नई दिल्ली-कब तक मारे जाते रहेंगे पत्रकार?

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* विजय सिंह
झारखंड के चतरा में स्थानीय टी.वी.चैनल में कार्यरत इंद्रदेव यादव और बिहार के सिवान जिले में हिंदुस्तान हिंदी दैनिक के ब्यूरो प्रमुख राजदेव रंजन की हत्या से फिर वही सवाल मन में जाग उठा कि आखिर कब तक पत्रकार मारे जाते रहेंगे ? घटित घटनाओं ,प्राप्त सूचनाओं और खोजी रिपोर्ट के आधार पर जानकारी व पठनीय सामग्री पाठकों तक पहुँचाना हमारी पेशेगत जिम्मेदारी है.जाहिर है कि किसी रिपोर्ट पर कोई नाराज हो सकता है लेकिन हम राग – द्वेष से हटकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं.हमारी किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होती.मैं उन पत्रकारों की बात कर रहा हूँ जो ईमानदारी से अपने कार्य करते हुए अपना व परिवार का भरण पोषण करते हैं.हर व्यक्ति एक पत्रकार से सच की उम्मीद करता है लेकिन विडम्बना है कि जिस देश के माथे पर सत्यमेव जयते लिखा हो,वहां सच बोलने -लिखने की सजा मिलती है. मजे की बात तो यह कि कई बार मीडिया हाउस ही भुक्तभोगी पत्रकार को अपना मानने से इंकार कर देता है. पत्रकारिता बढ़ी,संस्थान बढे ,पत्रकार संगठन भी बढे.पर एकजुटता कहीं नहीं दिखती.सब के अपने राग,अपनी ढपली.अधिकतर यही होता है कि पत्रकारों और मीडियकर्मियों को देश दुनिया की जानकारी तो होती है पर अपने ही साथियों के दुःख सुख की सूचना नहीं रहती.. मिलन तभी होता है जब कोई पत्रकार मारा-पीटा जाता है.
चतरा या सिवान की घटना कोई नई या पहली नहीं है.अंतिम भी नहीं कही जा सकती.
अपराधियों के हौसले इसलिए भी बुलंद होते हैं कि हम एकजुट नहीं हैं.ज्यादातर मामलों में दोषियों को सजा नहीं हुई.घटना के बाद कुछ दिन तक तो पत्रकार और संगठन टर्र टर्र करते हैं बाद में वही ढाक के तीन पात.
मामला चाहे वर्षों पहले दक्षिण छोटानागपुर के प्रथम हिंदी दैनिक नया रास्ता के संपादक शंकर लाल खीरवाल की बर्बरतापूर्ण हत्या ,अमृत बाजार पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार इलियास की दिन दहाड़े गोली मार कर हत्या की हो या कुछ वर्षों पहले जमशेदपुर के छायाकार श्रीनिवास की पुलिस पिटाई से आँखे ख़राब होने की हों,नतीजा सिफर ही रहा.
ये तो कुछ उदाहरण है बस,लिस्ट तो काफी लम्बी है. जरुरत है समय रहते चेतने की ,पेशे की मर्यादा को बरक़रार रखते हुए आपसी एकता की .किसान के लकड़ी के गठ्ठर की कहानी हमने कईयों को बताया होगा पर खुद ही अमल नहीं करते.याद रखना होगा कि एकता में ही ताकत है,यही मूल मंत्र है.इंद्रदेव यादव और राजदेव रंजन की हत्या की हम पुरजोर निंदा करते हैं और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हैं.
* विजय सिंह
प्रदेश उपाध्यक्ष
झारखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन.

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