Jamshedpur News:युवा की स्टडी में जमशेदपुर का वन स्टॉप सेंटर नहीं है अप टू द मार्क

युवा की स्टडी में जमशेदपुर का वन स्टॉप सेंटर नहीं है अप टू द मार्क, महज चल रही है खानापूर्ति, जेंडर वायलेंस पर ‘युवा’ की बैठक सह सेमिनार में वन स्टॉप सेंटर के मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ताओं में बनी सहमति, प्रशासन के समक्ष उठाएंगे आवाज

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जमशेदपुर.

घरेलू हिंसा या अन्य कारणों से हिंसा उत्पीड़न की शिकार महिलाएं जब रेड क्रॉस स्थित वन स्टॉप सेंटर पहुंचती हैं तो वहां न तो उनके इलाज की व्यवस्था होती है और न ही सुरक्षा की. यह 24 घंटे भी कार्यरत नहीं है जबकि महिला उत्पीड़न की घटनाएं दिन-रात घटित होती रहती हैं. कब किसको प्रशासन की मदद लेनी पड़े कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन जमशेदपुर में ऐसी कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं है जिसके तहत 24 घंटे कार्यरत कोई सेंटर हो. 2017 में साकची रेड क्रॉस भवन के तीसरे तल्ले पर बड़े जोर-शोर से जिस उद्देश्य से वन स्टॉप सेंटर बनाया गया वह पूरा नहीं हो पा रहा है.यहां सुविधाओं का घोर अभाव है जिसका खुलासा एनजीओ युवा ने अपनी स्टडी में किया है. गुरूवार को साकची के होटल केनेलाइट में वर्णाली चक्रवर्ती के नेतृत्व में एनजीओ युवा ने जेंडर वायलेंस(लैंगिक हिंसा) को लेकर एक सेमिनार सह बैठक का आयोजन किया जिसमें वन स्टॉप सेंटर को लेकर की गई अपनी स्टडी को लोगों के बीच साझा किया. युवा ने पाया है कि वन स्टॉप सेंटर में निम्नलिखित परेशानियां हैं —-
1—-यह तीसरे तल्ले पर स्थित है,लेकिन लिफ्ट नहीं है.
2—-यहां सिक्योरिटी गार्ड की सुविधा नहीं है.
3—वन स्टॉप सेंटर सिर्फ 8 घंटा चलता है जबकि यह 24 घंटा होना चाहिए.
4—किचेन का सेट अप है पर किचेन ऑपरेशनल नहीं है.
5—पानी की भी सुविधा नहीं है
6—घायल या बीमार महिला के लिए 5 बेड लगे हैं लेकिन गद्दों और पंखों की उचित व्यवस्था नहीं है.
7—कंप्यूटर है पर उसे ऑपरेट करने के लिए नियुक्ति नहीं है.
8—फोन और कैमरा है पर ऑपरेशनल नहीं है.
9—एक-दो ही नियुक्तियां यहां हैं जो नाकाफी हैं.
10—2017 से लेकर अब तक 200 केस ही रजिस्टर्ड हैं.
11—यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, जमीन विवाद वगैरह से संबंधित मामले आते हैं मगर विकलांगता से जुड़ा कोई मामला नहीं आय़ा है.
12—गर्भवती महिला से जुड़े मामले नहीं आए हैं.
13— पीड़ित महिला के साथ अगर कोई बच्चा आता है तो उसके लिए कोई सुविधा नहीं है.
14—प्राईवेसी का माहौल नहीं है इसलिए पीड़ित महिलाएं संकोचवश अपनी बातें खुलकर नहीं कह पातीं.
15—यहां कार्यरत लोगों को भुगतान भी नहीं होता है.
16—साफ सफाई का अभाव है.

बता दें कि दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बेटा देश भर में वन स्टॉप सेंटर खोलने की पहल हुई. इसके तहत झारखंड में भी कदम उठाए गए और जमशेदपुर के साकची स्थित रेड क्रॉस भवन में 2017 में वन स्टॉप सेंटर का शुभारंभ हुआ.शुरू में यह काफी अच्छी तरह कार्यरत रहा.राज्य महिला आयोग की टीम भी समय समय पर इसका मुआयना करती रही. मगर समय के साथ इसकी मूलभूत सुविधाओं में बढ़ोतरी नहीं की गई. महज खानापूर्ति के लिए सेंटर चल रहा है.उधर राज्य महिला आयोग का भी पुनर्गठन एक अरसे से नहीं हुआ है जिसका खामियाजा पीड़ित महिलाएं भुगत रही हैं.
आज के कार्यक्रम में डालसा से जुड़े अधिवक्ता लक्ष्मी बिरूआ, सामाजिक कार्यकर्ता संयुक्ता मजूमदार, झारखंड विकलांग मंच के अध्यक्ष अरूण कुमार, वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता, को-ऑपरेटिव कॉलेज के असिसटेंट प्रोफसर एके रमानी,आदर्श सेवा संस्थान की सचिव प्रभा जायसवाल,शक्ति फाउंडेशन की पद्मा कुमारी, पाथ संस्था से निजाम औऱ छवि दास, निश्चय से तरूण कुमार, पीपल फॉर चेंज से शौविक साहा,सृजन भारती से विक्रम झा और अन्य मौजूद थे.कार्यक्रम में डालसा की पारा लीगल वालंटियर सुनीता सिंह ने बताया कि वे दिन भर वन स्टॉप सेंटर में मामलों को देखती हैं जहां एक काउंसिलर भी है.उनकी कोशिश रहती है कि पीड़िता तक कानूनी मदद पहुंचाई जाए.

आज की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि वन स्टॉप सेंटर को सुचारू रूप से और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ चलाने के लिए जिले के उपायुक्त महोदय के साथ मिलकर आवाज उठाई जाए. जरूरत पड़े तो विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिलकर सीएसआर के तहत मदद करने का अनुरोध किया जाए.कार्यक्रम में डिसेएबल लोगों को हो रही परेशानियों पर भी चर्चा हुई. वक्ताओं ने बताया कि विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, उपायुक्त कार्यालयों में रैंप और स्पेशल टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है.

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