सरायकेला-बालू रे बालू तेरा रंग कैसा…….. जिसे मिला करोड़ पति जैसा

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सरायकेला-खरसवॉ
बालू रे बालू तेरा रंग कैसा…….. जिसे मिला करोड़ पति जैसा
चांडिल। आजादी के बाद से ही आम लोगों के दैनिक भोग करने वाले समानों पर माफिया का कब्जा रहा है । शायद 1975 से अबतक लोग पानी के लिए तरस रहे है जिससे प्रेरित होकर शोर फिल्म में पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिसमें मिला दो लगे उस जैसा । हॉ वर्तमान में झारखण्ड खनिज संपदा में अपार धनवान है । सरकार सभी खनिज संपदा पर कानून ला रख है । कोयला, लौह अयस्क, सोना आदि अनेकों बहुमुल्य खनीज है । चुकि ये सभी खनीज आम लोगों के काम का नही है । इनपर दलाल और माफिया कम है । कानून भी लचिला है । आम जन जीवन के अति आवश्यक भी नही है, परन्तु गरीब हो या अमीर, नीजि हो सरकारी विकास के लिए बालू अति आवश्यक है । बालू पर सरकार हर 6 माह में कानून बदलते नजर आ रहे है । बालू धाट पर कई सफेदपौस माफिया नजर गड़ाये बैठे है ।
इन दिनो चांडिल अनुमंडल में बालु माफिया द्वारा धड़ल्ले से प्रशासन की आड़ में डंपर व हाईवा से अवैध चलाया जा रहा है. ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के मिलन चौक से रांगामाटी सङ़क पर सैकङो अवैध बालु का ढुलाई जोरों पर जारी है. खनन विभाग द्वारा दो महीने से बालु उत्खनन पर रोक लगाया गया है. इसके बाबजुद ईचागढ व तिरूलडीह थाना क्षेत्र के तीनों बैद्य बालु घाटों पर दो महीने से उत्खनन बंद है. मगर सीमावर्ती क्षेत्र सोनाहातु थाना के कांची नदी से रोजाना दिन रात लगातार सैकङ़ो हाईवा व डंपर द्वारा ईचागढ के मिलनचौक होते हूए रांगामाटी एन एच 33 से होकर जमशेदपूर जा रही है. इसके साथ ही ईचागढ़ के आमड़ा, टीकर, तिरुलडीह, शाखा नदी आदि बालु घाटो से अवैध बालु उठाव जोरो पर किया जा रहा है. बही चांडिल अनुमंडल के चांडिल, नीमडीह, कुकड़ू व ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र में बन रहे प्रधानमंत्री आवास, शौचालय , सङ़क आदि विकास कार्य बालु के अभाव में निर्माण कार्या अधर में लटका हुआ है. बैध बालु घाटों को छोङ़कर टीकर , आमड़ा आदि घाटों से भी धङल्ले से अवैध बालु का उठाव हो रहा है एवं जमशेदपूर , रांची आदि शहरों मे अधिक दामों में बालु माफियाओं द्वारा बालु बिक्री कि जा रही है. पुलिस प्रशाशन को खनन विभाग के अवैध धंधों में धर पकड़ पर रोक लगने के बाद से खनन विभाग का जांच टीम बेफिक्र सो रहे है या तो खनन विभाग के जानकारी में अवैध बालु का धंधा फलफूल रहा है. बालु कारोवारीयों का उंचे पहूंच का पता तब चलता है की ओवर लोड के साथ ही बेगैर तिरपाल ढके बेधङ़क बेखौब होकर हाइवा, डंपर मे लदे बालु ले जा रहे है. न ओवर लोड का डर न ही प्रदुषण का भय. लगता है विभाग के सर पर ही सैकङो बालु गाड़ी नियम कानुन को ताक पर रखकर चलाया जा रह है.
बालु नहीं मिलने से ग्रामीणों को हो रही है परेशानी
राज्य में बालु बंद होने के बाद से ग्रामीणों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ रहा है. इन दिनो चांडिल अनुमंडल के चारो प्रखंडो में विकास कार्य शौचालय, प्रधानमंत्री अवास, पीसीसी सड़क आदि बालु से संबंधित कई योजना चल रही है. बालु नहीं मिलने के प्रधानमंत्री अवास व शौचालय निर्माण करा रहे लाभुकां को बालु नहीं मिलने से काफी परेशानी का समाना करना पड़ रहा है. मजबुरन बालु माफियाओं से अधिक किमत में बालु लेकर कार्य कर रहे है. ग्रामीण अगर अपना घर का उपयोगी कार्य के लिए ट्रेक्टर से बालु ला रही है तो पुलिस प्रशासन द्वारा उन ग्रामीणों को उपर मामला दर्ज कराने की बात करते है. बही बालु माफियाओ द्वारा धड़ल्ले से दिन दहाड़े बालु की ढुलाई कर रहे है.। यह भी कहना सही होगा बालू रे बालू तेरा रंग कैसा…….. जिसे मिला करोड़पति जैसा ………………।

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