रेलखबर।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय की लगभग 6,456 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
इन परियोजनाओं से दूर-दराज़ के इलाकों को आपस में जोड़कर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा।
नई लाइन के प्रस्तावों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी और आवागमन में सुधार होगा, तथा भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा संबंधी विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
इस कैबिनेट ने 2,170 करोड़ की कुल लागत पर जमशेदपुर-पुरुलिया-आसनसोल तीसरी लाइन परियोजना (121 किलोमीटर) को मंजूरी दे दी है।
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तीसरी लाइन पांच साल में पुरा होने की उम्मीद
यह नव स्वीकृत परियोजना पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच रेलवे नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण कड़ी को मजबूत करेगी। तीसरी लाइन परियोजना पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और बर्धमान और झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिलों को कवर करेगी। जमशेदपुर-आसनसोल तीसरी लाइन परियोजना में पश्चिम बंगाल के 17 स्टेशन और झारखंड के 2 स्टेशन शामिल होंगे। तीसरी लाइन 18 बड़े पुलों और 142 छोटे पुलों से होकर गुजरेगी। इस परियोजना के 5 साल में पूरा होने की उम्मीद है।
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क्या होगा लाभ
· यह परियोजना प्रमुख ट्रंक मार्गों, दिल्ली-हावड़ा और हावड़ा-मुंबई के बीच कनेक्टिविटी में सुधार करेगी
· तीसरी लाइन बर्नपुर और दुर्गापुर के इस्पात संयंत्रों तक लौह अयस्क और कोयले के परिवहन और संयंत्रों से तैयार इस्पात की आवाजाही में तेजी लाएगी
· यह परियोजना पर्यटन स्थलों (मैथन बांध और चुरिलिया) और तीर्थस्थलों (कैयनेश्वरी मंदिर और घागर बुरी चंडी मंदिर) के आसपास है।
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