तिरुपति। आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के श्रीनिवास ऑडिटोरियम में 7 से 9 जनवरी तक चलने वाले अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ( एआईफुक्टो) का त्रि -दिवसीय राष्ट्रीय वैधानिक सम्मेलन संपन्न हुआ। इसके तहत 9 जनवरी को संघ का राष्ट्रीय चुनाव आयोजित हुआ जिसमें कोल्हान विश्वविद्यालय के कोऑपरेटिव कॉलेज के शिक्षक डॉ विजय कुमार पीयूष निर्विरोध राष्ट्रीय सचिव के रूप में निर्वाचित हुए। ज्ञात हो कि डॉक्टर पीयूष लगातार चौथी बार एआईफुक्टो के राष्ट्रीय सचिव निर्वाचित हुए हैं। इससे पूर्व वह तीन बार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं। इस तरह एआइफुक्टो के इतिहास में वह सबसे अधिक बार निर्वाचित होने वाले संघ के पदाधिकारी बन गए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर यादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर केशव भट्टाचार्य निर्वाचित हुए एवं उपाध्यक्ष के पद पर मद्रास विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर गांधी राज तथा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के पद पर मध्य प्रदेश से जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के प्रोफेसर डी कुमार निर्वाचित हुए । सम्मेलन में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से 810 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन के प्रस्ताव सत्र में डॉ पीयूष ने झारखंड के शिक्षकों से संबंधित विभिन्न समस्याओं को गंभीरता से उठाया और प्रस्ताव पारित करवाया कि झारखंड सरकार अविलंब शिक्षकों के लंबित प्रोन्नति एवं एरियर बकाये की समस्या का समाधान करे। विशेषकर उन्होंने 2008 बैच के शिक्षकों को अभी तक प्रोन्नति नहीं दिए जाने की समस्या को सम्मेलन के समक्ष रखा। उन्होंने बताया की नियमतः 2008 बैच के शिक्षको को 2012 में लेक्चरर सीनियर स्केल 2017 में रीडर तथा 2020 में एसोसिएट प्रोफेसर में प्रोन्नति हो जानी चाहिए थी लेकिन अभी तक उन्हें एक भी प्रोन्नति नहीं मिली है। इसी तरह 1996 बैच के तथा अन्य पुराने बैच के शिक्षकों की भी प्रोन्नति सालों से लटकी पड़ी है ।उन्होंने मांग की कि झारखंड सरकार जल्द से जल्द प्रोन्नति मामलों का निष्पादन करे साथ ही शिक्षकों के मामलों के शीघ्र निष्पादन के लिए झारखंड में अविलंब इंटर यूनिवर्सिटी बोर्ड का गठन किया जाए और शिक्षकों की नियुक्ति तथा प्रोन्नति का अधिकार अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह झारखंड के विश्वविद्यालयों को दिया जाए ।उन्होंने बताया की पूरे राष्ट्र में शिक्षकों के समान वेतनमान, समान भत्ते ,समान सर्विस कंडीशन को लागू करवाना उनकी कार्यसूची में सबसे ऊपर है। उन्होंने पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में अभी तक सातवें वेतनमान के लागू नहीं होने को दुखद बताया एवं इसके लिए पंजाब के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के शिक्षकों के चल रहे हड़ताल का समर्थन किया। उन्होंने घंटी आधारित या संविदा पर बहाल शिक्षकों की समस्या को भी सम्मेलन में उठाया और यूजीसी से आग्रह किया कि वह तमाम राज्य सरकारों को निर्देश दे की उन्हें भी स्थाई शिक्षकों के समान वेतनमान एवं इंक्रीमेंट दिया जाए। ज्ञात हो कि तमिल नाडु ,पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में संविदा आधारित शिक्षकों को भी वेतनमान एवं इंक्रीमेंट का लाभ दिया जा रहा है। डॉ पीयूष ने यह भी मांग की कि झारखंड सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया जाए ताकि पठन-पाठन के लायक वातावरण निर्मित हो सके। डॉ पीयूष ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रतिनिधियों को उन्हें निर्विरोध निर्वाचित करने के लिए धन्यवाद दिया है।
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