जमशेदपुर।
एनआईटी जमशेदपुर में जनजातीय गौरव दिवस बड़े उत्साह और सम्मान के साथ मनाया गया। कार्यक्रम भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को समर्पित था, जिनके नेतृत्व, संघर्ष और त्याग को आज भी भारत की जनजातीय समुदाय शक्ति और अस्मिता का मुख्य स्रोत मानता है।
दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि के साथ कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रूप से दीप प्रज्वलन और भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। एनआईटी के विद्यार्थियों, शिक्षकों और अधिकारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
मुख्य अतिथि रतन तिर्की का प्रेरक संबोधन
इस अवसर पर प्रसिद्ध जनजातीय नेता एवं समाजसेवी रतन तिर्की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जनजातीय गौरव दिवस भारत सरकार की स्वर्णिम पहल है, जिसे एक पखवाड़े के रूप में देशभर में मनाया जा रहा है।
उन्होंने जनजातीय संस्कृति, परंपराओं और पहचान के संरक्षण पर विशेष जोर दिया तथा विद्यार्थियों को संघर्ष, समानता और गरिमा के मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा दी।
संविधान की उद्देशिका का सामूहिक वाचन
कार्यक्रम के दौरान संविधान की उद्देशिका (Preamble) का सामूहिक रूप से पाठ किया गया। इस अवसर पर श्री तिर्की ने छात्रों को याद दिलाया कि झारखंड के तीन महान जनजातीय प्रतिनिधि — जयपाल सिंह मुंडा, देवेंद्र नाथ सामंत, और बोनिफेस लकड़ा — संविधान सभा के सदस्य थे और उनका योगदान अविस्मरणीय है।
CNT Act पर महत्वपूर्ण चर्चा
उन्होंने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इसका निर्माण भगवान बिरसा मुंडा के आंदोलन से प्रेरित था। यह अधिनियम J.B. हॉपमैन द्वारा 1903 में तैयार हुआ और 1905 में लागू किया गया — जो जनजातीय अधिकारों की सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुभव साझा किया
अपने वक्तव्य के दौरान श्री तिर्की ने रांची में प्रधानमंत्री के साथ हुई मुलाकात के अनुभव साझा किए और छात्रों से कहा —
“पहले खुद में गर्व महसूस करें, तभी समाज को आगे ले जा पाएंगे। सोच को पुस्तकों से परे ले जाएं और लक्ष्य पर डटे रहें।”
संस्थान के निदेशक और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति
एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) गौतम सूत्रधार ने कहा कि जनजातीय नायकों के बलिदान और मूल्यों को याद रखना हर भारतीय का दायित्व है।
उप निदेशक प्रो. आर. वी. शर्मा, कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. एस. के. सारंगी, और डीन (छात्र कल्याण) डॉ. आर. पी. सिंह ने भी जनजातीय धरोहर पर अपने विचार रखे।
समावेशिता और सांस्कृतिक जागरूकता का मजबूत संदेश
कार्यक्रम ने एनआईटी जमशेदपुर की समावेशिता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय गौरव की भावना को और मजबूत किया। इस आयोजन ने विद्यार्थियों को जनजातीय नायकों की विरासत को आत्मसात करने और समाज में सकारात्मक योगदान देने की प्रेरणा दी।


