Jamshedpur today news -कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय —सामग्री के लिए निकाली गई निविदा विवादों में फंसी

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JAMSHEDPUR। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में सामग्री क्रय के लिए निकाले गए टेंडर में विवाद हो गया है। निविदा की शर्तों में अचानक फेरबदल किया गया है जिस पर कुछ निविदाकर्त्ताओं ने आपत्ति जताई है और उपायुक्त सूरज कुमार को पत्र लिखकर मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया है।पत्र में आरोप लगाया गया है कि कुछ खास निविदाकर्त्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है।
उपायुक्त को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि कस्तूरबा गांधी विद्यालय मे सामानों की आपूर्त्ति के लिए निकाले गए निविदा की शर्तों में अचानक फेरबदल कर दिया गया है जिसे पूरा करना काफी मुश्किल है।इसलिए निविदा पर पुन विचार करते हुए शर्तो में रियायत दिया जाए।उपायुक्त को भेजे शिकायत पत्र पर सुरेश कुमार अग्रवाल, परवाल ब्रदर्स, गणेश भंडार तथा श्री बालाजी ट्रेडर्स के नाम हैं. टेंडर 21 अक्तूबर को खोला जाना है.पत्र में बताया गया है कि मार्च में निकली निविदा को रद्द कर सितंबर में निकाला गया है जिसमें जानबूझकर कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नए शर्त डाले ग ए हैं।

शिकायत के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम जिले में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय एवं अन्य विद्यालयों में सामग्री की खरीद के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा मार्च 2021 में टेंडर आमंत्रित किये गये थे. टेंडर को 19 मार्च, 2021 तक जमा किया जाना था. तकनीकी निविदा भी उसी दिन खोली जानी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से टेंडर को रद्द कर दिया गया. दोबारा जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 28 सितंबर को टेंडर आमंत्रित किये, लेकिन मार्च और सितंबर में मांगी गयी निविदा की शर्तों में कई बदलाव कर दिये गये हैं.अग्रधन की राशि बढ़ाकर 3 से बढ़ा कर 8 लाख की गयी है।

शिकायत में कहा गया है कि  नयी निविदा की शर्तों में कुछ ऐसे बदलाव किये गये हैं, जिससे ऐसा लगता है कि पुराने टेंडरों का अवलोकन करने के बाद किसी खास बोलीदाता को फायदा पहुंचाने के लिए यह बदलाव किये गये हैं. शिकायत में कहा गया है कि खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए निविदा के अग्रधन की राशि तीन लाख से बढ़ाकर 8 लाख कर दी गयी है.  इसी तरह अन्य सामग्रियों की खरीद के लिए अग्रधन की राशि 25000 से बढ़ा कर 1 लाख  कर दी गयी है.

पत्र लिखनेवाले निविदाकर्त्ताओं का आरोप है कि इतनी बड़ी रकम की शर्त रखना छोटे और मध्यम निविदाकर्त्ताओं/निविदादाताओं को रेस से बाहर करना है।

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