दुमका
लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और अपूर्वया के संपादक डा. यूएस आनंद की लोकप्रिय बाल पुस्तक ‘तीन कंजूस व अन्य कहानियाँ’ 17 साल बाद एक बार फिर बच्चों को गुदगुदाने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT) द्वारा इस किताब का नया संस्करण प्रकाशित किया गया है, जो आज के डिजिटल युग में बच्चों को किताबों की दुनिया से फिर से जोड़ने का एक प्रयास है।
डिजिटल युग में किताबों की वापसी
आजकल बच्चे अपना ज़्यादातर समय मोबाइल और सोशल मीडिया पर बिताते हैं। दादा-दादी से कहानियाँ सुनना या नंदन, चंपक जैसी पत्रिकाओं को पढ़ना अब बीते जमाने की बात हो गई है। ऐसे में ‘तीन कंजूस व अन्य कहानियाँ’ का नया संस्करण एक ताजी हवा के झोंके जैसा है।
यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की ‘नव साक्षर साहित्य माला’ श्रृंखला के तहत 9 जुलाई 2025 को प्रकाशित हुई है। इसका उद्देश्य नए साक्षर हुए लोगों को आसान और मजेदार साहित्य उपलब्ध कराना है ताकि उनमें पढ़ने की आदत बनी रहे।
मनोरंजन और नैतिकता का अनूठा मेल
डॉ. यूएस आनंद द्वारा लिखित यह संग्रह अपनी मनोरंजक और शिक्षाप्रद कहानियों के लिए जाना जाता है। इसमें हास्य और नैतिकता का सुंदर मिश्रण है, जो बच्चों को खूब पसंद आता है। शीर्षक कहानी ‘तीन कंजूस’ हास्यपूर्ण तरीके से कंजूसी की आदत को उजागर करती है, जिससे बच्चे हँसते-हँसते एक महत्वपूर्ण सीख भी पाते हैं।
इस पुस्तक की कहानियों को देवयानी दास गुप्ता द्वारा बनाए गए आकर्षक चित्र और भी जीवंत बना देते हैं। ये चित्र कहानियों को समझने में मदद करते हैं और उन्हें और भी दिलचस्प बनाते हैं।
क्यों पढ़ें यह किताब
हंसी और सीख: इसमें ऐसी कहानियाँ हैं जो बच्चों को हंसाती हैं और उन्हें जीवन के लिए छोटी-छोटी मगर महत्वपूर्ण सीख भी देती हैं।
सरल और आकर्षक: इसकी भाषा बहुत ही सरल है, कहानियाँ रोचक हैं और चित्र बहुत ही मजेदार।
डिजिटल दुनिया से ब्रेक
यह किताब बच्चों को मोबाइल और टीवी से दूर करके किताबों की अच्छी दुनिया में वापस लाएगी।
दुमका के संताल परगना कॉलेज के व्याख्याता डॉ. यदुवंश प्रणय और होप हॉस्पिटल की चिकित्सक डॉ. अंकिता सिंह जैसे विशेषज्ञों ने भी इस प्रयास की सराहना की है। उनका मानना है कि यह पहल बच्चों और युवाओं में पढ़ने की आदत को फिर से जगाने में मददगार साबित होगी।


