नई दिल्ली। तीरंदाजी के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। भारत में पहली बार आर्चरी प्रीमियर लीग (Archery Premier League) का आयोजन किया जाएगा। इस लीग का उद्देश्य भारतीय तीरंदाजों को अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराना और इस पारंपरिक खेल को वैश्विक पहचान दिलाना है।
नई दिल्ली में आयोजित चयन समिति की बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट डी.बी. सुन्दररमम मौजूद रहे। इस बैठक में लीग की संरचना, टीमों के चयन और प्रतियोगिता के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया।
इस लीग में कुल छह टीमें हिस्सा लेंगी, जिनका प्रतिनिधित्व अलग-अलग राज्यों से होगा —
महाराष्ट्र के माईटी मराठाज (Mighty Marathas)
तेलंगाना के काकतिया नाइट्स (Kakatiya Knights)
राजस्थान के राजपुताना रॉयल्स (Rajputana Royals)
तमिलनाडु के चोला चीफ्स (Chola Chiefs)
झारखंड के चेरो आर्चर्स (Chero Archers)
दिल्ली के पृथ्वीराज योद्धा (Prithviraj Yoddhas)
इस प्रतियोगिता की सबसे खास बात यह होगी कि भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज भी इसमें हिस्सा लेंगे। इससे टूर्नामेंट और भी प्रतिस्पर्धी और रोमांचक बन जाएगा।
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आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया का मानना है कि यह लीग तीरंदाजी को भारत में लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ युवाओं को इस खेल से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगी। इसके माध्यम से खिलाड़ियों को न केवल बेहतर अवसर मिलेंगे, बल्कि देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक रोशन होगा।
आयोजकों का कहना है कि यह लीग तीरंदाजी को व्यावसायिक रूप देने की दिशा में पहला बड़ा कदम है। जिस प्रकार क्रिकेट में आईपीएल (IPL) ने खिलाड़ियों को नई पहचान दिलाई, उसी प्रकार यह लीग भी भारतीय तीरंदाजों के लिए सुनहरा अवसर साबित होगी।
आर्चरी प्रीमियर लीग की शुरुआत से खेल जगत में एक नई ऊर्जा का संचार होगा और दर्शकों को एक नया रोमांचक अनुभव मिलेगा। तीरंदाजी प्रेमियों के लिए यह आयोजन न केवल गौरव का विषय है, बल्कि यह भारत में खेलों की बदलती तस्वीर का भी प्रतीक है।

