ANNI AMRITA@ ओड़ीसा के मंत्री का आना बता गया स्वास्थ्य सुविधा में झारखंड कहां?झारखंड को चाहिए एक नवीन पटनायक

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ANNI AMRITA

जमशेदपुर।

 

कभी कभी कोई खबर सोचने पर मजबूर कर देती है।आज की एक मुख्य खबर क्या थी?यही न कि ओड़ीसा के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री अशोक चंद्र पंडा जमशेदपुर के गोलमुरी उत्कल समाज के प्रांगण में आए थे।उसमें कौन सी बड़ी बात है?बगल का राज्य है उड़ीसा, नेता आते रहते हैं और आते हैं तो शिष्टाचार वश शहर के उड़िया समाज से जुड़ी संस्थाओं का दौरा भी करते हैं।लेकिन ये बात सिर्फ इतनी न थी।संस्था की प्रेस रिलीज़ पर जब ध्यान दिया तब पता चला कि जमशेदपुर से सटे ग्रामीण इलाके पोटका के नजदीक उड़ीसा के तिरिंग में गरीबों के बीच उड़ीसा सरकार के “बीजू स्वास्थ्य कल्याण स्मार्ट हेल्थ कार्ड” के वितरण कार्यक्रम में भाग लेने मंत्री पहुंचे थे और उसी क्रम में जमशेदपुर आना हुआ।यहीं पर नज़र ठिठकी।शायद कोई ध्यान न दे रहा हो लेकिन अगर दे तो वह पाएगा कि धीरे धीरे उड़ीसा स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में काफी तरक्की कर रहा है।उपरोक्त जिस योजना की बात हो रही है उसकी शुरुआत सीएम नवीन पटनायक ने इसी साल 15अगस्त को की और नवंबर तक सभी जिलों की 92.5लाख आबादी को कवर करने का लक्ष्य रखा है।इस योजना की खासियत है कि गरीब तबके से जुड़े परिवार 5लाख तक का कवरेज पा सकते हैं और परिवार के महिला सदस्य के लिए ये राशि 10लाख तक है।उड़ीसा समेत पूरे भारत के 200अस्पतालों में इस योजना का लाभ गरीब ले सकते हैं।
अब देखिए जमशेदपुर के बगल में है पोटका प्रखंड और उससे बिल्कुल सटा है उड़ीसा का तिरिंग।अब तिरिंग के गरीब गुरबा के पास इतनी अच्छी योजना है लेकिन वहीं पास के पोटका वासियों के लिए क्या है?उड़ीसा सरकार ने आयुष्मान पर निर्भर न रहकर अपनी आकर्षक योजना लाई है ताकि ज्यादा से ज्यादा गरीब उसकी जद में आएं।सरकार जितना गरीबों की मदद करेगी उतना ही उनका पलायन रूकेगा।झारखंड से तुलना कीजिए।झारखंड के 24निजी अस्पताल आयुष्मान योजना से जुड़े हैं।क्या ये काफी है?राज्य सरकार की अपनी जो योजना है–मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना–, इसका कवरेज दो लाख मात्र है जो नाकाफी है।इससे लगभग 29लाख परिवार शामिल हैं।जाहिर है इसकी जद में लोगों को बड़े पैमाने पर लाने की जरूरत है।झारखंड का हाल स्वास्थ्य सुविधाओं में कैसा है ये देखने के लिए सोशल मीडिया पर नज़र डाला जा सकता है जहां मदद के लिए लगातार पुकारे आती रहती हैं।जमशेदपुर और आस पास के गरीब पूरी तरह एमजीएम अस्पताल पर निर्भर हैं, पैसे के अभाव में वे टीएमएच नहीं जा सकते तो एमजीएम से रिम्स रेफर करवाते हैं।आयुष्मान से जुड़े होने के बावजूद टीएमएच का लाभ सभी नहीं उठा पाते क्योंकि टीएमएच में जगह नहीं होने की वजह से टिनप्लेट अस्पताल के प्रांगण में ही 40बेड का आयुष्मान अस्पताल बनाया गया है जो 20लाख से ज्यादा की आबादी वाले जिले के लिए पर्याप्त नहीं.वहीं अक्सर निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारियों के साथ विवाद की खबरें आती रहती हैं।ऐसा नहीं कि लोग लाभ नहीं उठाते मगर उस राह में बहुत संघर्ष और चुनौतियां हैं।

सबने सोचा था कि झारखंड में अब गरीब गुरबों की सरकार बनी है और हालत सुधरेगी। लेकिन गरीब गुरबों की हालत किसी से छिपी नहीं है।झामुमो खुद को यहां के मूल निवासियों की हिमायती बताती है लेकिन बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन, उनका विपरीत हालातों में राज्य लौटना और फिर रोजगार न मिलने पर मजबूर होकर बाहर जाना ये बताने के लिए काफी है कि राज्य में गरीबों के कितने हित सरकार साध रही है।जब रोज़गार न मिले, स्वास्थ्य की योजनाओं का भरपूर लाभ न मिले तो कोई क्या करे, यही वजह है कि झारखंड से पलायन जारी है।दूसरी तरफ उड़ीसा सरकार जोर शोर से प्रयास में जुटी है कि उसके गरीब लोग अपना जीवन स्तर सुधारें, सरकारी योजनाओं का लाभ लें और पलायन न करें। उड़ीसा से बड़ी संख्या में लोग कमाने,रोजी-रोटी के लिए जमशेदपुर आते हैं लेकिन अगर पड़ताल की जाए तो निश्चित तौर पर अब उसमें कमी नज़र आएगी।ऐसा मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि जमशेदपुर की उन बस्तियों का अगर दौरा किया जाए जहां उड़ीसा से बहुतायत में आए लोग रहते हैं तो पता चलेगा कि वे जब छुट्टियों में अपने गांव जाते हैं तो वहां के ग्रामीणों को उड़ीसा सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेते देखते हैं और यहां आकर उसका जिक्र करते हैं।वे ये जानने की कोशिश करते हैं कि झारखंड में ऐसी योजना है या नहीं।मुझसे भी कईयों ने पूछा है।कहीं न कहीं उनको अब लगता है कि झारखंड में रहकर वे कई सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।

ये इस बात के संकेत हैं कि उड़ीसा में ज़मीनी धरातल पर बहुत काम हो रहा है।झारखंड को भी एक नवीन पटनायक की जरूरत है।

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