जमशेदपुर -कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आर्थिक पैकेज में व्यापारियों को जोड़ने की मांग की *

70
AD POST

जमशेदपुर।

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन को आज भेजे गए एक पत्र में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस बात पर गहरा खेद व्यक्त किया है कि हाल ही में वित्त मंत्री द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज में देश के व्यापारिक समुदाय को बिलकुल नकार दिया गया है !भारत में व्यापारिक समुदाय खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, वितरकों और अन्य वर्गों सहित 7 करोड़ व्यापारियों का है और देश भर के व्यापारी अपनी उपेक्षा से बेहद आक्रोषित हैं !कैट ने इसी प्रकार का पत्र केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल और कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी को भेजा है !

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने श्रीमती सीतारमण को भेजे पत्र में कहा कि आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय यह अत्यंत खेद की बात है की सरकार ने व्यापारियों की उपेक्षा की है जिससे देश भर में व्यापारिक समुदाय आंदोलित है और स्वयं को आर्थिक पैकेज में न शामिल किये जाने से बेहद निराश है ! वर्तमान गंभीर संकट के समय जब व्यापारियों को आर्थिक पैकेज की बेहद जरूरत थी तब व्यापारियों पर ध्यान न देना बहुत ही दुखद हैं और लॉक डाउन खुलने के बाद व्यापारियों को गंभीर वित्तीय संकट की चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा । भारत के व्यापारी आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इन परेशान समयों में सरकार और भारत के लोगों के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं ताकि हर नागरिक को लॉकडाउन के दौरान जरूरी वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति हो। व्यापारियों को लगता है कि सरकार ने उन्हें बहुप्रतीक्षित आर्थिक पैकेज में शामिल न करके व्यापारियों के साथ बड़ा अन्याय किया है !

AD POST

श्री सोन्थलिया ने कहा कि देश में सात करोड़ व्यापारी शहरी, ग्रामीण और अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। लगभग 45% व्यापारी बहुत सीमित साधनों और संसाधनों के साथ ग्रामीण भारत की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। लॉकडाउन की कुल्हाड़ी सबसे क्रूर तरीके से उन व्यापारियों पर गिरेगी जो मूल रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हैं ! कैट ने दोहराया है कि लॉकडाउन के खुलने के समय व्यापारियों को विभिन्न वित्तीय दायित्वों को पूरा करना होगा जैसे कर्मचारियों को वेतन का भुगतान, जीएसटी का भुगतान, आयकर और अन्य सरकारी भुगतान, ईएमआई, व्यापारियों द्वारा लिए गए ऋण पर बैंक ब्याज सहित कई अन्य आकस्मिक खर्च हैं जबकि दूसरी ओर व्यापारियों के आपसी लेनदेन में बाजारों को खोलने के दिन से 45 से 60 दिनों से पहले शुरू होने की कोई संभावना नहीं है। ऐसी परिस्थितियां व्यापारियों को वित्तीय संकट में ले जाएंगी और यह आशंका इस बात की है कि व्यापारियों को कहीं से भी वित्तीय सहायता न मिलने से लगभग 20% सीमांत व्यापारियों के पास अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों और बाकी हिस्सों को बंद करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा। वहीँ दूसरी ओर अन्य 55 प्रतिशत व्यापारियों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत कड़ा संघर्ष करना होगा जो आसान नहीं है !

कैट ने वित्त मंत्री से आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करने और व्यापारियों के सहयोग के लिए उपायों की घोषणा करने का आह्वान किया है। हालांकी कैट ने आश्वासन दिया है कि कोरोना युद्ध की इस कठिन अवधि के दौरान व्यापारिक समुदाय राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह करता रहेगा।

सुरेश सोन्थलिया ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री से अपील कि व्यापार में हो रही हानि से बचने के लिए झारखण्ड में व्यापार चालू करने की अविलम्ब अनुमति दे।
अगर यही स्थिति रही तो झारखण्ड के व्यापारी जिनके पास गम्भीर आर्थिक तबाही से बचने का कोई रास्ता नही हे। व्यापारी के पास अपने व्यापार के संचालन हेतु प्रयपत पूँजी भी नही हे । व्यापारी वेतन,किराया, बैंक व्याज और अन्य खर्चें का भुगतान भी नही कर पा रहे हे।
अगर राज्य सरकार इन खर्चो की ज़िम्मेदारी लेती हे तो हम व्यापारी झारखण्ड सरकार के निर्णय के साथ हे।
वेसे आप को मालूम होगा कि बंगाल खुला , बिहार खुला , उड़ीसा खुला ,छत्तीसगढ़ खुला आसपास के सभी स्टेट में कामकाज चालू हो गया है, फिर झारखंड ही क्यों ?।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More