जमशेदपुर।
टाटा मोटर्स संपोषित संस्था ‘शिक्षा प्रसार केंद्र’ की सचिव सह महिला अधिकारी (रूथ पर्किंस) द्वारा दुबारा से भाजपा जिला प्रवक्ता अंकित आनंद पर छेड़खानी और मानहानि का केस किये जाने की सूचना मीडिया सूत्रों के माध्यम से प्राप्त हुई है। इसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने इसे हास्यास्पद बताया। कहा कि टाटा मोटर्स कंपनी के आधा दर्ज़ अफसरों पर नामज़द हत्या का प्रयास, अपहरण, मारपीट और छिनतई के मामले में प्राथमिकी दर्ज़ है। इसमें महिला अधिकारी (रूथ पर्किंस) भी नामज़द अभियुक्त है। अंकित ने कहा कि फँसे हुए अफसरों द्वारा षड्यंत्र के तहत मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की मंशा से झूठे केस करवाये जा रहे हैं। कहा कि ऐसे मामलों से वे घबराते नहीं है। कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनपर जान मारने की नीयत से हमला करने वाले सरेआम घूम रहे हैं और क़ानून का दुरुपयोग कर के झूठे केस पर केस किये जा रहे हैं। प्रशासन को यह समझना चाहिए कि मेरी लड़ाई शिक्षा में व्याप्त आर्थिक भ्रष्टाचार के विरुद्ध है ना कि किसी कॉर्पोरेट अथवा कंपनी से। इस मामले में बेवजह टाटा मोटर्स कंपनी हस्तक्षेप कर हमपर हमलावर हो रही है। भाजपा जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने अपनी बातों को दुहराते हुए कहा कि उन्हें अब पुलिस सुरक्षा की सख्त ज़रूरत है। टाटा मोटर्स सम्पोषित गुंडों द्वारा पुनः फ़िर से हमला करवाया जा सकता है। कहा कि झूठे केस वे डरने वालों में से नहीं है और सत्याग्रह अभियान पूरी बुलंदी से बिना रुके जारी रहेगा। अंकित आनंद ने कहा कि 04 फरवरी को उनपर हुए सुनियोजित हमले में उनकी शिकायत पर कंपनी के आधा दर्ज़न अफसरों समेत तीस-पैंतीस सुरक्षा गार्डों पर हत्या का प्रयास की प्राथमिकी दर्ज़ है। कहा कि पहले सभी अभियुक्तों की गिरफ़्तारी होनी चाहिए, बाद में स्वयं उनपर दर्ज़ झूठे मामलों में पुलिस और मीडिया के समक्ष आत्मसमर्पण को तैयार है। अंकित ने दुहराया की कोई भी व्यक्ति अथवा कॉर्पोरेट क़ानून और संविधान से ऊपर नहीं होनी चाहिए, प्रशासन निष्पक्षता से मामले की जाँच करें। अंकित आनंद ने कहा कि महिला क़ानून की दुरुपयोग इसी भांति होती है जिसके कारण इस क़ानून की गंभीरता और उपयोगिता इसी तरह से क्षीण हो जाती है। बेगुनाहों को फँसाने के लिए अक्सर रसूखदार लोग छेड़खानी और महिला उत्पीड़न क़ानून को ढाल की तरह इस्तेमाल करते हैं। अंकित ने कहा कि वे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की दिशा में कितने कार्य किये हैं, यह सर्वविदित है। ऐसे में उनपर छेड़खानी का आरोप स्वयं में एक शाजिश लगती है।
विश्वासभाजन
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