जमशेदपुर -मानव मन के उत्थान-पतन के पीछे धनात्मक और ऋणात्मक सूक्ष्म माइक्रोवाइटा का हाथ होता हैं*

104

जमशेदपुर

जमशेदपुर एवं उसके आसपास लगभग 3 हजार आनंदमार्ग के साधक-साधिका ऑनलाइन (वेबिनार) से अपने-अपने घर पर बैठकर मोबाइल, लैपटॉप एवं अन्य तरह के अत्याधुनिक माध्यमों से सेमिनार का लाभ ले रहे हैं। साधकों के जीवन रक्षा को ध्यान में रखते हुए एवं साधकों के मानसाध्यात्मिक प्रगति को ध्यान में रखते हुए लाइव वेबकास्टिंग से तीन दिवसीय प्रथम संभागीय सेमिनार का आयोजन किया गया है ,3 जुलाई से चल रहे सेमिनार 3 स्तर पर लिया गया हिंदी, बांग्ला एवं अंग्रेजी लगभग 1 महीने से चल रहे सेमिनार अंतिम पड़ाव पर है रविवार को सेमिनार का समापन होगा
सेमिनार के दूसरे दिन 18 जुलाई दिन शनिवार को ऑनलाइन साधकों और जिज्ञासु को संबोधित करते हुए आचार्य संपूर्णानंद अवधूत ने माइक्रोवाइटमः(अणुजीवत्) अणुदेह और भूमादेह विषय की विशद व्याख्या करते हुए आचार्य संपूर्णानंद अवधूत ने कहा किसृष्टि-उत्पत्ति के रहस्य पर से , जैव जीवन की उत्पत्ति के रहस्य पर से वैज्ञानिक पर्दा उठाने के लिए जो नया विज्ञान है , वही ‘माइक्रोवाइटम विज्ञान’ है । यह विश्वको बतलाता है कि कार्बन परमाणु से जैवजीवन नहीं आता है , क्योंकि कार्बनपरमाणु असंख्य माइक्रोवाइटा कणों की रचना है । आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ( उर्फ श्री प्रभात रंजन सरकार) ने कहा है कि चिति शक्ति (ब्रह्म )से उत्सारित रहस्यमय ,सूक्ष्मतम जैविक प्राणी माइक्रो वाइटम (अणुजीवत) ही सृष्टि का मूल कारण है ।माइक्रोवाइटा की प्रमुख स्थूल, सूक्ष्म और सूक्ष्मतर तीन श्रेणीहै । स्थूल और सूक्ष्म माइक्रोवाइटा के धनात्मक और
ऋणात्मक दोनों प्रभाव देखे जाते हैं । स्थूल माइक्रोवाइटम के ऋणात्मक प्रभाव ‘तथाकथित् विषाणु'(virus) के रूप में हमलोग वैज्ञानिकस्तर पर देखतेहैं । चेतनशील जीवों में जीवन की प्रतिष्ठा धनात्मक माइक्रोवाइटा करता है । मानव मन के उत्थान-पतन के पीछे धनात्मक और ऋणात्मक सूक्ष्म माइक्रोवाइटा का हाथ होता हैं।भगवान बाबा श्रीश्रीआनंदमूर्ति जी के अनुसार, वायरस एक प्रकार का स्थूल नेगेटिव माइक्रोवाइटा है। “यह माइक्रोवाइटम, ही बहुवचन में माइक्रोवाइटा नाम से जाना जाता हैं।
इन माइक्रोवाइटा की स्थिति सिर्फ एक्टोप्लाज्म और इलेक्ट्रॉन के बीच की है।वे न तो एक्टोप्लाज्म है और न ही इलेक्ट्रॉन ।
स्थूल स्तर के इन माइक्रोवाइटा के बारे में जो एक पावरफुल माइक्रोस्कोप के दायरे में आ सकते हैं, लोग इन्हें “वायरस” नाम देते हैं। वे लोग कहते हैं, “यह बीमारी वायरस से उत्त्पन्न हुई है।” लेकिन वायरस एक अस्पष्ट शब्द है। बेहतर शब्द माइक्रोवाइटम ही होगा। कोरोना वायरस (स्थूल नेगेटिव माइक्रोवाइटम) ने पृथ्वी ग्रह पर एक बड़ी आपदा पैदा की है।
कोरोना वाइरस एक नकारात्मक माइक्रोवाइटा है जिसका वर्तमान में कोई दवा नहीं है। डॉक्टर भी अच्छी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं। महामारी की इस अवस्था में, भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने कणिका में माइक्रोवाइटा पुस्तक में कहा कि
ये पॉजिटिव और नेगेटिव माइक्रोवाइटम विश्व के भारसाम्य को बनाए रखते हैं । विश्व में जब कभी नेगेटिव माइक्रोवाइटम की सामूहिक शक्ति पॉजिटिव माइक्रो वाइटम के सामूहिक शक्ति को हासिये पर ले आती है तभी जगत में दिखाई देता है एक अवक्षय, एक अधोगति। जैसे ही पॉजिटिव माइक्रोवाइटा की सामूहिक शक्ति नेगेटिव माइक्रोवाइटम की सामूहिक शक्ति से अधिक होती है तभी आता है एक अध्यात्मिक विप्लव । आज्ञा चक्र जब निगेटिव माइक्रोवाइटम के द्वारा आक्रान्त हो जाता है, तभी जगत बहुत तेजी गति से अधोगति के पथ पर आगे बढ़ता है । आज की दुनिया में वही अधोगति की अवस्था चल रही है। सबको मिल जुलकर खूब तेजी के साथ और भी अधिक निष्ठा के साथ पोजिटिव माइक्रोवाइटम की सहायता से वास्तवोचित कुछ करना होगा।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More