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Home » दरभंगा -बौद्ध साहित्य में मिथिला की महिलाओं की हिस्सेदारी अन्य इलाकों से अधिक.- शिव कुमार
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दरभंगा -बौद्ध साहित्य में मिथिला की महिलाओं की हिस्सेदारी अन्य इलाकों से अधिक.- शिव कुमार

BJNN DeskBy BJNN DeskMay 29, 2019No Comments3 Mins Read
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दरभंगा। भारत का शिक्षा इतिहास बिना मिथिला के उल्लेख किए संभव नही है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक मिथिला महिला शिक्षा का केन्द्र रहा है। बौद्ध साहित्य में भी मिथिला की महिलाओं की हिस्सेदारी किसी अन्य इलाके से अधिक देखने को मिलती है। बौद्ध साहित्य में मिथिला से थेरियों की एक लंबी सूची मिलती है जो मिथिला की महिलाओं के साहित्य सृजन के साथ ही उनके सशक्तिकरण को भी दर्शाता है। उक्त बातें बिहार रिसर्च सोसाइटी पटना के शोध सहायक डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कही । आचार्य रामनाथ झा हेरिटेज सीरीज के तहत बौद्ध साहित्य में मिथिला की महिलाओं का योगदान बिषय पर गांधी सदन में आयोजित राम लोचन शरण स्मृति व्याख्यान देते हुए डॉ. मिश्र ने मिथिला की थेरियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बौद्ध साहित्य में सीहा, जयंती, विमला, रोहिणी आदि कई थेरियों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मिथिला का इतिहास महिला शसक्तीकरण का इतिहास है । जो चीजें हज़ारो वर्ष पहले मिथिला में मौजूद थी आज हमें उसकी जरूरत महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि मिथिला के गौरवशाली इतिहास को जीवंत करने के लिए एक बार फिर हमें महिला शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देना होगा। सभा की अध्यक्षता करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी श्री गजानन मिश्र ने कहा कि विगत सदियों में मिथिला की महिलाओं की न केवल शैक्षणिक हिस्सेदारी कम हुई है बल्कि उनकी संख्या में भी अनुपातित ह्रास हुआ है । 1881 कि जनगणना में जहाँ पुरुषो के मुकाबले महिलाओं की संख्या अधिक थी वही 1961 आते-आते यह संख्या पुरुषो के बराबर हो गई। महिला शसक्तीकरण के क्षेत्र में भी महिलाओं को हिस्सेदारी कम हुई है। 1970 में जहाँ 1 एकड़ धान के खेत मे 50 से अधिक मजदूरों के बीच महिलाओं की संख्या 30 के करीब थी वही आज यह अनुपात 5:6 रह गई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अभाव महिलाओं के आर्थिक शसक्तीकरण और साहित्य सृजन में उनकी हिस्सेदारी को कम किया है। ऐसे में महिलाओं में शिक्षा का प्रसार करके ही उन्हें पुनः उस मुकाम तक पहुचाया जा सकता है जहां वह बौद्ध काल मे दिखाई दे रही है। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार आशिष झा ने किया जबकि धन्यवादज्ञापन संतोष कुमार ने दिया। कार्यक्रम में दरभंगा राजपरिवार से बाबू रामदत्त सिंह, बाबू गोपालनन्दन सिंह व बाबू अजयधारी सिंह, विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, श्रुतिकर झा, दूरस्थ शिक्षा के निदेशक डॉ. सरदार अरविंद सिंह, उप-निदेशक डॉ. विजय कुमार, डॉ. शम्भू प्रसाद, डॉ. मंज़र सुलेमान, डॉ. अवनींद्र कुमार झा, सुशांत भास्कर, चंद्रप्रकाश, आदि मौजूद थे।

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