Close Menu
Bihar Jharkhand News NetworkBihar Jharkhand News Network
  • बड़ी खबरें
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • झारखंड
  • ओडिशा
  • राजनीति
  • कारोबार
  • खेल-जगत
  • मनोरंजन
  • ज्योतिषी
  • कैरियर
  • युवा जगत
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • स्वास्थ्य
  • अपराध
Facebook X (Twitter) Instagram
Bihar Jharkhand News NetworkBihar Jharkhand News Network
Facebook X (Twitter) Instagram
  • होम
  • देश-विदेश
  • बिहार
    • पटना
    • दंरभगा
    • भागलपुर
    • मधुबनी
    • मधेपुरा
    • शेखपुरा
    • सहरसा
    • सुपौल
    • अररिया
    • अरवल
    • औरंगाबाद
    • कटिहार
    • किशनगंज
    • कैमुर
    • खगड़िया
    • गया
    • गोपालगंज
    • जमुई
    • जहानाबाद
    • नवादा
    • नालंदा
    • पश्चिम चंपारण
    • पूर्णियां
    • पूर्वी चंपारण
    • बक्सर
    • बाँका
    • भोजपुर
    • मधेपुरा
    • मुंगेर
    • मुजफ्फरपुर
    • रोहतास
    • लखीसराय
    • वैशाली
    • शिवहर
    • शेखपुरा
    • समस्तीपुर
    • सहरसा
    • सारन
    • सीतामढी
    • सीवान
  • झारखंड
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • हजारीबाग
    • कोडरमा
    • दुमका
    • सरायकेला-खरसांवा
    • चतरा
    • गढ़वा
    • पलामू
    • लातेहार
    • खुंटी
    • गिरीडीह
    • गुमला
    • गोड्डा
    • चाईबासा
    • जामताड़ा
    • देवघर
    • धनबाद
    • पाकुड़
    • रामगढ
  • ओडिशा
    • रायगडा
    • संबलपुर
    • सुंदरगढ़
    • सुबर्णपुर
    • जगतसिंहपुर
    • जाजपुर
    • झारसुगुडा
    • ढेंकनाल
    • देवगढ़
    • नबरंगपुर
    • नयागढ़
    • नुआपाड़ा
    • पुरी
    • बरगढ़
    • बलांगीर
    • बालासोर
    • बौद्ध
    • भद्रक
    • मयूरभंज
    • मलकानगिरी
  • राजनीति
  • विशेष
  • युवा जगत
  • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • साक्षात्कार
    • मनोरंजन
    • खेल-जगत
Bihar Jharkhand News NetworkBihar Jharkhand News Network
  • बड़ी खबरें
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • झारखंड
  • ओडिशा
  • राजनीति
  • कारोबार
  • खेल-जगत
  • मनोरंजन
  • ज्योतिषी
  • कैरियर
  • युवा जगत
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • स्वास्थ्य
  • अपराध
Home » जमशेदपुर विश्वकर्मा समाज के 75 साल » Page 2
Top Stories

जमशेदपुर विश्वकर्मा समाज के 75 साल

BJNN DeskBy BJNN DeskDecember 22, 2014Updated:December 22, 2014No Comments10 Mins Read
Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email Telegram WhatsApp Copy Link

जमशेदपुर ,22 दिसबंर

जमषेदपुर विश्वकर्ना समाज के 75 साल के इतिहास के पन्नों को जब हम पलटते हैं तब हम पाते हैं जमषेदपुर शहर जब कालीमाटी नाम से जाना जाता था। तब से विष्वकर्मा बंधुओं का इस षहर से संबंध है अथार्त जितना यह शहर पुराना है। उतना हमारा संबंध पुराना है। कालीमाटी के आस-पास लौह अयस्क का प्रचुर भंडार होने के कारण जमशेदजी ने सन् 1904 में इस धरती पर लोहे के कारखाने की नींव रखी। इसकी नींव रखते ही इस कारखाने को बनाने एवं चलाने की रुपरेखा बनने लगी। कम्पनी बनाने के लिए धन चाहिए उसकी पूर्ति स्वयं टाटाजी करेंगे परंतु कम्पनी चलाने के लिए कुशल कारीगर चाहिए उसकी पूर्ति कौन करेगा और कैसे करेगा? यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न था जिसका उत्तर किसी के पास नहीं था क्योंकि कालीमाटी का भूभाग खनिज संम्पदा से लबालब होते हुए भी देश के नक्शे में धुंधलापन लिए हुए था दिखाई नहीं पड़ता था। इसलिए इस कालीमाटी को खोजना आम लोगों के लिए आसान नहीं था। कुशल कारीगरों को यहाँ कैसे लाया जाए इस पर चिंतन मंथन होने लगा। इसकी तलाष में कम्पनी के आला अधिकारी लग गए। उनकी तलाष को विष्वकर्मा बंधुओं ने विराम दिया।अच्छे और सस्ते षिल्पीकारों के रुप में विष्वकर्मा बंधुओं ने अपनी सेवा प्रदान करना षुरू कर दिए। कालीमाटी में रहने वाले विष्वकर्मा संतति जिन्हें कर्मकार एवं लोहरा के नाम से जाना जाता है वे भी आगे आए। देश के अन्य इलाके के विश्वकर्मा बंधुओं का यहाँ आना प्रारंभ हो गया। उस समयकारखाने के लिए ऐसे षिल्पीकारों की सख्त जरूरत थी जो अपनी तकनीकी क्षमता से कारखाने की जरूरतों को पूरा कर सके। बिहार राज्य के विभिन्न हिस्सों से आकर विष्वकर्मा बंधुओं ने इस कमी को सहज में ही पूरा कर अपने राष्ट्रधर्म का परिचय दिया।उस समय तकनीकी प्रषिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं थी परंतु तकनीषियन की भारी आवष्यकता थी जैसे ब्लैकस्मिथ विभाग में लोहार की तो पैटर्न षाॅप में बढ़ई की। दोनों विभागों को विष्वकर्मा बंधुओं ने अपने जन्मजात षिल्पकला के ज्ञान सेे बखुबी अंजाम दिए और कारखाने की उत्पादकता बढ़ाने में अपनी अहम् भूमिका निभाए। इसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। विष्वकर्मा बंधुओं के कला-कौषल से प्रभावित होकर कारखाने के अधिकारी इन्हें अन्य विभागों में काम करने के लिए चयन करने लगे। साथ ही इनसे आग्रह भी करने लगे कि अपने जैसा और कारीगरों को अपने गाँव से लेकर आएँ। उस समय नौकरी करने वालों को गाँव के लोग अच्छी नजरों से नहीं देखते थे इसलिए यहाँ से अपने गाँव जाने वाले कम्पनी के कर्मचारी अपनी नौकरी के बारे में अपने गाँव के लोगों से खुल कर बात नहीं करते थे लेकिन कारखाने की आवष्यकताओं को देखते हुए अपने गाँव के कुछ लोगों को चुपचाप यहाँ लाते थे। यह सिलसिला चलता रहा। लोग आते रहे। षहर विकसित होता रहा। परिवार बसते रहे और कम्पनी की आवष्यकतओं की पूर्ति होती रही। कारखाने के बाद बाहरी जीवन जीने के लिए मेलजोल बढ़ा और जमशेदपुर विश्वकर्मा समाज की नींव 1939 वर्ष में पड़ी। इसके संस्थापक सह प्रधान श्री गौरीशंकर शर्मा,उपप्रघान श्री परमानंद शर्मा,मंत्री श्री नथुनी प्रसाद शर्मा,सहायक मंत्री श्री अशर्फी लाल शर्मा एवं श्री रामपति शर्मा,कोषाध्यक्ष श्री छोटे लाल शर्मा एवं कार्यकारिणी के सदस्यों में छेदी लाल शर्मा(आमबगान से),राम प्रसाद शर्मा उर्फ महाशयजी(गंधक रोड से),श्री राम प्रवेश शर्मा(मनीफीट से),श्री छत्रपति शर्मा(बिष्टूपुर से),श्री रामवृक्ष शर्मा(रानीकूदर से),श्री विष्णु शर्मा(एग्रिको से),श्री रामसेवक शर्मा(जुगसलाई से),श्री भरत शर्मा एवं श्री राम प्रसन्न शर्मा (साकची से)एवं श्री बाबूलाल शर्मा(साकची, अमानत रोड) से चुने गए। वर्ष 1940 में श्री यदुवंशी विश्वकर्मा समाज में अपना योगदान देने स्वंय आगे आए जो पटना के दानापुर के निवासी थे और टाटा कम्पनी के साउथ पार्क उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक के रुप में बहाल हुए थे। स्वयं शिक्षक होते हुए भी इन्होंने अपने आगे की पढ़ाई जारी रखे और एल.एल.बी.एवं भूगोलशास्त्र में डाक्टरेट की डिग्री हासिल किए। वल्र्ड हेल्थ आर्गनाजेशन ने जब भारत में चेचक उन्मूलन अभियान प्रारभ किया था तब सिंहभूम के दोनों जिलों के देहातो में कार्य प्रारंभ करने के लिए नक्शे की आवश्यकता महसूस हुई। डा. यदुवंशी विश्वकर्मा जी ने इस कमी को दूर किए। इनके कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा हुई। वे उन्नति करते हुए शिक्षक से टाटा स्टील के सहायक शिक्षा पदाधिकारी बने।कम्पनी की आवष्यकतओं की एवं बाहर से जो कम्पनी में काम करने के लिए लोग आए उनकी घरेलू आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ विष्वकर्मा बंधु व्यवसाय में भी उतर गए उन्हीं में एक नाम रामदास षर्मा का है जो उत्तर प्रदेष के बलिया से यहाँ पहुँचे और कम्पनी के कार्यादेष पाकर बिष्टूपुर बाजार में दुकानों के निर्माण

 

किए। बिष्टूपुर के पास रामदास जी ने ईटा भðा प्रारंभ किए। षायद कालीमाटी की धरती पर यह पहला ईटा भðा होगा। यह ईटा भðा जहाँ था उसे ही आज रामदास भðा के नाम से जाना जाता है। रामदास बाबू के पुत्र गौरीषंकर षर्मा एवं परमानंद षर्मा ंने षहर को बनाने में टाटा कम्पनी को भरपूर सहयोग दिए।
श्
वर्ष 1961में मनीफीट बस्ती के पास ‘‘मेसर्स रामदास आयल इंडस्ट्रीज’’ की ं स्थापना श्री गौरीषंकर षर्मा एवं परमानंद षर्माके द्वारा की गई इसी में ‘‘विष्वकर्मा औद्योगिक प्रषिक्षण प्रतिष्ठान’’ को प्रारंभ करने में श्री रामवृक्ष ठाकुर एवं श्री राम लाल राम का अपूर्व योगदान रहा। श्री परोपकारी विश्वकर्मा इसके चैयरमैन बने। इस संस्थान में विश्वकर्मा समाज के बच्चों के अलावे अन्य समुदाय के बच्चे भी मेकानिकल ड्राफ्टस् मैनशीप एवं फीटर का प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे।1969 में राज्य सरकार की उदासीनता के कारण इस संस्थान को बंद कर देना पड़ा।

कारखाने में विष्वकर्मा पूजा प्रारंभ करने का श्रेय विष्कर्मा बंधुओं को जाता है। कारखाने में काम की जगह पूजा होते देख लोंगो के मन में कौतुहल जगा। कारखाने के वरीय अधिकारियों ने जब उन्हें पता चला यह पूजा उस देवता की है जिनकी वजह से कारखाने में उत्पादन,उत्पादकता,कर्मचारियों की सुरक्षा,सम्द्धि और शान्ति की वृद्धि के लिए की जाती है। तब वे बहुत खुश हुए और कम्पनी के खर्चे पर पूजा करने का आदेश दिया। विष्वकर्मा पूजा की बढ़ती हुई लोकप्रियता देख कर, श्री गौरीष्ंाकर षर्मा,श्री परमानंद षर्मा,श्री नथुनी प्रसाद षर्मा,श्री केदार नाथ षर्मा,डा.यदुवंषी विष्वकर्मा,श्री हरनिारायण षर्मा,श्री रामेष्वर षर्मा,श्री साधुचरण षर्मा,श्री लक्ष्मी निधि श्री सुखारी षर्मा,श्री धु्रव प्रसाद आदि ने विष्वकर्मा पूजा के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को करने का विचार किया। इसके लिए हिन्दुस्तान मित्र मंडल,आर्य समाज भवन,उत्कल सोसाईटी एवं ए.डी.एल.प्रेक्षागृह का उपयोग किया जाने लगा। जिसमें टाटा कम्पनी ,स्थानीय प्रषासनिक पदाधिकारी एवं बिहार सरकार के मंत्री षामिल होने लगे जिनमें प्रमुख हैं टाटा स्टील के श्री आर.एच.मोदी,श्री एस.सी.जोषी,श्री एन.जी.हेली,श्री पी.एच.कुटार, श्री आर.एस.पाण्डे,श्री जी.कुमार,श्री आर.पी.बिल्मोरिया,श्री पी.अनन्त,श्री एच.पी.बोधनवाला,प्रो.ए.डी.ंिसह,टाटा मोटर्स के श्री एच.एस.वर्मा एवं प्रषासन के श्री जे.पी.श्रीवास्तव(डी.सी.), श्री बी.के.हलधर(डी.सी.) श्री एन.सी. नारायण,श्री एन.पी.सिंहा,श्री एस.सी.गुप्ता,श्री पी.सी. पटनायक,श्री विजय किषोर (सभी अनुमंडल पदाधिकारी) श्री एल.पी षाही (मंत्री बिहार सरकार) आदि ने खुले दिल से षामिल होकर जयंती के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुफ्त उठाया एवं हस्तकला प्रदर्षनी की भूरी-भूरी प्रषंसा की। सपूडेरा में समिति ने दान में प्राप्त की हुई जमींन पर लोगों के सहयोग से एक प्राइमरी स्कूल का परिचालन प्रारंभ किया जो वहाँ के स्थानीय लोगों के लिए एक वरदान साबित हुआ। जिसमें श्री परषुराम षर्मा,श्री हरिनारायाण षर्मा,श्री छत्रपति षर्मा,श्री रामलाल षर्मा एवं श्री लक्ष्मी निधि ने इस कार्य को साकार रुप देकर समाज का मान बढ़ाया। समाज उसे निबंधित कराने के लिए सक्रिय हुआ परंतु सरकारी अकर्मणयता के कारण विष्वकर्मा समिति द्वारा प्रज्वलित षिक्षा की लौ एक दिन हमेषा के लिए बुझ गई। सन् 1958 में जमषेदपुर को आठ हिस्सों में बाँट कर समाज का संचालन प्रारंभ किया। सदस्यों के सुझाव पर पुनः जमषेदपुर को आठ से बढ़ा कर सोलह हिस्सों में बाँटा गया। वर्ष 1964 में जुगसलाई श्री सीताराम शर्मा ने अपनी जमींन पर विश्वकर्मा मंदिर का निर्माण किया। जो आज भी जुगसलाई से बागबेड़ा जाने के रास्ते के बगल में स्थित है। इसी मंदिर के पीछे की जमींन पर एक सभागार का काम वतर्मान में निमार्णाधीन है। जिसे जुगसलाई क्षेत्र के विश्वकर्मा समाज के सदस्य पूरा करने में प्रत्यनशील हैं।
वर्ष1975 में कुल भास्कर श्री यदुवंशी विश्वकर्मा के सभापतित्व काल में समाज के लिए जमींन खरीदने का निर्णय लिया गया। साकची बाराद्वारी कुम्हार में 577 प्लाट खरीदा गया। इसमें तत्कालीन महामंत्री श्री रामेश्वर शर्मा,श्री सियाराम शर्मा,श्री बालेश्वर शर्मा,श्री नथुनी प्रसाद शर्मा,श्री हरिनारायण शर्मा,श्री राम विश्वकर्मा शर्मा एवं श्री सीताराम शर्मा(काशीडीह)के अथक एवं सराहनीय प्रयास का समाज ऋणी है। इसी जमींन पर आज‘‘विश्वकर्मा सांस्कृतिक भवन’’ विश्वकर्मा बधुओं की प्रगति की गाथा कह रहा है। इसके निर्माण में श्री चंद्रिका शर्मा, श्री दिनेशदत्त शर्मा,श्री अंगद शर्मा,श्री सूर्यदेव शर्मा,श्री सुरेशचंद विश्वकर्मा,श्री सच्चिदानंद शर्मा(जुगसलाई ठेकेदार),श्री कन्हैयालाल विश्वकर्मा,श्री मदनमोहन शर्मा,श्री देवनाथ शर्मा,श्री अरुण कुमार ठाकुर,श्री शिवदयाल शर्मा,श्री ए.के.विश्वकर्मा ,श्री नरेश शर्मा,श्री सरयु प्रसाद शर्मा,श्री अनूपलाल शर्मा,श्री रामेश्वर शर्मा,श्री साधुचरण शर्मा आदि के साथ सोलह क्षेत्र के एक-एक सदस्य ने अपने खून-पसीने की कमाई 1000-1000 रुपये दान में देकर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाहन किए। भवन निर्माण

 

मंे श्री अरुण कुमार ठाकुर, श्री रमेश शर्मा, श्री सूर्यदेव शर्मा, श्री शिवनाथ शर्मा, श्री दिनेश दत्त शर्मा, श्री राम बृक्ष ठाकुर, श्री सच्चिानंद शर्मा, श्री शिव दयाल शर्मा, श्री जय प्रकाश शर्मा, श्री गुप्तेश्वर शर्मा, श्री किशोर शर्मा, श्री परोपकारी विश्वकर्मा एवं जय नारायण आदि मुख्य दानकर्ता हैं, जिसमे अधिकतम व्यक्तिगत दान राशि 1,21,111/- रूपये मात्र हैं।

वर्ष 1992 में समाज ने स्वर्ण जयंती समारोह तत्कालीन सभापति श्री रामेश्वर शर्मा एवं महामंत्री श्री अनूलाल शर्मा के कार्यकाल में स्थानीय टैगोर सोसाइटी के प्रेक्षागृह में मनाया। समारोह के मुख्य अतिथि श्री वी.जी.गोपाल,अध्यक्ष टाटा वर्कर्स यूनियन एवं देश के विभिन्न हिस्सों से आए विश्वकर्मा समाज के प्रमुख सदस्यों की उपस्थिति में मनाई गई। इसमें समाज के बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आज भी सब याद रखे हैं। इस अवसर पर श्री नथुनी प्रसाद शर्मा एवं श्री परोपकारी विश्वकर्मा को कुलभास्कर श्री साधुचरण शर्मा एवं श्री शिवदयाल शर्मा को कुल भूषण और श्री ए.के. विश्वकर्मा एवं श्री अरुण कुमार ठाकुर को कुल गौरवसम्मान से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष युवा मंच एवं महिला मंच का गठन हुआ। सर्व सम्मति से युवा मंच के संयोजक श्री जियुत शर्मा बनाए गए। श्रीमती जनकनंदनी देवी महिला समिति की अध्यक्षा एवं श्रीमती कुन्ती देवी सचिव निर्वाचित हुई। सुश्री मीरा देवी को संगठन मंत्री बनाया गया। बाद में महिला समिति की अध्यक्षा श्रीमती सुदामा देवी बनी। वर्तमान में महिला समिति की संयोजिका श्रीमती आशा ठाकुर हैं एवं युवा मंच के संयोजक श्री रामविलास शर्मा हैं। वर्ष 1989 में श्री दिनेश दत्त शर्मा समाज के सभापति,श्री सूर्यदेव शर्मा एवं श्री सच्चिानंद शर्मा उपाधक्ष,श्री सरयु प्रसाद शर्मा महामंत्री निर्वाचित हुए। इनके कार्यकाल में समाज के भवन में होटल मैनेजमेंट कालेज प्रारंभ की गई जो शहरवासियों के लिए आकर्षक का केन्द्र रहा। सन् .2011 को श्री दिनेश दत्त शर्मा एवं सरयु प्रसाद शर्मा को आमसभा बुलानी पड़ी। जिसमें श्री अरुण कुमार ठाकुर अध्यक्ष,श्री अक्षयवट शर्मा एवं श्री राजकिशोर शर्मा उपाध्यक्ष,श्री अर्जून शर्मा महामंत्री श्री शालीग्राम मिस्त्री कोषाध्यक्ष निर्वाचित हुए।नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के तत्वावधान में भवन का जीर्णोद्धार प्रारंभ हुआ। भवन से आमदनी होनी शुरू हुई। विकास के काम गतिमान हुए। मेधावी विद्यार्थियों को स्व.शिनंदन ठाकुर (जो वर्तमान अध्यक्ष श्री अरुण कुमार ठाकुर के पिता हैं)के नाम से स्कॅारशिप दिया जाने लगा। आमसभा में प्रस्ताव पारित हुआ कि पैसे के अभाव में किसी भी मेधावी बच्चे की पढ़ाई नहीं रूकेगी। उन्नति अवन्नति के रास्ते से गुजरते हुए जमशेदपुर विश्वकर्मा समाज 75 साल पार कर जमशेदपुर के इतिहास में अपना नाम अंकित कराने में सफल हो सका। इसका गर्व हर विश्वकर्मा को है।

सम्प्रति मे जमशेदपुर विश्वकर्मा समाज का नेतृत्व ही पुरे झारखण्ड का नेतृत्व कर रहा है एवं समाज के सर्वागिंन विकास की ओर तेजी से प्रगति की ओर बठ़ रहा है।

 

 

 

1 2
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email Telegram WhatsApp Copy Link

Related Posts

JAMSHEDPUR NEWS :बिष्टुपुर में श्रीमद भागवत कथा आज से, भव्य कलश यात्रा के साथ होगा शुभारंभ

July 22, 2025

JAMSHEDPUR NEWS : सारथी की नई पहल- महिलाओं के आत्मनिर्भर भविष्य की ओर एक मजबूत कदम

July 22, 2025

JAMSHEDPUR NEWS ;जमशेदपुर पूर्वी में जदयू का जनसंपर्क अभियान तेज

July 21, 2025
Facebook X (Twitter) Pinterest Instagram YouTube Telegram WhatsApp
© 2025 BJNN. Designed by Launching Press.
  • Privacy Policy
  • Terms
  • Accessibility

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.