जमशेदपुर – मित्रता में धन दौलत आडे़ नहीं आती – आचार्य

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 परसुडीह में भागवत कथा का विश्राम
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जमशेदपुर। परसुडीह सोसाइटी काॅलोनी स्थित श्री शिव दुर्गा हनुमान मंदिर में चल रहे भागवत कथा सप्ताह के सातवें एवं अंतिम दिन मंगलवार को गोवर्धन धारण लीला सुदामा चरित्र, श्री शुकदेव विदाई, व्यास पूजन एवं कथा विश्राम की माहिमा का गुणगान करते हुए कथावाचक आचार्य प्रसन्न कुमार शास्त्री ने मित्रता में धन दौलत आडे़ नहीं आती। भागवत ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन सुदामा जैसे भक्त मित्र की मित्रता एवं गृहस्थ में रहकर भगवान किस प्रकार आदर्श स्थापित करते हैं इसका सुंदर वर्णन कथा में अपनी भावनात्मक शैली में शास्त्री जी ने किया। सुदामा चरित्र, कथा का वाचन हुआ तो मौजूद श्रद्धालुओं के आखों से अश्रु बहने लगे। उन्होंने श्रोताओं से कहा की नियमित सात दिन तक कथा सुनने से जन्म जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। सप्ताह भर की कथा का सारांश में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग बाकी दिन की कथा नहीं सुन पाए हैं उन्हें इस कथा का श्रवण करने से पूरी कथा सुनने का पुण्य लाभ प्राप्त हो सकता है। पापों का नाश करने के लिए भगवान धरती पर अवतार लेते हैं। धरती पर आने के बाद भगवान भी गुरु की भक्ति करते हैं। सच्चे गुरु के आशीर्वाद से जीवन धन्य हो जाता है। कलयुग में माता-पिता और गुरु भक्ति करने से पापों का नाश होता है। कथा विश्राम के अवसर पर शास्त्री जी ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि प्रतिदिन माता-पिता का आदर करें, सूर्य को अर्घ्य अर्पण करें, भगवान को भोग लगाएं, गाय को रोटी दें और अपने आत्मविश्वास को हमेशा कायम रखें। अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा अच्छे कार्यों के लिए अवश्य निकालें। जब सत्संग में जाएं तो सिर्फ कान न खोलें बल्कि आंख भी खोल कर रखें। मनुष्य को आत्मचिंतन और आत्म साक्षात्कार की आवश्यकता है। कथा केवल सुनने के लिए नहीं है बल्कि इसे अपने जीवन में उतारें इसका अनुसरण करें। भगवत भजन करने से स्वयं तो आत्मविश्वासी होता ही है, दूसरों में भी विश्वास जगता है। आत्मविश्वास में कमी आने पर हम हर प्रकार से संपन्न होते हुए भी हमें कार्य की सफलता पर संशय रहता है।

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