चाईबासा।झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पश्चिमी सिंहभूम
चाईबासा के द्वारा 26 नवम्बर को संविधान दिवस के अवसर पर सभा कक्ष में संविधान के महत्व पर एक कार्यशाला
का आयोजन किया गया, जिसके अंतर्गत संविधान के महत्व से जुडे़ विषयों पर न्यायिक पदाधिकारियो, पैनल
अधिवक्ताओं, न्यायकर्मियों और विधिक स्वयंसेवकों के मध्य परिचर्चा, जागरूकता और अन्य गतिविधिया आयोजित
हुई।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम श्री विश्वनाथ शुक्ला ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय संविधान की शक्ति, उद्देश्य, उसमें समाहित सामाजिक, आर्थिक न्याय की परिकल्पना को समझने का यह अच्छा अवसर है, हमे संविधान के अनुरूप कार्य करना और उसके दिखाए रास्ते पर चलना है, इसी कारण आज हम सब लोगों ने संविधान की शपथ ली है.
इस अवसर पर श्री योगेश्वर मणि, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए विस्तार से विषय पर अपने विचार रखें और कहा कि 26 नवंबर 1949 को हमने संविधान को अंगीकृत किया, संविधान हमारा वह दस्तावेज है जिसके द्वारा हम अपने देश का शासन अपने बनाए कानून के हिसाब से चला सके। हम सभी को संविधान का सम्मान और अनुपालन करना है।
अन्य वक्ता के रूप में श्रीमती राजश्री अपर्णा कुजूर, असैनिक न्यायाधीश वरीय कोटि ने महिला सशक्तिकरण एवं महिला अधिकार से संबंधित संविधान में निर्दिष्ट मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की।
आज सुबह कार्यक्रम सर्वप्रथम भारतीय संविधान की प्रस्तावना पठन और शपथ ग्रहण से आरंभ किया गया, प्राधिकार के अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री विश्वनाथ शुक्ला की अध्यक्षता में सभी न्यायिक पदाधिकारियों और सिविल कोर्ट के कर्मचारियों सहित उपस्थित लोगों ने संविधान के प्रस्तावना का पाठ किया और संविधान के अनुपालन की शपथ ली और इसके प्रति अपनी निष्ठा प्रकट की।
कार्यशाला का संचालन प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन एलएडीसी के सदस्य अधिवक्ता सुरेंद्र प्रसाद दास ने किया।
इस मौके पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम ओमप्रकाश, जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय सूर्य भूषण ओझा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ कल्पना हजारीका, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विनोद कुमार, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी पोड़ाहाट मिलन कुमार, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदर सह रजिस्ट्रार तौसीफ मेराज, रेलवे दंडाधिकारी अमीकर परवार, स्थाई लोक अदालत के सदस्यगण तथा अन्य अधिवक्तागण भी उपस्थित थे।

