गंगेश गुंजन ,नई दिल्ली
केजरीवाल जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, उससे टकराव और हिंसा की आशंका दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। इस चुनाव में अगर हिंसा हुई तो चुनाव आयोग की जिम्मेवारी होगी। मोदी विरोध में कुछ चैनल अराजकता का समर्थन करते दीखते हैं। क्या AAP के नेता बीजेपी के देशभर के कार्यकर्ताओं को ये छूट देंगे कि वोह रोज़ उनसे बिना समय लिए सवालों की फेहरिस्त लेकर उनसे मिलने पहुंच जाएँ? ऐसे कितने सवालों के जवाब आमने सामने बैठकर दिये जा सकते है? दरअसल केजरीवाल जानते हैं कि ऐसी किसी मुठभेड़ में उनके समर्थकों की पिटाई तय है और उन्हें इसके बाद हीरो बनने का मौका ज़रूर मिल जायेगा। लेकिन असली चिंता ये है कि ऐसी गुंडागर्दी MNS करे तो ये गुंडाराज है और केजरीवाल करें तो सियासी प्रयोग। क्यों? क्या देश की सियासत में ये प्रयोग खून खराबे को निमंत्रित नहीं कर रहा? जागिये क्योंकि अराजकता तक तो आप चुप हैं हिंसा हुई तो आपके हमारे बच्चे ही मरेंगे।
Prev Post
Comments are closed.