JAMSHEDPUR
भारतीय जनतंत्र मोर्चा जमशेदपुर महानगर के तत्वावधान में जनसंघ के संस्थापक डाँ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर विचार गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन बारीडिह विधानसभा कार्यालय में किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव नें किया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक सरयू राय उपस्थित हुए । इस दौरान डाँ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पूष्पअर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई और कार्यालय परिसर में अशोक वृक्ष लगाया गया ।
विधायक सरयू राय नें डाँ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को स्मरण करते हुए इतिहास में डाँ मुखर्जी की जीवनी पर अवर्णित बातो को रखा । श्री राय नें कहा की डाँ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक प्रख्यात शिक्षाविद, महान चिंतक और एक उत्कृष्ट बैरिस्टर भी थे। आजादी की लड़ाई में उनका महत्वपुर्ण योगदान था। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर दबाव डाला की देश आजाद हुआ है लेकिन देश का संविधान नहीं बना है। उन्होंने कहा की जो पहली सरकार आपकी 15 अगस्त 1947 में बन रही है उसमें दो लोगों को जरूर रखें एक नाम था डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का और दूसरा नाम था डॉ भीमराव अंबेडकर। यह वे दो व्यक्ति थे जिनका कांग्रेस से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था और अपने-अपने क्षेत्र के बड़े विख्यात थे। इन दोनों को नेहरू जी कैबिनेट में शामिल किया गया उद्योग विभाग और आपूर्ति विभाग डॉक्टर मुखर्जी को मिला।
जब देश आजाद हो रहा था तब पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय में हिंदू थे और हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक में मुसलमान थे। डाँ मुखर्जी की कोशिश थी की न्याय पूर्ण बटवारा हो। जो हिंदुस्तान छोड़कर पाकिस्तान जाना चाहते हैं और जो पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान आना चाहते हैं उनकी संपत्ति का शांतिपूर्वक बंटवारा हो जाए। किंतु ऐसा हुआ नहीं, भारी कत्लेआम हुआ । आजादी के बाद पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खान भारत आए और नेहरू जी के साथ समझौता हुआ की कशमीर को अलग राज्य बनाया जाएगा । यह समझौता डाँ मुखर्जी को नहीं ठीक लगी और 1952 अप्रैल में डॉक्टर मुखर्जी ने नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। उनका तर्क था कि कशमीर भारत की अभिन्न अंग है और जो भी हिंदू परिवार पाकिस्तान में रह गए और जो भारत आ गए उनका संरक्षण होना चाहिए किंतु ऐसा नहीं हुआ । पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती चली गई और वर्तमान में मात्र 10 परसेंट ही रह गई है जबकि भारत में अल्पसंख्यक को को सभी मौलिक सुविधाएं प्रदान की गई। डॉक्टर मुखर्जी सर्वधर्म सद्भाव के पैरोकार रहें । श्री अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का नारा दिया गया। जो भी देश चाहे वह पाकिस्तान, बांग्लादेश अथवा बर्मा जो भारत से कट गए वह सभी अखंड भारत के हिस्से थे । तब राष्ट्रवाद और राष्ट्र भक्ति की अहमियत को समझा गया। आज भी देश में ऐसे लोग हैं, कई राजनीतिक दल हैं जिनके लिए भारत की अखंडता मायने नहीं रखती है उनकी आस्था चीन, पाकिस्तान में है, भारत के टुकड़े करने में है। जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय में टुकड़े- टुकड़े गैंग काम करता है। आज यदि राष्ट्रवाद की धारा एवं राष्ट्रभक्ति थोड़ी भी कमजोर होगी तो देश पर बुरा प्रभाव पड़ेगा आज हम देख रहे हैं कि वायुसेना के स्टेशन में ड्रोन हमले हो रहे हैं चीन हमारी सेना को आँख दिखा रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद की आवाज को हमेशा बुलंद करना होगा। श्री राय नें कहा की डाँ मुखर्जी देश के प्रथम उद्योग मंत्री थे किंतु जमशेदपुर एक ओद्योगिक नगरी होने के बावजूद उनकी स्मृति में एक भी स्मारक अथवा भवन यहाँ नहीं है। जिसके पश्चात भाजमो नें प्रस्ताव पारित किया जल्द जिला प्रशासन और टाटा स्टील के अधिकारियों से मिलकर डाँ मुखर्जी के स्मारक निर्माण कि मांग करते हुए प्रस्ताव सौंपा जाएगा और स्थल चयन सहित अन्य प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी । कार्यक्रम का संचालन भाजमो जिला महामंत्री मनोज सिंह उज्जैन एवं धन्यवाद ज्ञापन बारीडिह मंडल अध्यक्ष विजय नारायण सिंह नें किया । इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष रामनारायण शर्मा,पूर्वी विधानसभा संयोजक अजय सिंह,महिला मोर्चा अध्यक्ष मंजू सिंह, जिला उपाध्यक्ष बंदना नामता,जिला मंत्री राजेश कुमार झा,विकाश गुप्ता,कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र प्रसाद, अनुसूचित जनजाति मोर्चा अध्यक्ष प्रकाश कोया ,अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष राजेश प्रसाद,अल्पसंखयक भाषाई प्रकोष्ठ भागवत मुखर्जी,अजित सिंह, बिरसानगर मंडल अध्यक्ष चंद्रशेखर राव, उलिडिह मंडल अध्यक्ष प्रवीण सिंह, टेल्को मंडल अध्यक्ष महेश तिवारी,लक्ष्मीनगर मंडल अध्यक्ष बिनोद राय,बर्मामाइंस मंडल अध्यक्ष नागेन्द्र सिंह,कदमा मंडल अध्यक्ष अरविंद महतो,सीतारामडेरा मंडल अध्यक्ष बिनोद यादव,गोलमुरी मंडल अध्यक्ष कैलाश झा,साकची मंडल अध्यक्ष बरुण सिंह,साकची पश्चिम अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह,चुन्नू भूूमिज, राकेश सिंह,अशिम पाठक ,कमल किशोर,जोगिंदर सिंह,दुर्गा राव, अशोक कुमार, मिष्टू सोना,चंदा सिंह राजपूत,सोनी सिंह,सीमा दास,रेखा काकुली मुखर्जी महानंदी,नंदिता गहराई,पुतुल सिंह, सविता सिंह, आरती मुखी, रंजीता राय, शंकर कर्मकार, मोनी नग, बिट्टू मिश्रा, राजू सिन्हा, पुनीत श्रीवास्तव,विजय राव,रविन्द्र ठाकुर,प्रेमरंजन घोष,दीपक कुमार,इंदुशेखर सिंह,प्रेम कारण पांडेय,विजय सिंह,बालाजी पांडेय,शमशेर सिंह,गणेश चंद्रा,दुर्गा टोप्पो,मार्टिन लज़रस,जितेन्द्र कुमार, ऐन पद्मा,किशोर कुमार,विक्की यादव,सुमन गुप्ता,गुड्डू सिंह,महेश चंद्र प्रसाद,मीणा लोहार,मिट्ठू सरकार,ऐन के लाल,संजीव कामथ, राजू कर्मकार,गोविंदा पांडेय,रूपेश राय,गौरी देवी,राजन कुजूर,शंभू लोहार,राज कुमार सिंह एवं अन्य उपस्थित थे ।
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