JASHEDPUR -भूली बिसरी यादें’ ग्रामीण साझा संस्कृति का सजीव इतिहास : सरयू राय

अरविंद विद्रोही की नयी पुस्तक 'भूली बिसरी यादें' का विमोचन संपन्न

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जमशेदपुर। चर्चित व्यंग्यकार और हिन्दी और भोजपुरी के साहित्यकार अरविंद विद्रोही की संस्मरणात्मक पुस्तक ‘भूली बिसरी यादें’ का विमोचन यहां कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भोजपुरी भवन, गोलमुरी में संपन्न हुआ। इस अवसर पर विधायक और भारतीय जनतांत्रिक मोर्चा के संस्थापक सरयू राय मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित थे जबकि विशिष्ट अतिथि के रुप में एलबीएसएम कॉलेज, करणडीह के प्राचार्य डा अशोक अविचल व वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश राय उपस्थित थे।
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सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद, जमशेदपुर के तत्वावधान में आयोजित विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए विधायक सरयू राय ने नयी पु स्तक के लिए अपने मित्र साहित्यकार अरविंद विद्रोही क  बधाई  दी, और कहा कि यह पुस्तक मिलने पर मैं सीधे पहले संस्मरण को पढ़ा, और इसके बाद पूरी पुस्तक पढ़ डाली। संस्मरण में रोचकता, स्वाभाविकता और प्रवाह है जो पाठक को उस काल में चलचित्र की तरह ले जाता है। विद्रोही जी की शैली, साहित्य में उनकी दखल का स्वाभाविक दखल को प्रतिबिम्बित करता है।
सरयू राय ने ‘भूली बिसरी यादें’ की प्रशंसा करते हुए कहा इस पु स्तक का एक-एक संस्मरण एक-एक चलचित्र का प्लॉट हो सकता है। यह पुस्तक नयी पीढ़ी के लिए एक परिकथा की तरह लगेगी क्योंकि विद्रोही जी आज से दशकों पूर्व के ग्रामीण एवं शहरी माहौल का सटिक एवं जीवंत चित्रण अपने संस्मरणों के जरिए किया है। ‘भूली बिसरी यादें’ एक संस्मरणात्मक पुस्तक ही नहीं है बल्कि साझा संस्कृति का एक इतिहास भी पाठक के सामने रखता है। आज से चार दशक-पांच दशक पूर्व के ग्रामीण एवं शहरी •ाावनाओं और आवेग को महसूस करने के लिए ‘भूली बिसरी यादें’ पढ़ना जरुरी लगता है। मुझे लगता है कि इस पुस्तक से भविष्य का इतिहास भी सबक लेगा। इस पुस्तक के जरिए हम विद्रोही जी के गरिमापूर्ण व्यक्तित्व से भी अवगत होते हैं।
विशिष्ट अतिथि एवं प्राचार्य डा अशोक अविचल ने कहा कि विद्रोही जी वैचारिक समन्वय के साथ-साथ भाषाई समन्वय के प्रतीक हैं। इनकी ही दिमाग की उपज है भोजपुरी मैथिली साहित्य संगम जिसके जरिए दो क्षेत्रीय भाषाओँ के साहित्यकार एक मंच पर आते हैं। ‘भूली बिसरी यादें’ श्री अरविंद विद्रोही की नवीन भेंट पाठकों के लिए है। ‘भूली बिसरी यादें’ के जरिए अरविंद विद्रोही को साहित्य के क्षेत्र में संस्मरण साहित्य को लघु लेखन विधा के रुप में एक अनमोल उपहार दिया है। लघु संस्मरण साहित्य को प्रवर्तित करने का श्रेय निश्चित रुप से विद्रोही जी को मिलेगा। अब तक संस्मरण का लघु लेखन साहित्य में नहीं है।
अशोक अविचल ने कहा कि ‘भूली बिसरी यादें’ पुस्तक इस बात का प्रमाण है कि साम्यवादी विचारधारा के ध्वजवाहक होने पर वे गरीबों, शोषितों के संघर्ष के साथ-साथ भरतीय संस्कृति को लेकर चलते हैं। संस्मरण की दिशा में विद्रोही जी का एक इमानदार प्रयास है। वे हमेशा सच के साथ खड़े दिखते हैं चाहे सच किसी जाति और धर्म के साथ हो। धर्म-जाति से ऊपर उठ कर विद्रोही जी सच के साथ ख?े होते हैं। संस्मकरण में यथार्थ लेखन पहली शर्त होती है और इस कसौटी पर •ाूली बिसरी यादें शत प्रतिशत उतरती हैं।
डा अशोक अविचल ने कहा कि •ाूली बिसरी यादें में यादें शीर्षक में इ स्माइल मियां की कहानी सबसे अ च्छे संस्मरण में सुमार की जायेगी।
वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश राय ने कहा कि •ाूली बिसरी यादें विद्रोही जी की एक अमिट और यादगार साहित्यिक कृति है। हमें लगता है कि •ाूली बिसरी यादें के जरिए विद्रोही जी अन्य लेखकों को •ाी लघु संस्मरण लिखने के लिए उत्प्रेरित करेंगे। विद्रोही जी समाज के लिए जीते हैं और उन्होंने अपनी इमानदार छवि की बदौलत •ोजपुरी •ावन के रुप में जमशेदपुर के •ोजपुरी •ााषियों के लिए जो कृति ख?ी की है उसके लिए पूरा •ोजपुरिया समाज उनके प्रति आ•ाारी रहेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार एवं वरिष्ठ पत्रकार दिनेश्वर प्रसाद सिंह दिनेश ने क ी जबकि संचालन कर रहे थे युवा साहित्यकार वरूण प्र•ाात। अंत में धन्यवादज्ञापन यमुना तिवारी हर्षित ने किया। इस अवसर पर कोविड प्रोटोकौल के तहत सिर्फ 32 साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।

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