पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने एक बार फिर राज्य की राजनीति का पूरा समीकरण बदल दिया है। इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने ऐसा शानदार प्रदर्शन किया है, जिसकी कल्पना राजनीतिक विश्लेषक भी नहीं कर रहे थे। 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए ने 202 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। यह जीत न केवल रिकॉर्ड है, बल्कि गठबंधन के लिए अब तक का सबसे बड़ा जनादेश भी है।
एनडीए की प्रचंड वापसी ने बदला राजनीतिक समीकरण
चुनावी परिणामों ने साफ कर दिया कि जनता ने एनडीए के नेतृत्व, नीति और विकास एजेंडा पर भरोसा जताया है। 202 सीटों की भारी जीत ने गठबंधन के लिए एक स्थिर और मजबूत सरकार का रास्ता साफ कर दिया है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि गठबंधन का जमीनी स्तर पर काम, केंद्र और राज्य की योजनाओं का प्रभाव तथा नेतृत्व की विश्वसनीयता इस जीत के बड़े कारण रहे।
महागठबंधन को करारी हार, सिर्फ 35 सीटें
महागठबंधन के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक साबित हुआ। कई क्षेत्रों में जहां उन्हें बढ़त की उम्मीद थी, वहीं हार का सिलसिला जारी रहा।
इस बार महागठबंधन केवल 35 सीटों पर सिमट गया, जो पिछले चुनावों की तुलना में काफी कम है। कई दिग्गज नेता भी अपनी सीट नहीं बचा पाए, जिससे गठबंधन के भीतर चिंता बढ़ती जा रही है।
अन्य दलों को भी मिली 6 सीटें
एनडीए और महागठबंधन के अलावा राज्य के अन्य दलों को कुल 6 सीटें मिली हैं।
हालांकि ये सीटें सरकार बनाने में कोई निर्णायक भूमिका नहीं निभातीं, लेकिन स्थानीय स्तर पर इन पार्टियों का प्रभाव और भविष्य का राजनीतिक समीकरण जरूर तय करेंगी।
चुनाव ने दिखाया जनता का रुझान
राज्य में इस चुनाव ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि मतदाता स्थिरता, सुशासन, विकास, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
एनडीए की ऐतिहासिक जीत ने यह भी इशारा किया है कि जनता ने महागठबंधन के मुद्दों और रणनीतियों को इस बार स्वीकार नहीं किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले पांच वर्षों में बिहार की राजनीति में निर्णायक बदलाव देखने को मिल सकते हैं, और एनडीए सरकार से अब जनता को विकास की नई गति की उम्मीद है।

