जाने-माने साहित्यकार ,कवि और राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका ‘अपूर्व्या’ के संपादक डॉ. यू एस आनंद को आनंद शंकर माधवन साहित्य रत्न से सम्मानित किया गया। शुक्रवार देर शाम मंदार विद्यापीठ के अद्वैत मिशन प्रांगण में माधवन स्मृति भवन का शुभारंभ और राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सह सम्मान समारोह आयोजित हुआ।
फरवरी की अंतिम ठंड के बीच साहित्य मनीषी आनंद शंकर माधवन के जन्मोत्सव पर यह आयोजन देर रात तक चला। देश के जनप्रिय कवियों और कवयित्रियों ने कविता पाठ कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर डॉ. यू एस आनंद को प्रशस्ति पत्र और 51 हजार रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई। कार्यक्रम की शुरुआत से पहले स्वामी आगमानंद महाराज ने माधवन स्मृति भवन का उद्घाटन किया। मंदार पर्वत के नीचे एक छोटी सी झोपड़ी से दक्षिण भारत के संत ने हिंदी साहित्य की साधना में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। दशकों पहले उन्होंने बौसी मंदार क्षेत्र में शिक्षा और हिंदी के प्रचार-प्रसार का सपना देखा था, जो अब साकार हो रहा है। अद्वैत मिशन विश्वविद्यालय का स्वरूप लेने की ओर अग्रसर है। जहां उन्होंने साहित्य साधना के लिए देह त्याग दी, उस स्थल को संग्रहालय के रूप में आम लोगों के लिए खोल दिया गया। स्वामी आगमानंद ने दीप जलाकर माधवन स्मृति भवन का उद्घाटन किया। भवन के मुख्य द्वार पर माधवन का विशाल चित्र देख सभी की आंखें नम हो गईं।
स्मृति भवन में साहित्य ऋषि आनंद शंकर माधवन की उपयोग की गई वस्तुएं रखी गई हैं। उनकी समस्त पुस्तकें और रचनाएं यहां संजोई गई हैं। उनके लिखे शब्द किसी मंत्र से कम नहीं हैं। इस मौके पर कई साहित्यकारों और विद्वानों ने उनके साथ बिताए पलों को याद किया। भावनाओं को व्यक्त करते हुए स्वामी आगमानंद की आंखें भर आईं। इस अवसर पर अद्वैत मिशन के सचिव अरविन्दाक्षण माडम्बथ, ‘अपूर्व्या’ के संपादक डॉ. यू एस आनंद और साहित्यकार अचल भारती की भी आंखें नम हो गईं। अद्वैत मिशन परिवार की ओर से स्मृति भवन के निर्माण और रखरखाव से जुड़ी सभी जानकारियां साझा की गईं।
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