अजीत कुमार ,जामताड़ा,07अप्रेल
उदयाचलगामी सूर्य के अर्घ्य के साथ ही जहाँ चैती छठ का महापर्व संपन्न
हुआ वैसे ही गर्मी ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए.तेज हवा के झोंके और
चिलचिलाती धुप ने लोगो को घर से निकलना मुश्किल कर दिया. आम दिनों की अपेक्षा रविवार को लोग सड़को पर कम ही नजर आये. जामताड़ा में आज तापमान लगभग ३८ डिग्री सेल्सियस रहा. चुनावी पारा के साथ-साथ मौसम का भी पारा परवान चढ़ने लगा है. वैसे मौसम के अनुसार ही जामताड़ा के मतदाताओ का भी मिजाज ऊपर-नीचे हो रहा है. लोग कंफ्यूजन में है की किस तरफ जाया जाये. जैसे लोग वासी बात. हर १० कदम के
बाद राय देने वाले लोग बदल रहे है और नयी समीकरण समझा कर निकल जा रहे है.आलम यह है की मौसमी गपशप में कहने और सुनने वाले दोनों कंफ्यूज्ड होते जा रहे है. कोई गुरु की अहमियत समझा रहा है तो कोई गुरूजी की, कहीं फूलो की हो रही है तो कही हक़ और हुकुक की बाते उठ रही है.कोई अखाड़े के पुराने खिलाडी के साथ दिख रहे है तो कोई कोई प्रतिद्वन्दी के समर्थन में खड़े है.
लोग लहर में पार उतरने के पक्षधर है तो कुछ लहर के विपरीत तैर कर
मंजिल तक पहुँचने के समर्थन में दिख रहे है. किसी को पारंपरिक वोट बैंक
पर भरोसा है तो कोई सेंधमारी का दावा कर रहे है. लेकिन उसपर अभी किसी की नजर नहीं जा रही है जो जिनका जमीनी स्टार पर अपनी अलग साख और पहचान है.जिसने तब उन मजबूर लोगो का साथ दिया था जब बड़े-बड़े समीकरण बनाने वाले दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे थे.
बहार हाल परिणाम जो भी हो लेकिन स्थानीय स्तर के उम्मीदवार इस बार लोगो के समीकरण को पूरी तरह से प्रभावित करेंगे. चाहे जातीय आधार हो या फिर संगठनात्मक. क्योंकि जातीय और सामुदायिक स्तर पर हक़-हुकुक के लिए वर्षो से जारी संघर्ष में चुनावी मैदान में खड़े महारथियों ने वैसे दावेदारों को
पीठ दिखाने का काम किया था. जिसमे भुइयां, घटवार, घटवाल, कोल, भील,
पहारिया, वैश्य, स्वर्णकार, मोदक समाज, मेलर जाती शामिल है. कोई
उम्मीदवार दे रहा है तो कोई यूज़ समर्थन. जिनका कोई उम्मीदवार नहीं है वे
वोट बहिष्कार की धमकी दे चुके है. ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा कहना
मुश्किल दिख रहा है.
Next Post
Comments are closed.