भारत के जनजातीय आकांक्षी जिलों में वन धन योजना को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग और ट्राईफेड का गठबंधन

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प्रधान मंत्री के सबका साथ, सबका विकास लक्ष्य को साकार करने की दिशा में बी वोकल फॉर लोकल बॉय ट्राइबल’ के सिंहनाद के साथ आत्मनिर्भर भारत” के आह्वान के अनुरूप, ट्राईफेड अब नीति आयोग के साथ नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों के रूप में चिन्हित जिलों में वन धन योजना के कार्यान्वयन के लिए सहयोग स्थापित कर रहा है। जनजातीय आकांक्षी जिलों में वन धन योजना के कार्यान्वयन में आगे की कार्यवाही के लिए, ट्राईफेड टीम ने 23 जुलाई, 2021 को नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थी अमिताभ कांत की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में आकांक्षी जिलों के जिला मजिस्ट्रेट / उपायुक्तों को वन धन योजना से अवगत कराया।

वन धन जनजातीय स्टार्ट अप्स तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों के विपणन तंत्र एवं लघु वनोपजों के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास योजना, वनोपज संग्रहकर्ताओं को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाली और जनजातीय समूहों तथा क्लस्टर्स के माध्यम से मूल्यवर्धन व विपणन के अवसरों का सृजन करने वाली ट्राईफेड (जनजातीय कार्य मंत्रालय) की विविध पहलों में शामिल ऐसी पहल हैं, जो जनजातीय समुदाय के लिए रोजगार और आय सृजन में मददगार साबित हुई हैं।

ट्राईफेड के नेतृत्व में ये पहल मिशन मोड में लघु वनोपजों की अगुवाई वाले जनजातीय विकास का उदाहरण हैं। जनजातीय समुदाय को उनके आवास के आसपास के वनीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले लघु वनोपजों का कानूनी मालिकाना हक प्रदान किया गया है। बहुत से लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए गए है। इस योजना के तहत लघु वनोपजों का प्रसंस्करण व मूल्यवर्धन वन धन विकास केंद्र नामक सुसज्जित सार्वजनिक सुविधा केंद्रों में किया जाएगा।

अब तक, ट्राईफेड द्वारा 300 वनवासी सदस्यों वाले 2,275 वन धन विकास केंद्र समूहों में शामिल 37,904 वन धन विकास केंद्रों को स्वीकृति प्रदान की गई है। एक विशिष्ट वन धन विकास केंद्र में 20 जनजातीय सदस्य शामिल होते हैं। 15 ऐसे वन धन विकास केंद्र 1 वन धन विकास केंद्र समूह बनाते हैं। ये वन धन विकास केंद्र समूह 27 राज्य तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 6.77 लाख जनजातीय वनोपज संग्रहकर्ताओं को बड़े पैमाने पर किफायत के साथ आजीविका और बाजार संपर्कों के साथ-साथ उद्यमिता के अवसर प्रदान करेंगे। वन धन स्टार्टअप्स कार्यक्रम से अब तक 50 लाख जनजातीय लोग प्रभावित हो चुके हैं।

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महामारी के दौरान हाशिए पर खड़े लोगों की डगमगाती आजीविका को संभालने में यह योजना एक वरदान साबित हुई है। ट्राईफेड और 27 राज्यों में इसके राज्य स्तरीय भागीदारों के अच्छे नियोजन और कार्यान्वयन के प्रति अथक प्रयासों से कार्यक्रम के परिणामों में एक अभूतपूर्व बदलाव आया है। लघु वनोपजों के संशोधित न्यूनतम समर्थन मूल्य घटक के चलते राज्यों की जनजातीय वस्तियों में स्थापित हजारों वन धन विकास केंद्र समूहों की सहायता से जनजातीय संग्रहकर्ताओं द्वारा एकत्रित और बेचे गए लघु वनोपजों से पिछले 2 वर्ष में लगभग 50 लाख जनजातीय परिवारों के बैंक खातों में करीब 3,000 करोड़ रुपये का सीधे अंतरण हुआ है।

ट्राईफेड की वन धन योजना उन 124 जिलों में कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है, जिन्हें आकांक्षी जिला घोषित किया गया है। जिलों की जनजातीय आबादी की प्रतिशतता के साथ-साथ जिले में वन धन विकास केंद्र समूहों के गठन की आर्थिक व्यवहार्यता के आधार पर इनका वर्गीकरण किया गया है। ट्राईफेड पहले से ही 65 आकांक्षी जिलों में काम कर रहा है, जहां 1.55 लाख जनजातीय लाभार्थियों को शामिल करते हुए अभी तक 521 वन धन विकास केंद्र समूह स्वीकृत किए गए हैं। इसे सभी आकांक्षी जिलों के जनजातीय समूहों तक बढ़ाया जा सकता है।

50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाली पहली श्रेणी के तहत आने वाले 41 आकांक्षी जिलों में से, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा राज्यों के 39 आकांक्षी जिलों में वन धन विकास केंद्र समूह स्वीकृत किए जा चुके हैं।

जिला मजिस्ट्रेट और अन्य जिला अधिकारियों की सहायता से नीति आयोग के साथ सहयोग और साझेदारी का उद्देश्य देश भर में जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र का पूर्ण परिवर्तन करना है।

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