Jharkhand News:खाने की बर्बादी और भूख की समस्या से निपटने के लिए स्विगी ने की ‘स्विगी सर्व्स’ की शुरुआत; रॉबिन हुड आर्मी को बनाया अपना पहला पार्टनर

2030 तक वंचित समुदायों के बीच 5 करोड़ भोजन परोसने की जताई प्रतिबद्धता

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रांची: भारत के अग्रणी ऑन-डिमांड कन्वीनियंस प्लेटफॉर्म स्विगी (Swiggy Ltd, NSE: SWIGGY / BSE: 544285) ने आज अपनी महत्वाकांक्षी पहल ‘स्विगी सर्व्स’ की शुरुआत का एलान किया। इस पहल का उद्देश्य कंपनी की वैल्यू चेन में खाने की बर्बादी को न्यूनतम करना और भूख की समस्या का निदान करना है। इस कैंपेन के तहत स्विगी ने रॉबिन हुड आर्मी (आरएचए) के साथ साझेदारी का एलान किया है। आरएचए वॉलंटियर्स द्वारा संचालित संगठन है। साथ मिलकर स्विगी और आरएचए का उद्देश्य स्विगी के पार्टनर रेस्टोरेंट्स से सरप्लस खाने को लेकर उसे जरूरतमंद लोगों के बीच वितरित करना है। इस साझेदारी के माध्यम से दोनों संगठनों ने 2030 तक 5 करोड़ भोजन परोसने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस अभियान में खाने को वितरित करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ लिया जाएगा।

स्विगी सर्व्स और आरएचए की साझेदारी के पायलट फेज से उत्साहजनक नतीजे देखने को मिले हैं। अब तक 126 रेस्टोरेंट पार्टनर्स ने स्विगी की इस पहल से जुड़ने की सहमति जताई है। उनके माध्यम से 33 शहरों में 2,000 भोजन परोसा गया। यह प्रोग्राम खाने की बर्बादी को कम करते हुए भूख से जंग में सरप्लस फूड को एक संसाधन के रूप में प्रयोग करने के स्विगी के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
बिकगेन बिरयानी, बिरयानी बाय द किलो, दाना चोगा, वर्धास, चारकोल ईट्स – बिरयानी एंड बियॉन्ड, डब्बा गरम, हाउस ऑफ बिरयानी, बी.टेक मोमोज वाला, समोसा सिंह, बबाई टिफिन्स, डोसा अन्ना, अर्बन तंदूर जैसे ब्रांड्स ने स्विगी सर्व्स-आरएचए की पहल का हिस्सा बनने की सहमति जताई है।

रॉबिन हुड आर्मी (आरएचए) एक वॉलंटियर बेस्ड जीरो-फंड्स ऑर्गनाइजेशन है, जिससे हजारों युवा प्रोफेशनल्स, सेवानिवृत्त लोग, गृहिणियां और कॉलेज के छात्र वॉलंटियर के रूप में जुड़े हैं। इन वॉलंटियर्स को रॉबिन कहा जाता है। ये वॉलंटियर्स रेस्टोरेंट/शादियों/कार्यक्रमों आदि से अतिरिक्त भोजन एकत्र करते हैं और उसे वंचित वर्ग के लोगों के बीच वितरित करते हैं। दस वर्षों में, आरएचए ने दुनियाभर के 406 शहरों में 15.3 करोड़ से अधिक भोजन परोसा है। आरएचए की इस समय 13 देशों में मौजूदगी है। यह 2.60 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड रॉबिन्स का एक परिवार है, जो जीरो-फंड्स एप्रोच पर चलते हुए भूख की समस्या को खत्म करने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है।

इस सेवा की शुरुआत के मौके पर स्विगी फूड मार्केटप्लेस के सीईओ रोहित कपूर ने कहा, ‘स्विगी में हमने हमेशा खुद को लॉजिस्टिक्स और कंज्यूमर एक्सपीरियंस के मामले में एक एक्सपर्ट के रूप में देखा है। ‘स्विगी सर्व्स’ के साथ हम एक बड़ी सामाजिक जरूरत को पूरा करने और भोजन की बर्बादी व भूख की समस्या से निपटने के लिए अपनी ताकत व क्षमता का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं। हम अपने रेस्टोरेंट पार्टनर्स का सरप्लस फूड जरूरतमंद लोगों के बीच वितरित करने के लिए आरएचए के साथ साझेदारी करके उत्साहित हैं। वर्तमान समय में हम 33 शहरों में मौजूद हैं और इस पहल को अधिक शहरों में ले जाने की योजना बना रहे हैं। यह केवल भोजन की बर्बादी को कम करने की पहल नहीं है, बल्कि एक सार्थक प्रभाव पैदा करते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि भोजन बर्बाद न हो।’

स्विगी के साथ साझेदारी के बारे में रॉबिन हुड आर्मी के सह-संस्थापक नील घोष ने कहा, ‘भूख की समस्या को कम करने के इस साझा मिशन के लिए स्विगी के साथ मिलकर काम करने के लिए रॉबिन हुड आर्मी रोमांचित है। जब स्विगी जैसा कोई इंडस्ट्री लीडर ऐसे किसी आंदोलन में सहयोग करता है, तो इसका प्रभाव बढ़ जाता है। यह अन्य लोगों को भी भूख की समस्या के विरुद्ध लड़ाई का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करेगा। साथ मिलकर हम एक मजबूत और एकजुट मोर्चा बनाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी की थाली खाली न रहे।’
रेस्टोरेंट पार्टनर्स स्विगी ओनर एप पर एक फॉर्म भरकर स्विगी सर्व्स से जुड़ सकते हैं। इससे जुड़कर वह सरप्लस या ताजा भोजन दान करने की अपनी इच्छा जता सकते हैं। एक बार इस पहल से जुड़ने के बाद आरएचए इन रेस्टोरेंट पार्टनर्स को इस काम के लिए समर्पित एक वाट्सएप ग्रुप से जोड़ देगा, जिससे बातचीत एवं समन्वय में आसानी होगी। आरएचए के वॉलंटियर्स इन रेस्टोरेंट पार्टनर्स से सरप्लस फूड लेने और उसे जरूरतमंद लोगों के बीच वितरित करने की जिम्मेदारी संभालेंगे।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत में लगभग 19.5 करोड़ कुपोषित लोग हैं, जो दुनियाभर की कुपोषित आबादी का एक-चौथाई है। 2024 में भारत का ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) स्कोर 27.3 था। इसमें भूख को एक गंभीर समस्या बताया गया था। साथ ही, 2024 जीएचआई में भारत 127 देशों में से 105वें स्थान पर रहा था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत में हर साल प्रति व्यक्ति 55 किलोग्राम भोजन बर्बाद हो जाता है।

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