JAMSHEDPUR -आनंद मार्ग की ओर से 26 जुलाई को बांटे गए 200 निशुल्क पौधे है*
इस कार्यक्रम में वैसे भी पौधों का वितरण किया जा रहा है जो बिलुप्त के कगार पर है
जमशेदपुर
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है।
आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल एवं प्रीवेंशन आफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स एंड प्लांट्स (PCAP)जमशेदपुर की ओर से “एक पेड़ कई जिंदगी” अभियान के तहत निशुल्क पौधा वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है , 28 जुलाई विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर 26 जुलाई को दो स्थानों पर लगभग 50 लोगों के बीच 200 से भी ज्यादा पौधा का वितरण किया गया स्थान :सोनारी,कबीर मंदिर के पास सुबह 6: 30 बजे से 9:00 बजे तक एवं गदरा आनंद मार्ग जागृति
28 जुलाई विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर आनंद मार्ग की ओर से 26 ,27 एवं 28 जुलाई को प्रकृति के संरक्षण में सहयोग करने की उद्देश्य से निशुल्क पौधे वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है
इस कार्यक्रम में वैसे भी पौधों का वितरण किया जा रहा है जो बिलुप्त के कगार पर है
आनंद मार्ग के सुनील आनंद का कहना है कि
वर्तमान परिपे्रक्ष्य में कई प्रजाति के जीव−जंतु, प्राकृतिक स्रोत एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं। विलुप्त होते जीव−जंतु और वनस्पति की रक्षा के लिये विश्व−समुदाय को जागरूक करने के लिये ही इस दिवस को मनाया जाता है। आज चिन्तन का विषय न तो युद्ध है और न मानव अधिकार, न कोई विश्व की राजनैतिक घटना और न ही किसी देश की रक्षा का मामला है। चिन्तन एवं चिन्ता का एक ही मामला है लगातार विकराल एवं भीषण आकार ले रही गर्मी, सिकुड़ रहे जलस्रोत विनाश की ओर धकेली जा रही पृथ्वी एवं प्रकृति के विनाश के प्रयास। बढ़ता प्रदूषण, नष्ट होता पर्यावरण, दूषित गैसों से छिद्रित होती ओजोन की ढाल, प्रकृति एवं पर्यावरण का अत्यधिक दोहन− ये सब पृथ्वी एवं पृथ्वीवासियों के लिए सबसे बडे़ खतरे हैं और इन खतरों का अहसास करना ही विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का ध्येय है। प्रतिवर्ष धरती का तापमान बढ़ रहा है। आबादी बढ़ रही है, जमीन छोटी पड़ रही है। हर चीज की उपलब्धता कम हो रही है। आक्सीजन की कमी हो रही है। साथ ही साथ हमारा सुविधावादी नजरिया एवं जीवनशैली पर्यावरण एवं प्रकृति के लिये एक गंभीर खतरा बन कर प्रस्तुत हो रहा हैं। जल, जंगल और जमीन इन तीन तत्वों से प्रकृति का निर्माण होता है। यदि यह तत्व न हों तो प्रकृति इन तीन तत्वों के बिना अधूरी है। विश्व में ज्यादातर समृद्ध देश वही माने जाते हैं जहां इन तीनों तत्वों का बाहुल्य है। बात अगर इन मूलभूत तत्व या संसाधनों की उपलब्धता तक सीमित नहीं है। आधुनिकीकरण के इस दौर में जब इन संसाधनों का अंधाधुन्ध दोहन हो रहा है तो ये तत्व भी खतरे में पड़ गए हैं। पिछले दिनों पहाड़ों के शहर शिमला में पानी की भयावह कमी आ गई थी। अनेक शहर पानी की कमी से परेशान हैं। ये सब आजकल साधारण सी बात है। आज हम हर दिन किसी−न−किसी शहर में पीने के पानी की कमी के बारे में सुन सकते हैं।
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