राँचीःकोरोनाकाल में राज्य के विभिन्न जिलों से प्रकाशित स्थानीय लघु पत्र-पत्रिकाओं की प्रकाशन प्रक्रिया लगभग बाधित हो चुकी है.झारखंड से प्रकाशित पत्रिकाओं में 80% प्रकाशक दूसरे प्रिंटिंग प्रेस पर निर्भर हैं जो कि कोरोनाकाल में संपूर्ण व आंशिक लाॅकडाऊन में बंद रहें.इस परिस्थिति में झारखंड की 100 से भी ज्यादा पत्रिकायें बंदी के कगार पर जा चुकी हैं.इन पत्र-पत्रिकाओं से लघु पत्रकारिता के क्षेत्र में 1000 से ज्यादा पत्रकार रोजगार पाते हैं इसलिए उनके परिवारों की सुरक्षा और आर्थिक संपन्नता के लिए सरकार को सोचने की जरूरत है.
उक्त बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डाॅ.अजय कुमार ने मुख्यमंत्री को एक सुझाव पत्र लिखकर कहीं हैं.उन्होंने लघु पत्रकारिता के 1000 पत्रकार साथियों के रोजगार का संकट बताते हुए छोटे और मझोले हाऊस के समर्थन में खुलकर पत्रकारों के दर्द को अपने पत्र में लिखा है.उन्होने इस सुझाव पत्र में लघु समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस संबंध में सरकार और सूचना-जनसंपर्क विभाग को 5 सूत्री सुझाव दिएं हैं-
(1)झारखंड में 80% लघु पत्रिकायें कोरोनाकाल में बंदी के कगार पर हैं अतः उन सभी के प्रकाशकों पर विशेष कृपा कर प्रत्येक वर्ष 12 महिने में 12 विज्ञापन दिएं जाएं,
(2)लघु पत्रिकाओं को दी जाने वाली विज्ञापन की राशि को बढ़ाकर दोगुना किया जाए,
(3)वर्ष 2021 के कोरोनाकाल में मासिक पत्रिकाओं का निरंतर प्रकाशन होने की शर्त पर लाॅकडाऊन के दौरान प्रिंटिंग प्रेस की बंदी पर कुछ मासिक/पाक्षिक/साप्ताहिक अंकों में छूट दे दी जाए,
(4)मासिक और त्रैमासिक पत्रिकाओं के पत्रकार साथियों को भी एक्रिडेशन कार्ड की सुविधाएं जल्द दी जाएं,
(5)प्रत्येक प्रमंडल से एक्रिडेशन कमिटी में लघु पत्र-पत्रिकाओं के पत्रकार साथियों को भी स्थान देकर पत्रकारहित में ऐतिहासिक पहल की शुरूआत हो,
बताते चलें कि इस मांग को आॅल इंडिया स्माॅल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वैलफेयर ऐसोसिएशन भी पिछले 8 सालों से उठा रहा है.उपरोक्त समस्याओं पर ऐसोसिएशन ने 8 वर्षों में अब तक राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव और सूचना जनसंपर्क विभाग को लगभग 20 बार पत्र लिखें हैं.
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