जमशेदपुर -ब्रह्मानन्दा हाॅस्पिटल में 3 दिन के नवजात शिशु को मिला नया जीवन

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जमशेदपुर। ब्रह्मानन्दा नारायणा मल्टीस्पेशियालिटी हाॅस्पिटल के पीडियाट्रिक कार्डियोलाॅजी विभाग ने एक 3 दिन के नवजात शिशु को नया जीवन दिया। जिसके हृदय में फुफ्फुसीय धमनी मौजूद नहीं थी जो कि जीवन का समर्थन करने के लिए मुख्य धमनियों में से एक है। बच्चें को शुरु में टाटा मोटर्स हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहाँ से बच्चे को ब्रह्मानन्दा नारायणा मल्टीस्पेशियालिटी हाॅस्पिटल के पीडियाट्रिक कार्डियोलाॅजी विभाग में रेफर कर दिया गया। हाॅस्पिटल में एडमिशन के दौरान बच्चा बहुत ही बीमार था एवं गंभीर स्थिति में साँस ले रहा था। और उसका आॅक्सीजन सेचुरेसन लगभग 10-12 प्रतिशत था। डा. पंकज कुमार गुप्ता कंसल्टेंट पीडियाट्रिक कार्डियोलाॅजी, डा. अभय कृष्णा सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेन्सनल कार्डियोलाॅजी एवं डा. उमेश प्रसाद कंसल्टेंट एनेसथेसियोलाॅजी एण्ड क्रिटिकल केयर ने सम्मिलित रुप से कार्डियोलाॅजी प्रक्रिया को अंजाम दिया और बच्चे के जान को बचाया। डा. गुप्ता ने बताया कि बच्चे को डायग्नोसिस करने पर पता चला कि बच्चे के हृदय में फुफ्फुसीय धमनी उपस्थित नहीं है जो कि जीवन का समर्थन करने वाली मुख्य धमनियों में से एक है। बच्चे के हृदय में अशुद्ध रक्त (डिआॅक्सीजीनेड ब्लड), शरीर के शुद्ध रक्त (आॅक्सीजीनेटेड ब्लड) के साथ मिल रहा था जिसके कारण शिशु का रंग नीला हो गया था। स्थिति को ब्लू बेबी कहा जाता है। शिशु को शीध्रता से पीडीए स्टेटिंग प्रक्रिया के लिए कैथ लैब में स्थानांतरित कर दिया गया क्योंकि एक छोटा सा कनेक्शन था जो कि बंद होने वाला था अगर सही समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाये जाते। डा. गुप्ता ने बताया कि पल्मोनरी आट्रेसिया एक दुर्लभ बीमारी है जो कि 1000 बच्चों में 1 को प्रभावित करती है। और सही समय पर इलाज नहीं होने पर जीवन के लिए खतरा बन जाती है। डा. अभय कृष्णा ने बताया कि ‘‘आमतौर पर इस तरह की समस्या के साथ, शिशु एक महीने तक ही जीवित रह सकता है अगर तुरंत इलाज न किया जाये। डा. उमेश प्रसाद ने बताया कि जटिल हृदय रोग के साथ नवजात शिशु में एनेशथेसिया देने के लिए विशेषज्ञता एवं अनुभवी हाथों की आवश्यकता होती है। इस तरह की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए हाॅस्पिटल प्रतिबद्ध है। इलाज के प्रथम चरण में बच्चे को जीवन दान देने के लिए छोटे से कनेक्सन को खोला गया और द्वितीय चरण में जब बच्चा एक या डेढ़ वर्ष की आयु का हो जाएगा तब ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

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