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Home » रांची-द्रौपदी मुर्मू होंगी भारत की अगली राष्ट्रपति? जानिए क्यों मजबूत है दावेदारी?
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रांची-द्रौपदी मुर्मू होंगी भारत की अगली राष्ट्रपति? जानिए क्यों मजबूत है दावेदारी?

BJNN DeskBy BJNN DeskMay 4, 2017No Comments5 Mins Read
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रांची।

बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज,सुमित्रा महाजन जैसे बड़े दिग्गज़ नेताओं के साथ-साथ आजकल भारत के अगले राष्ट्रपति के संभावित उम्मीदवारों में से एक नाम द्रौपदी मुर्मू का भी सामने आ रहा है, जो 18 मई 2015 से झारखंड की राज्यपाल हैं. झारखंड विधानसभा में झामुमो मुख्य विपक्षी पार्टी है. उसी जनाधार की आजसू पार्टी भाजपा गठबंधन की सरकार में पार्टनर है. संयोग से
द्रोपदी मुर्मू झारखंड की भी पहली आदिवासी महिला राज्यपाल हैं.
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2000 से 2004 तक ओड़िसा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रही हैं. वह पहली ऐसी ओड़िया नेता हैं जिन्हें किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. वह भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में 06 मार्च 2000 से 06 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार तथा 06 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं.
ओडिशा के आदिवासी परिवार में जन्मी हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के एक आदिवासी परिवार में हुआ था. रामा देवी विमेंस कॉलेज से बीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने ओडिशा के राज्य सचिवालय में नौकरी से शुरुआत की. अपने राजनितिक करियर की शुरुआत उन्होंने 1997 में की जब वो नगर पंचायत का चुनाव जीत कर पहली बार स्थानीय पार्षद (लोकल कौंसिलर) बनी. एक पार्षद से लेकर राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का उनका सफर देश की सभी आदिवासी महिलाओं के लिए एक आदर्श और प्रेरणा है.वह ऐसे राज्य से ताल्लुक रखती हैं, जहां 2014 के मोदी लहर में भी भाजपा का महज एक सीट पर खाता खुल पाया था. राज्य में लोकसभा की 21 सीटें हैं. 20 सीटें बीजद के हक में गई थीं.
ओडिया नेता हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू पहली उड़िया नेता हैं जिन्हें किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल नियुक्त किया गया है. वर्ष 2000 से 2005 तक उड़ीसा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक तथा राज्य सरकार में मंत्री भी रही हैं. बीजेपी और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 मार्च 2002 तक द्रौपदी मुर्मू वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री तथा 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं.
साफ़ सुथरी राजनैतिक छवि रही हैं
अपनी शिक्षा और साफ़ सुथरी राजनैतिक छवि के कारण द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी के आलाकमान नेताओं से हमेशा अच्छे और महत्त्वपूर्ण पदों के लिए वरीयता मिलती रही है. वह बीजेपी के सामाजिक जनजाति (सोशल ट्राइब) मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर काम करती रहीं और 2015 में उनको झारखण्ड का राज्यपाल बना दिया गया. अब उन्हें अगले राष्ट्रपति के तौर पर देखा जा रहा है. द्रौपदी मुर्मू को किसी राज्य की राज्यपाल बनाना उनके राजनैतिक करियर का सबसे बेहतरीन कदम रहा होगा परंतु, बीजेपी के बड़े नेताओं के पास जैसे इस साफ़ सुथरी छवि वाली आदिवासी नेता के लिए और भी बड़ी योजना थी. बताया जा रहा है कि उनका नाम भारत के राष्ट्रपति के चुनिंदा पांच उम्मीदवारों में शामिल कर लिया गया है.
द्रौपदी मुर्मू की क्यों मजबूत है दावेदारी?
राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी में सबसे पहले पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का नाम आया था. उनके उम्मीदवार बनने पर भी विपक्ष के कई बड़े दल विरोध नहीं करते. बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाये जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी मजबूत हुई है. इससे पहले मुरली मनोहर जोशी और आडवाणी इस पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. महिला और अच्छी छवि के चलते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी दौड़ में हैं. लेकिन सेहत के हवाले से उनकी दावेदारी कमजोर की जा रही है. दलित और दक्षिण के नाम पर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू भी दौड़ में हैं. उनके नाम पर विपक्ष की सहमति बन पाएगी, इस पर भाजपा को ही संदेह है. इन परिस्थितियों में द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी अधिक मजबूत और तार्किक बताई जा रही है.
जुलाई में होगा भारत के नये राष्ट्रपति के लिए चुनाव
वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस वर्ष जुलाई में पूरा हो रहा है. इसी माह नये राष्ट्रपति के लिए चुनाव होगा. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम ने भाजपा को बहुमत के करीब ला दिया है. इससे साफ है कि अगला राष्ट्रपति भाजपा की पसंद का ही होगा. राष्ट्रपति पद के लिए 10,98,882 मतों की वैल्यू होती है. इसमें चुनाव जीतने के लिए 5.49 वोट चाहिए. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास 4.57 लाख वोट हैं. अगर पूरा तीसरा मोर्चा भी एक हो जाता है तो भाजपा के बराबर वोट नहीं ला पायेगा. इसलिए यह तय है कि भाजपा अगला राष्ट्रपति अपनी पसंद का बनायेगी. आजादी के बाद से अब तक कोई ट्राइबल राष्ट्रपति नहीं बना है.मुर्मू भी आदिवासी समाज से हैं, ऐसे में उन्हें उम्मीदवार बनाकर भाजपा एक बड़ा संदेश दे सकती है.

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