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Home » Chaibasa :महिला व बाल विकास मंत्री जोबा माझी के खुद के विधान सभा गृह क्षेत्र में ही आंगनवाड़ी की स्थिति दयनीय
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Chaibasa :महिला व बाल विकास मंत्री जोबा माझी के खुद के विधान सभा गृह क्षेत्र में ही आंगनवाड़ी की स्थिति दयनीय

BJNN DeskBy BJNN DeskDecember 14, 2022No Comments5 Mins Read
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चाईबासा।खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा क्षेत्र में कुपोषण व आंगनवाड़ी सेवाओं की स्थिति पर सोनुआ प्रखंड के रामचन्द्रपोस गाँव में आज जन सभा का आयोजन किया गया था। सभा में प्रखंड के विभिन्न गावों से ग्रामीणों ने भाग लिया और अपनी गावों की स्थिति को साझा किया। हाल में मंच द्वारा सोनुआ में आंगनवाड़ी सेवाओं पर किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट को भी रिलीज़ किया गया। कई बार आमंत्रण के बावजूद सामाजिक कल्याण, महिला व बाल विकास मंत्री जोबा माझी जनता के सवालों का सामना करने से बचने के लिए सभा में नही आई। सभा के अंत में अंचल पदाधिकारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी सोनूआ कुछ समय के लिए आए।

पिछले एक साल से लगातार राज्य सरकार आंगनवाड़ी में 3-6 साल के बच्चों के लिए 6 अंडे प्रति सप्ताह की घोषणा कर रही है। सभा में आए ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि किसी आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों को अंडा नहीं मिल रहा है। मंच के सर्वेक्षण में भी पाया गया कि आखरी बार अंडा 2019 में 1-2 महीने के लिए मिला था।

सभा में सर्वेक्षण के रिपोर्ट (सलग्न) को जारी किया गया. प्रखंड के 10 गावों की 18 आंगनवाड़ियों से मिलने वाली सेवाओं का सर्वेक्षण किया गया था। मंच के सदस्य प्यारी देवगम ने कहा कि सर्वेक्षण में आंगनवाड़ी की स्थिति अत्यंत निराशानक पायी गई है। केवल 55% आंगनवाड़ी केंद्र नियमित रूप से खुलते है एवं केवल 55% केन्द्रों में सेविका नियमित रूप से उपस्थित रहती है।

केवल 27% केन्द्रों में 3-6 साल के बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता आमतौर पर अच्छी होती है। सर्वेक्षण के दौरान अनेक केन्द्रों में दिखा कि सिर्फ हल्दी, चावल और थोड़ी सी दाल मिलाकर खिचड़ी ही दी जाती है। सभा में आई कई सेविकाओं ने कहा कि उनका मानदेय 3 महीने से लंबित है एवं पोषाहार का पैसे भी 7 महीनों से लंबित है। इस कारण बच्चों को सही मात्रा में पोषणयुक्त खाना देना मुश्किल हो रहा है। गैस सिलिंडर 2021 में मिला था लेकिन एक बार भी इसका पैसा नहीं मिला। कई सेविकाओं ने यह भी कहा कि मोबाइल एप में बच्चों के निबंधन व हाजरी भरने में समस्या होती है। बिना आधार वाले बच्चों का एंट्री न होने या आधार एंट्री में गड़बड़ी के कारण टेक–होम–राशन आवंटन को रोक दिया जाता है।

आंगनवाड़ी केन्द्रों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति दयनीय है। 18 में से 4 आंगनवाड़ी अभी भी सेविका के घर या किसी सामुदायिक भवन में चल रही है. ऐसे केन्द्रों में बच्चों के बैठने की भी सही व्यवस्था नहीं है। कई केन्द्रों का निर्माण वर्षों से लंबित है। शेष 14 केन्द्रों में से 10 केन्द्रों में मरम्मती की बहुत ज़रूरत है। आधे केन्द्रों में पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था नहीं है। केवल 22% केन्द्रों में ही चालू शौचालय है। किसी भी केंद्र में बिजली नहीं है।
बच्चों की शिक्षा की नीव आंगनवाड़ी में शुरू होती है। लेकिन सर्वेक्षित केन्द्रों में बच्चों को न के बराबर स्कूल-पूर्व शिक्षा मिल रही है. केवल 17% केन्द्रों में ही बच्चों को नियमित रूप से शिक्षा मिल रही है. 44% में तो बिलकुल नहीं मिल रही है।

पोड़ाहाट के गुटूसाई की चम्पा कुंकल ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्र में न पीने की पानी है, न खाना बनाने का बर्तन और न पढ़ाई होती है।

कई बच्चे आंगनवाड़ी सेवाओं से पूर्ण रूप से वंचित हैं क्योंकि आंगनवाड़ी केंद्र उनके टोले से दूर है। भालुमारा की बिसंगी मेलगंडी ने कहा कि उनके टोले से आंगनवाड़ी बहुत दूर है। इसलिए सभी बच्चे वंचित हैं। उन्होंने टोले में आंगनवाड़ी बनाने के लिए आवेदन भी दिया है।

सभा में बच्चों ने अंचल पदाधिकारी सह बाल विकास परियोजना पदाधिकारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी सोनुवा समेत सभा में उपस्थित सभी प्रशासनिक पदाधिकारियों को अंडा और केला दिया गया और कहा कि कम-से-कम मंत्री व प्रशासन को सही पोषण मिले।

मंच से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मानकी तुबिड ने कहा कि सोचने का विषय है कि विभागीय मंत्री के खुद के विधान सभा क्षेत्र में ही आंगनवाड़ियों की ऐसी स्थिति है। ज़िले के अन्य प्रखंडों में भी यही देखने को मिलता है। बनमाली बारी ने कहा कि एक ओर ज़िला से अरबों का खनन किया जा रहा है और विकास के नाम पर डिस्ट्रिक्ट मिनरल कोष से करोड़ों रु खर्च किए जा रहे हैं। वहीँ दूसरी ओर सरकार हर बच्चे को मात्र एक अंडा तक नहीं दे पा रही है।

मंच के सिराज दता ने कहा कि 2019-21 में हुए राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 5 के अनुसार पश्चिमी सिंहभूम में पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 60% बच्चे कुपोषित हैं। 2015-16 के सर्वेक्षण की तुलना में ज़िला में न के बराबर सुधार हुआ है।

सभा का संचालन रामचंद्र माझी द्वारा किया गया एवं संदीप प्रधान, सुरेन्द्र अगरिया, मनोज नायक, बिलासी डागील, जयश्री दिग्गी, आश्रिता केराई, कौशल्या हेंब्रम, पोंडे राम कायम समेत मंच के कई सदस्यों ने भाग लिया।

सभा के अंत में मंच के प्रतिनिधियों ने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी को सोनुआ समेत पूरे ज़िले के लिए निम्न मांगो के साथ मांग पत्र दिया:
आंगनवाड़ी में 3-6 साल के बच्चों को 6 अंडे प्रति सप्ताह देना तुरंत शुरू किया जाए एवं एवं गर्भवती व धात्री महिलाओं को भी 6 अंडे प्रति सप्ताह दिया जाए। विभाग द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों की नियमित निगरानी की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि केंद्र नियमानुसार संचालित हो, सेविका प्रतिदिन केंद्र में ससमय उपस्थित रहे एवं बच्चों को नियमानुसार खाना मिले।
• सभी केन्दों में बुनियादी व्यवस्था (जैसे भवन, केंद्र का सामान, पीने का पानी आदि) को सुदृढ़ किया जाए एवं छूटे हुए टोलों में नयी आंगनवाड़ी केंद्र बनायीं जाए।केन्द्रों में बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए।

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