JAMSHEDPUR
चित्रपट झारखण्ड द्वारा अगले वर्ष फरवरी माह में होने वाले चित्र भारती राष्ट्रीय फिल्मोत्सव के दृष्टिगत जमशेदपुर में दो दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला का आयोजन तुलसीभवन में किया गया। कार्यशाला में 22 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
चित्रपट झारखण्ड के संयोजक एन के सिंह ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को फिल्म निर्माण, लेखन, व अन्य पहलुओं से संबंधित जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि सिनेमा को वैचारिक और तकनीकी पहलू को परखना चाहिए, कंटेंट को किस प्रकार प्रस्तुत किया गया है, सिनेमाटोग्राफी कैसी है। कार्यशाला के दौरान विभिन्न फिल्मों व फिल्मों के ट्रेलर दिखाकर उन पर चर्चा हुई, और विश्लेषण किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन एन आई टी के निदेशक डाक्टर करुणेश शुक्ला ने बताया कि युवा फिल्मकारों को फिल्म निर्माण में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिनेमा काफी प्रभावशाली माध्यम है। भारतीय सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, अपितु भारतीय संस्कृति का भी वाहक है। युवा फिल्मकारों को उसी दृष्टि से काम करना चाहिए। हम सिनेमा के माध्यम से भारत की संस्कृति, भारत के ज्ञान भंडार, कलात्मक ज्ञान को सिनेमा के माध्यम से विश्व तक पहुंचा सकते हैं। हमारा दायित्व है कि सकारात्मक पक्ष को सबके समक्ष प्रस्तुत करें।
इस कार्यशाला के निर्देशक डा सुशील ‘अंकन’ नके बताया कि भारतीय चित्र साधना फिल्म क्षेत्र में भारतीय विचार के लिए कार्य करने वाली समर्पित संस्था है। प्रति दो वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर ‘चित्र भारती राष्ट्रीय लघु फिल्मोत्सव’ का आयोजन करती है। इसके अतिरिक्त वर्ष भर विविध प्रकार की गतिविधियाँ एवं स्थानीय स्तर पर फिल्म समीक्षा, फिल्म प्रदर्शन, विमर्श, प्रशिक्षण एवं लघु फिल्म फेस्टिवल के आयोजन किये जाते हैं।
भारतीय चित्र साधना भारत की परंपराओं और विविधता का सम्मान करती है और ऑडियो-विजुअल क्षेत्र में भी इसे संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। सामाजिक परिवर्तन में सिनेमा की अहम भूमिका है।
कार्यशाला में चित्रपट झारखण्ड के संयोजन नंद कुमार, कार्यशाला निर्देशक डा शुशील कुमार ‘अंकन’, अर्का जैन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर श्याम कुमार एवम अनिमेष कुमार ने फ़िल्म निर्माण संबधित विभिन्न विषयों को विस्तार से बताया। दो दिवसीय कार्यशाला का समापन रविवार को होगा।
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