सहरसा-54 फीट का काँवर लेकर श्रद्धालुओं ने बाबा मटेश्वर धाम में किया जलाभिषेक

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BRAJESH

ब्र्रजेश भारती

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सिमरी बख्तियारपुर,सहरसा,

मुंगेर के छर्रापट्टी से 80 कि.मी की पदयात्रा कर पहुंचे मंदिर

प्रखंड के बलवाहाट स्थित प्रसिद्ध बाबा मटेश्वर धाम में रविवार को तीन दिन पदयात्रा कर मुंगेर के छर्रापट्टी से जलभर 54 फीट की कांवर लेकर बाजारों श्रद्धालुओं के द्वारा विभिन्न रास्ते होते हुए बाबा मटेश्वर धाम पहुच शिवलिंग पर जलाभिषेक किया । रविवार की सुबह लगभग साढ़े 9 बजे बाबा मटेश्वर धाम में इस 54 फीट काँवर को देखने इलाका के लाखो लोग मंदिर परिषर के अलावे विभिन्न चौक चौराहो पर सवेरे से ही जमे थे। जेसे ही काँवर बाबा मटेश्वर धाम परिसर में प्रवेश किया भोले बाबा की गूंज से मटेश्वर परिषर गूंज उठा। हर श्रद्धालु में गजब का उत्साह देखा गया समुचा प्रखंड क्षेत्र हर हर महादेव के नारो से गुंजामान हो गया। 54 फीट काँवर बाबा मटेश्वर मंदिर के सामने श्रद्धालु के दर्शन के लिए रखा दिया गया। यहां काँवर सोमवार की सुबह तक श्रद्धालु के दर्शन के लिए रहेगा। इस 54 फीट काँवर को बहुत ही सुन्दर तरीके से सजाया गया। बाबा मटेश्वर धाम के पूर्व अध्यक्ष मुन्ना भगत, नथुनी साह, फुलेशर यादव सहित लगभग 25 हज़ार लोग काँवर यात्रा में मुंगेर से साथ थे। रास्ते में हर जगह श्रद्धालु ने दिल खोलकर इनके यात्रा को सफल बनाया वही लोगो ने हर तरह के मदद किया। मुंगेर से शुक्रवार को काँवर यात्रा शुरू किया। काँवर के साथ लगभग 25 हज़ार लोग थे। जिसमे आधे से अधिक महिलाये की संख्या थी। कांवर में भोले नाथ के शिवलिंग के अलावा भव्य मंदिर, नाग सहित कई आकर्षक ढंग से सजाया गया था। धमारा घाट के माँ कात्यानी मंदिर में भी लोगो ने पूजा अर्चना किया। शनिवार को सिमरी बख्तियारपुर के हाई स्कूल सिमरी बख्तियारपुर में विश्राम किया। फिर रविवार की सुवह लगभग 6 बजे कांवर लेकर बाबा मटेशर धाम पहुचे। बाबा मटेश्वर धाम के सचिव जीतेन्द्र सिंह बघेल ने बताया की मंदिर परिषर में श्रद्धालु के दर्शन के लिए रखा गया है। रास्ते में भी जगह जगह कांवर की पूजा अर्चना किया गया।
लोकआस्था का केन्द्र बनने के बाद भी मंदिर उपेक्षित- बलवाहाट के कांठो पंचायत में स्थित प्रसिद्ध बाबा मटेश्वर धाम मंदिर प्रसाशनिक उपेक्षा के अलावे प्रर्यटन के क्षेत्र में उपेक्षित है दुनिया के अद्भुत शिवलिंगों में से एक इस शिवलिंग की चर्चा वेद पुरानों में मिलती है लेकिन यह मंदिर पर्यटन के मानचित्र पर अपनी जगह नही बना पाई है ।

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