जमशेदपुर -कारपोरेट खेती के लिये खेतों एवं किसानों को पूंजीपतियों के हाथों बेचा जा रहा है – डॉ अजय कुमार
जमशेदपुर.
भारत सरकार पूरी दुनियां की नक्शे कदम पर चलते हुए कुछ पूंजीपतियों एवं कारपोरेट घरानों को उद्योग, व्यापार, खनिज एवं सरकारी उपक्रम बेचने के बाद अब योजनाबद्ध तरीके से खेती और कृषि व्यापार पर भी कब्जा कराना चाहती है। कारपोरेट्स को मालिकाना हक देने के लिये नीति और कानूनों में बदलाव की प्रक्रिया सुचारू रूप से जारी है।
किसानों की आय दोगुनी करने के लिये किसानों की संख्या आधी करना और धीरे धीरे खेती में केवल 20 प्रतिशत किसान रखकर बाकी किसानों को खेती से बाहर करना केंद्र सरकार और नीति आयोग की घोषित नीति है।
यह 20 प्रतिशत किसान कारपोरेट किसान होंगे, जो कंपनी खेती या करार खेती के माध्यम से खेती करेंगे।
यह कारपोरेट कंपनियां अब खेती का मालिक बनकर या करार खेती के माध्यम से खेती करेगी। फसलों का उत्पादन, भांडारण, प्रक्रिया उत्पाद, घरेलू बाजार और विश्व बाजार में खरीद, बिक्री, आयात, निर्यात सभी काम यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां करेगी।
कारपोरेट खेती या करार खेती द्वारा दुनियां के बाजार के लिये अधिक मुनाफा देने एवं दुनिया के बाजारों में मुनाफे की संभावना देखकर बेचे जायेंगे। यह कंपनियां आयात निर्यात के माध्यम से फसलों के दाम बढाने, घटाने को भी नियंत्रण करेगी।
राष्ट्रिय प्रवक्ता सह झारखण्ड प्रभारी डॅ० अजय ने यह भी कहा कि किसानों के लिये तो आज की व्यवस्था भी लूट की व्यवस्था है। जिसने किसानों को बदहाल करके रखा है। लेकिन अब इस लूट व्यवस्था को वैश्विक लूट व्यवस्था में बदलने और कानूनी दायरे में लाने के लिये बदलाव किये जा रहे है।
कॉर्पोरेट घरानों एवं पूंजी पतियों का नियंत्रण, मुनाफाखोरी, जमाखोरी एवं एकछत्र अधिकार के उद्देश को पूरा करने के लिये केंद्र सरकार ने करार खेती कानून, जीवनावश्यक वस्तु अधिनियम, कृषि उपज वाणिज्य एवं बाजार अध्यादेश बनाये हैं।
स्टैडिंग कमिटी सदष्य सह कोल्हान प्रभारी प्रेम कुमार ने यह भी घोषणा की कि देश के किसानों को कारपेट गुलामी से बचाने के लिए सभी को संगठित होकर संघर्ष करना होगा एवं आम आदमी पार्टी किसानों के न्याय और आजादी के लिए पूरी ताकत से संघर्ष करने के लिए कटिबद्ध है एवं 24 सितंबर को जमशेदपुर पूर्वी सिहंभूम में इस तुग़लकी कानून का विरोध के रुप में धरना दिया जायेगा।
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