JAMSHEDPUR -बीएड कॉलेज आवंटन में घालमेल मामले पर जेएससीईसी की कार्यसंस्कृति पर भड़कें पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, भाजपा ने की मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की माँग

झारखंड संयुक्त परीक्षा परिषद की मनमानी से बीएड अभ्यर्थियों की बढ़ी मुश्किलें : कुणाल

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● विद्यार्थियों को 300 से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कॉलेजों में नामांकन लेने के लिए बनाया जा रहा दबाव : भाजपा

बीएड में नामांकन के लिए झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया से बीएड में नामांकन लेने को इच्छुक अभ्यर्थियों के समक्ष कई चुनौतियां उभर आई हैं। परिषद की मनमानी नीतियों के कारण अभ्यर्थियों की आशा पर पानी फ़िरता दिख रहा है। बीएड कॉलेज आवंटन में घालमेल सहित झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की अविवेकपूर्ण प्रक्रिया पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए बहरागोड़ा के पूर्व विधायक सह भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने चिंता ज़ाहिर किया है। इस मामले में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से त्वरित हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है ताकि बीएड में नामांकन में इच्छुक अभ्यर्थियों को नज़दीक के कॉलेजों में दाखिला मिल सके। बीएड कॉलेज आवंटन मामले में घालमेल के मुद्दे को उठाते हुए पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्य सरकार की नीतियों पर घोर नाराज़गी ज़ाहिर किया है। जेएससीईसी के नई नियमों के कारण बीएड अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद के नये नियमों के कारण पूरी तरह से बीएड अभ्यर्थियों के मध्य असमंजस की स्थिति बन गई है। महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की कोई भूमिका अब छात्रों के नामांकन में नहीं रह गई है। छात्रों को कॉलेज के लिए आवेदन करने की आज़ादी ज़रूर है, लेकिन किस कॉलेज में उनका उनका नामांकन होगा ये पूर्णतया झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद द्वारा निर्धारित की जा रही है। जिन कॉलेजों में नामांकन हो रहा है उसमें प्राइवेट कॉलेजों की संख्या सरकारी कॉलेजों से कहीं ज़्यादा है। पर्याप्त नंबर होने के बावजूद अपने नज़दीक के कॉलेज में नामांकन नहीं कर पाने के कारण विद्यार्थियों को 300 से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कॉलेजों में नामांकन कराने पर मजबूर किया जा रहा है। कई बार नामांकन हो जाने के बाद परीक्षा परिषद के द्वारा सूची को निरस्त कर दिए जाने की भी सूचना है, और उसी सूची में से अभ्यर्थियों के नामों की छंटनी कर उन्हें ग़ैर सरकारी कॉलेज में नामांकन कराने हेतु मजबूर किया जा रहा है। इस तानाशाही रवैये से छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है और उनके लिए आगे की पढ़ाई कर पाना मुश्किल प्रतीत होता है। पर्याप्त नंबर होने के बावजूद स्थानीय कॉलेज में नामांकन नहीं हो पाने के कारण उन्हें सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित कॉलेज में नामांकन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि बीएड के 80प्रतिशत से ज़्यादा अभ्यर्थी आरक्षित श्रेणी से आते हैं, जो पूरे तरीक़े से सरकार से मिलने वाली मदद पर निर्भर रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की कार्यसंस्कृति और मनमाने रवैये पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है। भाजपा ने कहा कि परिषद की कार्यशैली के कारण असमंजस से घिरे छात्रों को न्याय दिलाकर सीएम उन्हें उनकी योग्यता अनुसार मिनलने वाले निकटतम कॉलेज में बीएड की शिक्षा दिलवाना सुनिश्चित करें।

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