जमशेदपुर।
NIT जमशेदपुर के शोधार्थी अब्दुल रहमान ने अपनी पीएचडी का सफल प्रतिरक्षण (डिफेंस) पूरा करते हुए मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। उन्होंने एक सस्ता, सुरक्षित और शरीर-अनुकूल इम्प्लांट मटेरियल विकसित किया है, जो भविष्य में ऑर्थोपेडिक उपचार को सरल और अधिक किफायती बना सकता है।
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मैग्नीशियम आधारित धातु पर शोध, विकसित हुआ उन्नत नैनोकॉम्पोज़िट
अब्दुल रहमान के शोध का मुख्य केंद्र था— शरीर में घुलने वाली मैग्नीशियम आधारित धातु WE43 alloy को और बेहतर बनाना।
उन्होंने WE43 को कैल्शियम व जिंक से संशोधित किया और इसके साथ हड्डी से मिलते-जुलते सूक्ष्म बायो-सिरेमिक कण जोड़कर एक उन्नत नैनोकॉम्पोज़िट तैयार किया।
इस नई तकनीक से इम्प्लांट की—
• मजबूती बढ़ी
• क्षरण (corrosion) कम हुआ
• हड्डी के साथ जुड़ने की प्रक्रिया तेज हुई
यह शोध दर्शाता है कि ऐसे इम्प्लांट तैयार किए जा सकते हैं, जो अपना कार्य पूरा करने के बाद शरीर में स्वतः घुलकर समाप्त हो जाएंगे, जिससे मरीजों को दोबारा सर्जरी नहीं करानी पड़ेगी।
उपचार की लागत कम करेगा यह नवाचार
इस तकनीक का उपयोग भविष्य में ऐसे इम्प्लांट बनाने में किया जाएगा जो—
✔ किफायती हों
✔ सुरक्षित हों
✔ उपचार लागत को कम करें
✔ मरीज को दोबारा ऑपरेशन की जरूरत से बचाएँ
भारत जैसे विकासशील देश में यह नवाचार स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ बना सकता है।
अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित, वैश्विक समुदाय ने सराहा
अब्दुल रहमान का यह शोध पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान पा चुका है। इसका प्रकाशन इन प्रतिष्ठित जर्नलों में हुआ है—
Journal of Alloys and Compounds
Ceramics International
Transactions of the Indian Institute of Metals
इन प्रकाशनों से यह स्पष्ट है कि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय इस शोध को अत्यंत महत्वपूर्ण मान रहा है।
मार्गदर्शक वैज्ञानिकों और संस्थान ने दी बधाई
यह शोध NIT जमशेदपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. नरेश प्रसाद और CSIR–NML के वरिष्ठ प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. मुरतूजा हुसैन के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
संस्थान के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधार ने कहा कि—
“यह उपलब्धि स्वास्थ्य–प्रौद्योगिकी और बायोमटेरियल के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।”
उन्होंने यह भी बताया कि मैग्नीशियम आधारित यह तकनीक झारखंड सहित पूरे देश में—
• बायोमटेरियल उद्योग,
• अनुसंधान प्रयोगशालाओं
• और स्वास्थ्य–प्रौद्योगिकी स्टार्टअप
को नए अवसर प्रदान करेगी।
‘विकसित भारत’ के लिए महत्वपूर्ण योगदान
अब्दुल रहमान की यह उपलब्धि भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग में नए अवसर खोलने के साथ ‘विकसित भारत’ के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान मानी जा रही है।

