पंकज आनंद
समस्तीपुर ।06 जुलाई
जिले का दुर्भाग्य है की एक जमाना था जब शहर में 3 फैक्ट्री हुआ करती थी और एक आज का दिन है जो 3 में से 2 फैक्ट्री पूर्ण रूप से बंद हो चुकी है और आज एकलौता मोक्तपुर जूटमिल अंतिम सांस ले रही रही है।
देश दुनिया खूब तरक्की कर रही है और एक शहर है जो आगे बढ़ने के बजाय जो खुला वो भी अब इतिहास बनने वाला है।
दो उद्योग चीनी मिल और ठाकुर पेपर मिल बहुत पहले ही बंद हो गए हैं।
इसके बाद मोक्तपुर रामेश्वर जूट मिल भी बंद होने के कगार पर आ कर खड़ी हो गई हैं। आपको बता दें कि इस मिल से लगभग पांच हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है, इस मील के भी बंद हो जाने से इसके कामगारों के सामने भुखमरी की नौबत आ जाएगी।
कल बुधवार को अचानक ले ऑफ कर श्रमिकों को छुट्टी देकर घर भेज दिया गया। आज गुरुवार से मिल के लॉक आउट होने की संभावना जताई जा रही है। मिल में 3500 श्रमिक तथा 95 स्टाफ कार्यरत हैं। पूर्व में 1990 से लेकर 2000 तक 4500 मजदूर जूट मिल में कार्यरत थे। प्रतिदिन की उत्पादन क्षमता 82 टन है। अचानक ले आफ होने के कारण मान्यता प्राप्त मजदूर यूनियन के नेताओं ने बुधवार की शाम मिल परिसर के बाहर बैठक की।
महामंत्री अमरनाथ सिंह ने बताया कि उत्पादन अध्यक्ष सीएम दुबे, प्रशासन उपाध्यक्ष विनोदनाथ झा, वाणिज्य प्रबंधक एसके जैन करीब एक पखवारे से मिल से बाहर हैं। कोषाध्यक्ष मो. तमीम ने अपने संबोधन में कहा कि आज की बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में बकाए उपादान राशि इएसआइ आदि को लेकर मुख्यमंत्री बिहार सरकार सहित स्थानीय विधायक सह मंत्री को लिखित भेज दिया गया है।
प्रबंधन का कहना है कि बीएसएफसी बिहार खाद्य निगम के यहां करोड़ों रुपये बांकी रहने के कारण मिल की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। साथ ही कार्यरत स्टाफों का दो माह से वेतन का भुगतान भी नहीं हो रहा है। छह जुलाई को साढ़े 10 बजे दिन में मजदूरों का जत्था यूनियन के साथ आक्रोश व्यक्त करते हुए श्रम अधीक्षक समस्तीपुर से बात कर मिल की वस्तु स्थिति बताएंगे।
इधर दूरभाष पर उपाध्यक्ष प्रशासन श्री झा ने बताया कि आर्थिक स्थिति से जूझ रहे मिल की समस्या को लेकर बार-बार बकाए भुगतान को लेकर बिहार खाद्य निगम से बकाए की मांग की गई। लाल फीता शाही के कारण मिल के बकाया का भुगतान नहीं हो पाया है।
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