चाईबासा ।
पश्चिम सिहभूम जिले जगरन्नाथपुर जेटेया थाना क्षेत्र के हमसदा गाँव में माओवादियों ने गुरूवार की शाम को दो व्यक्तियों को गोलियों से भून डाला।बेखबर ग्रामीण जब शाम साढे 7 बजे सोने सोने की तैयारी कर रहे थे तो चार की संंख्या मेंं हथियार से लैस बन्दूकधारी हमसदा गाँँव के सोनाराम सिरका व बामिया सिरका के घर आ धमके। अपराधियोंं ने दोनो को यह कह कर घर से ले गये कि चलो दादा बुला रहे हैंं। घर से कुछ दूर जाने के बाद बामिया रिरका के कनपट्टि पर सटाकर गोली मार कर हत्या कर दिया गया।बामिया के मृृत शरीर कौ हत्यारे वहींं छोड़ कर सोनाराम सिरका को घसीटते हुए कुछ और दूर ले जाकर गोली मार कर हत्या कर दिया गया।
इस जघन्य हत्या की किसी ने जिम्मेदारी नहींं लिया है। लेकिन इस बर्बता पूर्वक हत्या के पीछे माओवादी सरगना संंदीप दा गुट के हाथ होने की आशंंका व्यक्त किया जा रहा है। एक दिन बाद घटना की जानकारी पुलिस को मिलने के बाद पुलिस घटना स्थल पर जाकर जाँँच शुरु कर दिया। मृृतकोंं के परिजनो से जानकारी लिया गया। लेकान इससे कोई बड़ी सफलता मिलने की उमीद नहींं लग रही है। मृृतकोंं के परिजन भी घटना के सम्बन्ध मेंं अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैंं।
मृृतक सोनाराम सिरका के भाई सुबेदार सिरका व बामिया सिरका के भाई ब्रजमोहन सिरका के बयान पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज किया। प्राथमिकी मे कहा गया कि हमेंं किसी पर संंदेह नहींं है और न हींं हमारी किसी से दुश्मनी थी। क्योंं व किसने मारा हमेंं पता नहींं।
मृृतक बामिया सिरका का भाई ब्रजमोहन सिरका ने बताया कि जब हत्यारे इन दोनो को घर से ले गये हम घर पर नहींं थे। घरमेंं मेरी माँँ सूमी कुई थी। उसके कथनानुसार चार नकाबपोश वर्दी धारी घर मेंं आये और यह कहते हुए घर से ले गए कि चलो दादा ने बुलाया है।फिर थोड़ी देर बाद गोली चलने की आवाज आई।मेरी माँँ डर के मारे घर मेंं दुबकर रह गयी।
[डर के मारे घर मेंं दुबकर गयी। सुबह जब मै घर आया तो घर मेंं मातमी सन्नाटा था।पुछने पर भाई की हत्या होने की बात सामने आयी। इसकी सूचना जब ग्रामीण मुण्डा को दी गई तो उन्होने भी थाना जाने से इन्कार कर दिया।
मृृतक बामिया सिरका का एक तीन साल का बेटा व सोनाराम सिरका का दो बेटा व एक बेटी हैंं।उनका भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गयी।
जेटेया थाना प्रभारी सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि इस घटना मेंं माओवादियोंं का हाथ है।इससे इन्कार नहींं किया जा सकता है।दो बार पुलिस अभियान से संंदीप दा बाल बाल बचा है। यह माओवादियोंं का हताशा का सूचक है। ग्रामीणो मेंं दहशत फैला कर अपनी उपस्थिति दर्ज करने का असफलमृतक प्रयास है।हत्यारे हत्या कर लाश को घटना स्थल पर ही छोड़ गये थे।बाद मेंं लाशोंं को ग्रामीणोंं ने मिल कर जला दिया।माओवादियोंं की मंंशा को कभी पूरा होने नहींं दिया जाएगा।
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