CHAIBASA-1855 का संथाल हूल हम कांग्रेस जन के लिए प्रेरणास्रोत : सन्नी सिंकु

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CHAIBASA(30JUNE)।

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संथाल हूल दिवस के क्रांतिदूत सिद्धो -कान्हू,चाँद-भैरव का बलिदान दिवस को कांग्रेस भवन में इनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।इसके उपरांत हूल क्रांति के नायक जन पर परिचर्चा की गई।परिचर्चा में कांग्रेस जन को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष सन्नी सिंकु ने कहा कि 1855 की संथाल विद्रोह आज भी झारखण्ड के आदिवासी-मूलवासी के लिए प्रेरणास्रोत है।जिस तरह सिद्धो-कान्हू,चाँद-भैरव ने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा संथाल परगना क्षेत्र में भूमि जोत के लिए मालगुज़ारी थोपने के खिलाफ संथाल विद्रोह का नेतृत्व किया।आज ब्रिटिश हुकूमत की तरह केंद्र या राज्य के बीजेपी सरकार कभी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के माध्यम से या सी एन टी/एस पी टी एक्ट में संशोधन के द्वारा अडानी,अम्बानी जैसे बड़े महाजन को जमीन देना चाहता है।और हम कांग्रेस जन जिस तरह भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और सी एन टी/इस पी टी एक्ट के संशोधन के खिलाफ निरंतर संघर्ष कर रहे है।इसी तरह आगे भी संघर्ष करने का शक्ति हम सब  कांग्रेस जन को मिले यही संथाल हूल के नायकों को सच्चा श्रदाँजलि होगी।कांग्रेस  जिला सचिव त्रिशानु राय ने कहा कि कोई भी इतिहासिक घटनाक्रम का उल्लेख या स्मरण सिर्फ एक घटनाक्रम के रूप में नहीं होता।बल्कि इतिहास से हम सबको बेहतर भविष्य पीढ़ी के लिए कुछ करने का प्रेरणा मिलता है।खासकर जब ऐसे समय में हम सब कांग्रेस जन संथाल हूल दिवस मना रहें हों,जब बीजेपी की सरकार कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदलकर कमर्शियल करना चाहता हो ताकि सरकार हमसे कमर्शियल मालगुजारी ले सके।ये झारखण्ड के आदिवासी-मूलवासी समाज के लिए ब्रिटिश हुकूमत से भी अधिक खतरनाक है।जिस तरह से सिद्धो-कान्हू,चाँद-भैरव के बलिदान के बदले आज भूमि कानून रैयतों के हित में बना।इसी तरह आने वाले पीढ़ी के लिए हम सब को जल,जंगल,जमीन की रक्षा करने की लड़ाई लड़ते रहना होगा।परिचर्चा को जिला वरीय उपाध्यक्ष राहुल आदित्य, शिक्षा विभाग चेयरमैन सनातन बिरुवा, उद्योग व व्यवसाय विभाग  चेयरमैन राधामोहन बनर्जी , जिला कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सामड,कार्यालय सचिव शैली शैलेन्द्र सिंकु, प्रखण्ड अध्यक्ष सुरेश सवैयाँ, संजय बिरुवा, शीतल पुरती, शैलेश गोप,नगर अध्यक्ष सुनीत शर्मा , जिला कार्यकारिणी सदस्य शंकर बिरुली,गौतम  हुई,एम सुलंकी,युवा कांग्रेस के पूर्ण चंद्र कायम,अवधेश कुमार पाठक,सुशील कुमार दास , नौरू सुम्ब्रुई और अन्य ने परिचर्चा में अपना-अपना विचार रखे।

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