जामताड़ा :
आदिवासी समुदाय का पांच दिवसीय मनाया जाने वाला सोहराय पर्व शुक्रवार को कई जगह शिकार के साथ संपन्न हो गया तो कई जगहों पर उल्लास अभी भी जारी है। दिनभर शिकार के लिए निशानेबाजी व नृत्य में लोग रमे रहे। जामताड़ा प्रखंड में अंतिम दिन महिला व पुरुषों ने आदिवासी संगीत और मांदर की थाप पर सोहराय पर्व का समापन किया।
नृत्य करने में सिर्फ युवतियां ही नहीं बल्कि हर उम्र की महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। मांदर की थाप पर देर रात तक लोग जमकर झूमे और गीत-संगीत का लुत्फ उठाया। जिला मुख्यालय के आसपास रानीगंज, सुपायडीह, गोपालपुर, जबरदाहा, उदयपुर, श्यामपुर आदि आदिवासी बहुल गांव सोहराय के उल्लास में रंगा हुआ था। आदिवासी समुदाय के लोगों ने विभिन्न पशु-पक्षियों का शिकार जंगलों में भ्रमण कर किया। पर्व की महत्ता बताते हुए शिकार करने निकले युवक श्यामलाल मुर्मू ने कहा कि सोहराय पर्व भाई बहन का पर्व है। नई फसल के आने पर भाई बहन को घर बुलाकर प्रेम व आस्था के साथ पर्व मनाते हैं। पूर्वजों के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हुए अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज, परंपरा को बचाकर रखना जरूरी हो गया है। शिकार के बाद लोगों ने सामूहिक भोज का लुत्फ उठाया।
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