विजय सिंह,बी.जे.एन.एन.ब्यूरो ,जमशेदपुर,१६ मई २०१६
समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की रौशनी पहुँचाने का दावा करने वाली राज्य सरकार के दावे महज कालाधन के १५ लाख रुपये हर नागरिक के खाते में जमा होने जैसी चुनावी जुमले ही नजर आने लगे है क्योंकि हकीकत में झारखंड में अब भी बिजली की चमक राज्य की ग्रामीण जनता की पहुँच से कोसों दूर है.झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस के सचिव एवं वरिष्ट नेता एस.आर.रिज़वी छब्बन ने राज्य के मुख्यमंत्री रघुबर दास से आग्रह किया है कि राज्य की जनता को शीघ्र बिजली समस्या से मुक्ति दिलाएं. श्री छब्बन ने चारों पावर स्टेशन को अविलम्ब चालू करने की मांग की है.
अगर सिर्फ कोल्हान की बात करें तो वर्ष २००९-१० में ४ पावर स्टेशन का निर्माण होना तय किया गया था,परन्तु वर्ष ७ वर्ष बीत जाने के बाद भी एक भी हकीकत में नहीं बदल पाया है.कोल्हान संभाग के चाईबासा प्रमंडल के अंतर्गत आदरडीह(नीमडीह),रूग्रीहाट ( टीकर,ईचागढ़)बनगावों एवं टोंटो में ४ पावर स्टेशन बनना था और इसके लिए लगभग ३३ बार उद्घाटन कार्यक्रम टाला जा चुका है क्योंकि ७ वर्षों बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है. गैमन इंडिया को पावर स्टेशन बनने का ठेका दिया गया था.
विडम्बना यह भी कि एशिया के सबसे बड़े आयरन ओर माइंस चिड़िया में बिजली का एक खम्भा भी नहीं है.ग्रामीण आज भी लालटेन युग में जी रहे हैं.माइन्स का पूरा काम जेनरेटर से होता है.
प्रावधान के तहत प्रत्येक पावर स्टेशन क्षेत्र में ५ मेगावाट के २ सब स्टेशन बनने थे परन्तु अभी तक तो पावर स्टेशन का काम ही पूरा नहीं हो पाया है.कोल्हान के तीन जिलों के एक मात्र बिजली महाप्रबंधक एस.के.सिंह भी इस विषय में कुछ स्पष्ट कहने की स्थिति में नहीं जान पड़ते हैं. रिहायशी इलाकों में सरकारी बिजली सप्लाई की स्थिति काफी गम्भीर है.घंटों लोग गर्मी में बिना बिजली के पसीना बहाने को मजबूर हैं.
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