जमशेदपुर।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ का तीन दिवसीय अंतराश्ट्रीय धर्म महासम्मेलन26 को जमालपुर के जे0एस0ए0 मैदान में सम्पन्न हुआ। जिसमें कि विदेषों से भी काफी संख्या में आनंदमार्गी भाग लिए। तीसरे दिन 26 मार्च को अंतराश्ट्रीय धर्म महासम्मेलन को संबोधित करते हुए आनंद मार्ग के पुरोघा प्रमुख आचार्य विष्वदेवानंद अवघूत ने ‘‘विराट जादूगर‘‘ के विशय में कहा कि परमपुरूश ही एक मात्र विराट सŸाा है। वे अपने षक्ति से सभी लोकों पर षासन करते हैं और सभी सŸााओ के भीतर गोपनीय ढंग से रहते हैं। अंत में प्रलय काल में सबको अपने में संकुचित कर लेते हैं, ले लेते हैं। अगला प्रष्न है कि वह विराट सŸाा कैसा है? इस संदर्भ में वैदिक ऋशियों के ऋचाओं (ष्लोक) का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह जो ईष्वर हैं, वे जालवान हैं, क्योंकि वे जाल से युक्त हैं। वे मायाजाल से युक्त हैं, मायावी हैं, जालवान हैं। ये अपने जाल षक्ति से सबको अपने माया जाल में वष में करके रखते हैं। अपने ऐष्वर्यों के द्वारा सप्तलोकों को नियंत्रित करते हैं, षासन करते हैं, अपना आधिपत्य रखते हैं। वे सबों को अकेले ही नियंत्रित करते हैं, जो परमपुरूश को जानते हैं वे अमृततुल्य हो जाते हैं। परमपुरूश के विराटत्व को समझाते हुए कहा कि ग्रह-नक्षत्र-तारों समेत ब्लैक हाॅल के बारे में बताया कि गुरूत्वाकर्शण के द्वारा चल रहे इस सृश्टि लीला का संचालन स्वयं परमपुरूश करते हैं। लेकिन जीव समझते हैं कि उसके द्वारा कार्य कराये जा रहे हैं। इसका रहस्य केवल वही जानते हैं। इसके रहस्य को जानने का क्या उपाय है? प्रार्थना, अर्चना आदि से कुछ नहीं होगा, तंत्र षास्त्र कहता है कि उनसे प्रेम करो, मोहब्बत करों, तभी उसके रहस्य को जान सकते हो। उनके टीम-मंडली का सदस्य बनना होगा।
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