरमैन मोहन सिंह, प्रधान जसपाल सिंह, सलाहकार सुरजीत सिंह खुशीपुर, झारखंड सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष गुरचरण सिंह बिल्ला, सुखविंदर सिंह गिल, जत्थेदार कुलदीप सिंह, अवतार सिंह स्त्री सत्संग सभा प्रधान बीबी मनजीत कौर जसपाल कौर सुरजीत कौर सहित बड़ी संख्या में अन्य लोगों ने गुरु दरबार में हाजिरी भरी।
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